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मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का सपना : 2022 तक देश के शीर्ष तीन राज्यों में होगा आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद चाहे अमरावती में राज्य की नयी राजधानी बनानी हो या इसका इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना हो, मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने संभवतः सब कुछ किया है. लेकिन, राज्य की वर्तमान चिंता कुछ और है. नायडू का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद होने के बावजूद राज्य में सूखा सबसे बड़ा मसला है. […]
आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद चाहे अमरावती में राज्य की नयी राजधानी बनानी हो या इसका इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना हो, मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने संभवतः सब कुछ किया है. लेकिन, राज्य की वर्तमान चिंता कुछ और है. नायडू का मानना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद होने के बावजूद राज्य में सूखा सबसे बड़ा मसला है.
अगर राज्य को विकास करना है, तो सिंचाई पर ध्यान केंद्रित करना होगा. उनका सपना है कि आंध्र प्रदेश 2022 तक देश के शीर्ष तीन विकसित राज्यों में एक हो और 2029 तक यह न सिर्फ विकास में, बल्कि खुशहाली में भी शीर्ष पर हो. सीएनबीसी-टीवी18 के शिरीन भान से एक साक्षात्कार में उन्होंने विभाजन के बाद राज्य की चुनौतियों और योजनाओं के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी. पेश है मुख्य अंश.
अंततः हमें निर्यात बाजार की ओर ही उन्मुख होना है
– सबसे पहले मैं निवेश को रिझाने की राज्यों की होड़ के बारे में पूछना चाहूंगी. आप सभी निवेशकों की समान मंडली का पीछा कर रहे हैं. आप अपने राज्य में निवेश और निवेशकों को किस तरह से आकर्षित कर रहे हैं?
यह एक अच्छा रुझान है. हर राज्य प्रतिस्पर्धा कर रहा है. देश के लिए यह एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है. हर राज्य का हर राजनेता एक ही चीज के लिए प्रयासरत है. मुझे बहुत खुशी है. पहले कुछ ही लोग ऐसा प्रयत्न करते थे. अब, भारत एक देश है. हमारे यहां बेशुमार अवसर मौजूद हैं. यह एकमात्र देश है जो निकट भविष्य में दो अंकों में विकास कर सकता है. अगर आप यूरोप, चीन, जापान, यहां तक कि अमेरिका को भी देखें, तो उनकी विकास दर तीन-चार फीसदी भी नहीं है, कभी-कभी तो यह दर नकारात्मक होती है या फिर एक-दो फीसदी होती है. यह भारत के लिए सकारात्मक स्थिति है. मुझे बड़ी खुशी है. सभी के लिए अनेक अवसर हैं. निवेशकों के पास चयन के विकल्प हैं. वे आयेंगे और निवेश करेंगे.
– आंध्र प्रदेश किन आधारों पर उन्हें आकर्षित करने की कोशिश करेगा? मेरी जानकारी में चार लाख करोड़ के समझौते होने हैं, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र में ही तीन लाख करोड़ के प्रस्ताव हैं. क्या ये सही आंकड़े हैं? क्या ये घट-बढ़ सकते हैं?
नहीं. इन पर काम हो रहा है. हर दिन गतिशील स्थिति है. हम अपनी सोच में स्पष्ट हैं. यह पूर्वी तट के बारे में है, जहां 974 किलोमीटर लंबा तट है. निर्यात के लिए चीन या कोई और देश इस तट का विकास कर सकता है, यह संभव या व्यावहारिक है. हमें जो उम्मीद है, घरेलू बाजार एक चीज है, निर्यात बाजार दूसरी चीज. इसलिए, हम इस क्षेत्र को निर्यात के लिए मैनुफैक्चरिंग हब के रूप में बनाना चाहते हैं. हम इसी तरह से काम कर रहे हैं. हमारे पास ठोस आधार है. और हां, बंदरगाह भी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. इस वर्ष, इस वित्त वर्ष में, हम समुद्री कार्गो के संचालन में दूसरे स्थान पर होंगे. इसलिए, यह हमारे लिए सबसे बड़ी सकारात्मक स्थिति है.
– तो आप बंदरगाह आधारित आर्थिक विकास के मॉडल के लिए प्रयासरत हैं?
