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‘सरकार बदली है, देश का संविधान, क़ानून नहीं’

ज़ुबैर अहमद बीबीसी संवाददाता, दिल्ली इशरत जहाँ का नाम एक बार फिर ख़बरों में है. 2004 में गुजरात पुलिस की एक मुठभेड़ में इशरत अपने तीन साथियों के साथ मारी गई थीं. मुंबई की अदालत के सामने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से बयान देते हुए लश्करे तैयबा के सदस्य डेविड हेडली ने इशरत को लश्कर का सदस्य […]

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इशरत जहाँ का नाम एक बार फिर ख़बरों में है. 2004 में गुजरात पुलिस की एक मुठभेड़ में इशरत अपने तीन साथियों के साथ मारी गई थीं.

मुंबई की अदालत के सामने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से बयान देते हुए लश्करे तैयबा के सदस्य डेविड हेडली ने इशरत को लश्कर का सदस्य बताया है.

इसके बाद इशरत जहाँ मामले में कई सवाल उठे हैं. इशरत की माँ की तरफ़ से मुक़दमा लड़ने वाली वकील वृंदा ग्रोवर कहती हैं कि हेडली की गवाही बेमानी है.

मीडिया के अनुसार, वृंदा ग्रोवर ने तो सरकारी वकील पर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ कार्यक्रम की तरह हेडली से सवाल पूछने और विकल्प देने की बात कही है.

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वृंदा ग्रोवर ने बीबीसी से कहा, "हेडली के बयान को सुबूत नहीं माना जा सकता. उसे चरमपंथी कहकर आप उसकी हत्या की जांच बंद कराना चाहते हैं. देश का क़ानून इसकी इजाज़त नहीं देता."

क्या इशरत एक चरमपंथीं थीं? क्या लश्कर से उनके संबंध थे? मीडिया में चर्चा इसी प्रश्न पर हो रही है.

गुजरात पुलिस के वरिष्ठ अफसर रहे आरबी श्रीकुमार कहते हैं कि बचाव पक्ष के वकील हेडली से कहेंगे कि अपने बयान को साबित करो.

वो आगे कहते हैं, "केवल एक बयान से आप कुछ साबित नहीं कर सकते. मत भूलिए कि हेडली एक अभियुक्त है."

इशरत जहाँ की मौत पुलिस मुठभेड़ में हुई थी या फिर पुलिस की ओर से की गई हत्या थी?

सीबीआई के अनुसार, ये हत्या थी. सीबीआई ने 12 पुलिसवालों के ख़िलाफ़ चार्जशीट भी दायर की है.

अगला सवाल ये है कि हेडली मुंबई के 26 /11 हमले के सिलसिले में गवाही दे रहा है.

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इशरत का मामला 2004 का है, और ये एक अलग मुक़दमा है. तो 26 /11 वाले मुक़दमे पर इस बयान का कोई असर होगा?

वृंदा ग्रोवर कहती हैं, "वैसे भी हम उससे गवाही किस मुद्दे पर ले रहे हैं? 26/11 पर. मेरा सवाल है कि ये सब सवाल उससे पूछे ही क्यों गए?"

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हेडली के ख़िलाफ़ 2008 में मुंबई चरमपंथी हमलों की योजना बनाने का आरोप है. लेकिन अब वो मुंबई हमलों में कथित तौर पर शामिल एक भारतीय नागरिक अबु जुंदाल के ख़िलाफ़ सरकारी गवाह बन चुका है.

अमेरिका में वो 35 साल की जेल की सजा काट रहा है. पिछले कुछ दिनों से वो जेल से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए मुंबई की एक अदालत में गवाही दे रहा है.

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क़ानूनी प्रणाली के बाहर हेडली के बयान का राजनीति पर असर पड़ता ज़रूर दिखाई देता है.

भारतीय जनता पार्टी के नेता शाहनवाज़ हुसैन ने कांग्रेस से चरमपंथ पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि सोनिया गांधी माफ़ी मांगें.

उन्होंने कहा, "हेडली के खुलासे के बाद कांग्रेस अब देश से माफ़ी मांगे, सोनिया जी माफ़ी मांगें. और वो नेता जो इशरत जहाँ को शहीद बता रहे थे, उन्हें देश से माफ़ी मांगनी चाहिए."

क्या ये संभव है कि हेडली के बयान का वो 12 पुलिसवाले नोटिस लें, जिनके ख़िलाफ़ सीबीआई ने इशरत और उसके तीन साथियों- प्रणेश पिल्लई उर्फ़ जावेद शेख, अमजद अली और ज़ीशान जौहर की हत्या करने का मुक़दमा किया है?

गुजरात के पूर्व पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा इस मुक़दमे के मुख्य अभियुक्त हैं. उन्होंने मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि वह निर्दोष हैं.

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लेकिन इशरत जहाँ के रिश्तेदार और पड़ोसी अब्दुल रऊफ़ का तर्क है कि यह एक साज़िश है. वो कहते हैं, "हम इसे साज़िश कहते हैं. पिछले कई सालों से इशरत के बारे में इस तरह की अफ़वाहें फैलाई जा रही हैं. हेडली ने पहले भी इस तरह का बयान दिया है."

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इशरत जहाँ मामले में पहले भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह का भी नाम था जिन्हें कुछ महीने जेल में भी गुज़ारने पड़े थे.

लेकिन बाद में उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा वापस ले लिया गया. तो क्या अन्य अभियुक्तों को भी राहत मिल सकती है जिसकी मांग वंजारा कर रहे हैं?

वृंदा ग्रोवर कहती हैं, "देश में सरकार बदली है, संविधान और क़ानून नहीं. देश का क़ानून आज भी यही कहता है कि किसी को हिरासत में नहीं मार सकते. पुलिस भी ऐसा नहीं कर सकती."

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लेकिन कई वकील कहते हैं ‘अटकलें न लगाएं.’ अदालत को काम करने दें, जैसा वरिष्ठ वकील मजीद मेमन ने कहा, "अदालत को अपना काम करने दें. मीडिया या वकीलों को अटकलें नहीं लगानी चाहिए."

वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से हेडली का बयान जारी रहेगा. अभी 26/11 के अभियुक्त अबु जुंदाल के वकील को उससे पूछताछ करनी है.

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