और यह भी कि यह निश्चित रूप से निर्यात बाजार हो. कुछ हद तक घरेलू बाजार ठीक है, पर अंततः इसे निर्यात बाजार की ओर ही उन्मुख होना है. भारत के लिए बहुत अवसर उपलब्ध हैं.
आंध्र प्रदेश में ढांचागत विकास के कई नये काम हो रहे हैं
– आपके समक्ष क्या चुनौतियां हैं? भारत के भीतर प्रतिस्पर्धा है, क्योंकि विभिन्न राज्य निवेशकों के एक ही समूह को आकर्षित करने की कोशिश में हैं. आपको मैं फॉक्सकॉन का उदाहरण देती हूं. फॉक्सकॉन आपके राज्य में भी निवेश कर रहा है और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में भी. तो, इस तरह से जो निवेश आपके पास आ सकता था, वह चार या पांच राज्यों में बंट रहा है. क्या यह एक चुनौती और चिंता नहीं है?
आप सही कह रही हैं, लेकिन यह भी सही है कि हम किसी भी अन्य राज्य से बहुत आगे हैं. एक, व्यापार की सुगमता. हाल के एक रिपोर्ट में हम इस मामले में दूसरे स्थान पर हैं और हम लंबे समुद्र तट के बारे में स्पष्ट हैं और पूर्वी तट पर भी, और पूर्वी तट पर ही दुनिया के सभी विकसित देश स्थित हैं. इसलिए, निर्यात के लिए यह सही जगह है. यह केंद्र में भी स्थित है. किसी और राज्य के साथ ऐसी स्थिति नहीं है. तीसरी बात, यह एक रचनात्मक राज्य है. ज्ञान के मामले में हम बहुत मजबूत हैं. पानी की प्रचुर उपलब्धता है. यह एकमात्र राज्य है जहां हम 24 घंटे बिजली दे सकते हैं. इसलिए, कृषि का आधार भी बहुत अच्छा है. समुद्री उत्पाद में हम देश में पहले स्थान पर हैं और खनिज संपदा में भी हम बहुत मजबूत हैं, और फिर समुद्र तट भी है. यह सब सकारात्मक बढ़त हमारे साथ है.
– सभी मुख्यमंत्री अपनी कहानियां बेच रहे हैं और सभी जरूरी मंजूरी प्रक्रियाओं में कमी लाने को गिना रहे हैं कि कैसे उन्होंने सिंगल विंडो जैसे उपाय लागू किये हैं. लेकिन, आप हमें बताएं कि कौन सा बड़ा निवेश आप ला पाये हैं. मैं समझ सकती हूं कि विप्रो के लिए एक विशेष आर्थिक क्षेत्र है और टेक महिंद्रा राज्य में निवेश करने जा रहा है, फॉक्सकॉन ने भी निवेश के लिए हामी भरी है. क्या आप हमें उन निवेशों के बारे में बता सकते हैं, जिन पर आपको आश्वासन मिल चुके हैं?
श्री सिटी में बहुत-से उद्योग आ रहे हैं. अब हीरो मोटर्स भी आ रहा है और निवेश कर रहा है. एशियन पेंट्स भी आ रहा है और विप्रो भी. इस तरह बहुत से लोग आ रहे हैं और निवेश कर रहे हैं. ऊर्जा और सौर ऊर्जा में भी, हम सौर ऊर्जा में पहले स्थान पर हैं. इस प्रकार बहुत सी चीजें आज हो रही हैं. मैं कह सकता हूं कि हम भारी निवेश को आकर्षित कर रहे हैं. ऐसा अभी नहीं हो रहा है. शुरू से ही मैं व्यापक स्तर पर निवेश को बढ़ावा देता रहा हूं. अपने पहले कार्यकाल में मैंने हैदराबाद में नॉलेज आधारित अर्थव्यवस्था स्थापित की, मैंने हैदराबाद को, और बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बढ़ावा दिया. हमारे पास शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर है.
– हम अभी विजयवाड़ा में बैठे हैं जो अभी आपका मुख्य केंद्र है. आप जो इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहे हैं, उस संदर्भ में हम क्या उम्मीद कर सकते हैं? आपके द्वारा बनाये जानेवाले हवाई अड्डों की बातें हो रही हैं, सड़कों को जोड़ने की बात हो रही है, तो हम क्या क्या उम्मीद कर सकते हैं और आपकी दृष्टि में निजी क्षेत्र की सहभागिता की क्या संभावनाएं हैं?
अगर आप अभी देखें, तो निर्यात मैैन्यूफैक्चरिंग उद्योग पर नजर रखना महत्वपूर्ण है. मौजूदा समय में यह देश की जरूरत भी है. दुनिया के किसी भी देश में आप जायें, तो आप देखेंगे कि सबसे पहले उन्होंने निर्यात के लिए कुछ क्षेत्रों को विकसित किया है. चीन ने बिल्कुल यही किया है. घरेलू बाजार अक्सर सीमित होता है, पर निर्यात बाजार असीमित है.
– अभी ऐसा नहीं है, क्योंकि निर्यात बाजार लगभग गिर चुका है.
पहले भी विकास दर बहुत ही कम थी, पर अभी निर्यात बाजार बढ़ रहा है. भारत का घरेलू बाजार अभी बहुत मजबूत है. उद्योग तेजी से बढ़ रहे हैं, वृद्धि बहुत आकर्षक है, अगर आप इनमें निर्यात बाजार को भी जोड़ लें, तो ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत के लिए यह अनुकूल स्थिति है. दूसरा, अगर आप देखें, तो सभी इंफ्रास्ट्रक्चर में मैंने हर क्षेत्र के लिए 16 नीतियों की घोषणा की है, एग्रो प्रोसेसिंग, मैन्यूफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल, खनिज आधारित उद्योग- मैंने कई नीतियों की घोषणा की है. तीसरा इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में है, इस हवाई अड्डे को हम बेहतर बना रहे हैं, कुछ हद तक यह एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा. निजी-सार्वजनिक क्षेत्र की सहभागिता मॉडल के तहत हम विशाखापट्टनम में एक नये हवाई अड्डे की योजना बना रहे हैं, यह एक चीज उपलब्ध है. अभी आंध्र प्रदेश के पास पांच-छह हवाई अड्डे हैं, पांच-छह बंदरगाह हैं, कुछ अन्य बंदरगाहों पर हम काम कर रहे हैं.
– क्या आप हमें कोई समय-सीमा बता सकते हैं जब हम सही में इन परियोजनाओं के बारे में निविदा मांगा जाता हुआ देख सकेंगे?
सारी पहल शुरू हो चुकी है, भावनापाडु में टेंडर मंगाये गये हैं, बहुत जल्द ही इसे बंद कर दिया जायेगा. इस हवाई अड्डे के विस्तारीकरण का भी काम शुरू हो चुका है. भोगापुरम में हवाई अड्डे के लिए अगले तीन-चार महीने में हम टेंडर मांगेंगे, भूमि अधिग्रहण चल रहा है. हम यह सब काम करने जा रहे हैं. सड़क क्षेत्र में हाल में नितिन गडकरी ने करीब 65 हजार करोड़ रुपये मूल्य के सड़क बनाने की घोषणा की है. नयी राजधानी अमरावती के 220 किलोमीटर लंबे बाहरी रिंग रोड- जिसकी लागत 20 हजार करोड़ होगी- को भी हम बनाने जा रहे हैं. आंध्र प्रदेश में इस तरह की अनेक चीजें हो रही हैं.
हर अधिकारी को खेत में जाना है, किसानों के साथ बात करनी है
– चुनाव से पूर्व किसानों के कर्जे माफ करने के आपके वादे का क्या हुआ? अभी इस संबंध में क्या स्थिति है?
मैंने अभी तक 8,400 करोड़ रुपया दे दिया है. चार साल की अवधि में मुझे अतिरिक्त 13-14 हजार करोड़ देना है. हम लोग योजना बना रहे हैं कि उनके लिए मैं हर साल 20 फीसदी का भुगतान करूंगा.
– लेकिन क्या आप कृषि क्षेत्र की मुश्किल को कम करने के लिए कुछ अन्य रचनात्मक उपायों के बारे में सोच रहे हैं, क्योंकि कर्जा माफी से और भी परेशानियां खड़ी होती हैं?
मैंने एक कार्यक्रम शुरू किया है
– पोलम पिलुसटोंडी
– खेत आपको बुला रहा है. हर अधिकारी को खेत में जाना है, उन्हें किसानों के साथ बातचीत करनी है. भूमि की जांच हो चुकी है और मैं पोषक तत्व 50 फीसदी सब्सिडी के साथ मुहैया करा रहा हूं. मैं उत्पादकता बढ़ाना और खर्च कम करना चाहता हूं.
मेक इन आंध्र कार्यक्रम
– मेक इन इंडिया की तरह आपका अपना मेक इन आंध्र कार्यक्रम भी है.
हां, मेरा कहना है कि मेक इन इंडिया स्वमेव मेक इन आंध्र है. हमारे पास बंदरगाह हैं, यह सबसे बड़ा एडवांटेज है. लॉजिस्टिक के लिहाज से हम बहुत मजबूत हैं और हमारे पास संसाधन भी खूब हैं.
विशाखापट्टनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे के दो सिरे हैं. एक भारत सरकार है, एशियन बैंक और जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी हमारे साथ काम कर रहे हैं. दो गलियारे चल रहे हैं- एक विशाखापट्टनम से चेन्नई और दूसरा कृष्णापट्टनम होते हुए बंगलुरु से चेन्नई.
कभी-कभी आपको राजनीति से ऊपर ऊठना होता है
– आप देश में सबसे अधिक दिनों तक रहे मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं. प्रधानमंत्री संघीय प्रतिस्पर्धा के साथ संघीय सहयोग के बारे में भी खूब बोलते हैं तथा वे कहते हैं कि वे और मुख्यमंत्री एक टीम इंडिया हैं. क्या आपने केंद्र-राज्य संबंधों के संदर्भ में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन महसूस किया है?
हम केंद्र के साथ मिल कर काम कर रहे हैं. बंटवारे के बाद मेरी मुश्किलें अलग हैं. प्रधानमंत्री ने एक बहुत अच्छा कार्यक्रम दिया है, राज्यों और केंद्र को टीम के रूप में काम करने का. देश के फायदे के लिए हमें मिल-जुल कर काम करना होगा. राजनीति में हमेशा राजनीति होगी, लेकिन कभी-कभी आपको राजनीति से ऊपर ऊठना होता है. जीएसटी के बारे में हमारी राय स्पष्ट है. यह समय की जरूरत है और इससे देश को लाभ होगा.
लोग चाहते हैं बेहतर जीवन व धन
– कहा जाता है कि आपको विकास की गति तेज करनी है, पर आपके समर्थन पर इससे नकारात्मक असर पड़ सकता है?
मैं अब संतुलन बना रहा हूं. हम राजनीति में हैं और मुझे लोगों की सेवा करने का संतोष है. लोगों की सेवा का अर्थ है कि कैसे उनकी सेवा हो, कैसे बड़े स्तर पर कल्याण किया जाये, कैसे विकास हो, संपत्ति कैसे बढ़े, सरकार के लिए संसाधन कैसे आयें. आपको सारा धन समावेशी विकास दर के लिए खर्च करना है, अन्यथा इसका कोई मतलब नहीं है. लोग बेहतर जीवन और धन चाहते हैं. उन्हें तुरंत कल्याणकारी योजनाएं भी चाहिए.
– आप अपनी विरासत को किस तरह देखा जाना पसंद करेंगे?
मैं आंध्र को सूखा रहित प्रदेश बनाना चाहता था. हमारे पास अनेक एडवांटेज हैं. मैं राज्य को 2022 तक विकसित बनाना चाहता हूं, यह तीन शीर्ष के राज्यों में एक होगा. वर्ष 2029 तक यह न सिर्फ विकास में, बल्कि खुशहाली में भी शीर्ष पर होगा. वर्ष 2050 तक यह दुनिया का बेहतरीन स्थान बनेगा. हम प्रगति की राह पर हैं, चीजें हो रही हैं.(सीएनबीसी-टीवी18 से साभार)प्रदेश को सूखा रहित बनाना अगला लक्ष्य
गोदावरी और कृष्णा नदियों को जोड़ने का काम मेरे लिए सबसे अधिक संतोषजनक काम रहा है. हमारा अगला लक्ष्य स्पार्कलर सिंचाई व्यवस्था, खेती के लिए 10 लाख तालाब और सूखे की स्थिति में रेन गन के द्वारा नमी जैसे उपायों से आंध्र प्रदेश को सूखारहित राज्य बनाने का है. अमरावती के अलावा यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कार्य होगा.
कृषि में अनिश्चितता और सुदीर्घ संकट है. गोदावरी महज 170 किलोमीटर दूर थी और समुद्र में प्रवाहित होती थी. इस पृष्ठभूमि में संकट स्पष्ट रूप से मानवीय असफलता है. अब मैंने नदियों के जोड़ने के रूप में एक समाधान पा लिया है. हमारे यहां 900 एमएम औसत बारिश होती है, इसके बावजूद सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण हमें परेशानी होती है, जबकि 500 एमएम औसत बारिश के साथ इजरायल कृषि के क्षेत्र में सफल है.
भूमिगत जल के स्तर को पूरे राज्य में तीन मीटर तक लाने की योजना है. इसके लिए हम स्मार्ट वाटर ग्रिड लगाने के प्रयास में हैं. गांवों और मंडलों में भूजल के मापन के लिए पीजोमीटर लगाने की योजना है. हम लोगों, विशेषरूप से किसानों, को इस प्रयास में जोड़ना चाहते हैं. एक मीटर भूजल का रिचार्ज 90 टीएमसी पानी के बराबर है. इसके अलावा, पानी वाष्प बन कर उड़ेगा भी नहीं और बहुत ऊर्जा भी बचायी जा सकेगी. हम पोलावरम परियोजना को 2018 तक पूरा कर लेंगे. इस मामले में केंद्रीय सहायता बहुत महत्वपूर्ण है और हमें पूरा भरोसा है कि इस परियोजना का काम निर्धारित समयावधि में पूरा हो जायेगा.
– अप्पाजी रेड्डम एवं एस संदीप कुमार से बातचीत का संपादित अंश.
(‘द हिंदू’ से साभार.)
राजधानी बनाना एक अप्रतिम अवसर है
– अब मुझे आप अपने ड्रीम प्रोजेक्ट अमरावती के बारे में कुछ पूछने दें. आप 33 हजार एकड़ जमीन नवोन्मेषी भूमि पूलिंग योजना के तहत लेने में कामयाब रहे हैं. इस संबंध में कुछ आलोचनाएं भी हुई थीं, पर आपने जमीन ले ली. मेरी जानकारी में आधिकारिक आकलन के अनुसार इस पर करीब 1.2 लाख करोड़ का खर्च आयेगा. इतनी रकम कहां से आयेगी?
और यह भी आलोचना की जा रही है कि आप इस भव्य राजधानी को बनाने पर ही पूरा ध्यान दे रहे हैं, जो बनना शुरू होगा तो 2019 के आसपास ही हिस्सों में तैयार हो सकेगा, यह भी कहा जा रहा है कि राजधानी के अलावा आपका ध्यान अन्य मसलों पर भी होना चाहिए. आप इस आलोचना का क्या जवाब देंगे कि यह सब एक तरह से सिर्फ रियल इस्टेट का खेल है?
हम बहुत स्पष्ट हैं. आज हम सिंचाई पर सबसे अधिक ध्यान दे रहे हैं. सिर्फ इसी राज्य में प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध है. गोदावरी में, तीन हजार टीएम पानी समुद्र में जा रहा है. भारत सरकार ने गोदावरी पर पोलावरम को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित किया है. तो, हम इस परियोजना पर ध्यान देते हैं. भारत में पहली बार गोदावरी और कृष्णा को जोड़ कर नदियों को जोड़ने का पहला काम हमने किया है. शुरुआत में हम 177 किलोमीटर लिफ्ट इरीगेशन के जरिये जोड़ने में सफल रहे हैं. भविष्य में जब पोलावरम की राष्ट्रीय परियोजना आ जायेगी, तब गुरुत्वाकर्षण से पानी आ सकेगा.
मैंने राज्य के सूखे से स्थायी बचाव के लिए एक कार्यक्रम दिया है- बारिश के पानी का संग्रहण, नदियों को जोड़ना, प्रभावी ढंग से पानी का प्रबंधन, और आखिरकार सूखे की स्थिति में नमी करना. इन सभी रणनीतियों पर हम काम कर रहे हैं. आखिरकार, किसी के लिए भी, एक राज्य के लिए भी, राजधानी बनाना एक अप्रतिम अवसर है. हम संकट में हैं, यह एक अवसर है.
– आप जापान आदि देशों की यात्रा करते रहते हैं. उनका रवैया कैसा रहा है? सिंगापुर साथ में है, क्योंकि उन्होंने अमरावती का मास्टर प्लान विकसित करने में मदद की है. लेकिन, वास्तविक निवेश के संदर्भ में आप धन कहां से लायेंगे?
मैं बता रहा हूं कि हम किस तरह से 33 हजार एकड़ जमीन जुटाने में सफल रहे. किसानों ने अपनी इच्छा से जमीनें दीं. इसी तरह से यह सब हुआ है. अब मुझे धन जुटाना है. अगर आप रास्ते बनायेंगे, तो धन भी आ ही जायेगा.
– आप धन जुटाने के लिए रचनात्मक तरीकों के बारे में चर्चा कर रहे थे और आपने ‘क्राउड सोर्स कैंपेन’ चलाया था कि लोग अमरावती के निर्माण में एक-एक ईंट के लिए मदद करें. हाल ही में आपने एक विज्ञप्ति जारी की थी जिसमें स्कूलों, बच्चों और शिक्षकों से भी 10 रुपये प्रति ईंट योगदान की बात कही गयी थी. क्या लोग इस विचार से जुड़ रहे हैं?
यह सिर्फ भागीदारी है. यह लोगों की राजधानी है, हर किसी को इसमें शामिल होना चाहिए, भागीदारी करनी चाहिए, यह मेरा आह्वान है.
– केंद्र सरकार का क्या रुख है? विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग के बारे में हमने कुछ नहीं सुना है. क्या इस बारे में कोई प्रगति हुई है? राजधानी के शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री यहां आये थे. क्या विशेष राज्य के दर्जे के बारे में कोई चर्चा हुई और क्या हम इस पर कोई उम्मीद कर सकते हैं तथा अगर ऐसा होता है तो आपके राज्य के लिए इसका क्या मतलब होगा?
नहीं, हम उनके साथ संपर्क में हैं. हाल ही में यह मुद्दा नीति आयोग के प्रमुख के जिम्मे किया गया है. लगता है कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को दे दी है. अब मुझे प्रधानमंत्री के साथ मिल कर काम करना है कि वे आंध्र प्रदेश को क्या मदद दे सकते हैं. अभी तक सभी संस्थानों की आधारशिला उन्होंने रखी है, जिनमें आदिवासी विश्वविद्यालय और केंद्रीय विश्वविद्यालय को छोड़ कर सबकी प्रक्रिया शुरू हो गयी है.
शुरुआती चरण में हमें भारत सरकार का पूरा सहयोग चाहिए, क्योंकि बंटवारा भारत सरकार की पहल पर ही हुआ है. तो, जो मैं भारत सरकार से निवेदन कर रहा हूं, वे बातें उन्होंने बंटवारे के कानून में उल्लिखित की हैं- विशेष दर्जा, पिछड़ा क्षेत्र विकास, घाटे की वित्तीय भरपाई, रेल क्षेत्र और हमारी सभी राष्ट्रीय परियोजनाएं तथा राजधानी के लिए मदद.
– राज्य का मौजूदा बैलेंस शीट कैसा है?
अगर आप अर्द्धवार्षिक स्तर पर देखें, तो हम पिछले साल की तुलना में 11.77 फीसदी के दर पर हैं. अखिल भारतीय दर 7.2 फीसदी है, हमारी दर 11.77 फीसदी है.
– घाटे के बारे में आपका क्या कहना है?
घाटे वहीं हैं, बहुत से कर्जों की विरासत के साथ हमारी अपनी समस्याएं भी हैं. वित्तीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन के तहत मैं तीन फीसदी से अधिक कर्ज नहीं ले सकता हूं. बंटवारे के समय भारत सरकार ने 16 हजार करोड़ के घाटे को आकलित किया था, उन्हें इस संबंध में मदद करना चाहिए. यह धन वे देंगे. उन्होंने मुझे बहुत स्पष्टता से बताया था और वित्त आयोग ने रिपोर्ट भी दी थी कि हमें वे विशेष राज्य का दर्जा और अन्य लाभ देंगे.
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