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भावनाओं को समझने में सक्षम कंप्यूटर!
अगर आप सोच रहे हैं कि कंप्यूटर इनसान की अपेक्षाओं के अनुसार काम करते हैं, तो आपको इस पर दोबारा सोचने की जरूरत है. अक्सर एप्पल के ‘सीरी’ जैसे कंप्यूटर भी इनसान द्वारा दी गयी कमांड को लेकर कन्फ्यूज हो जाते हैं. सामान्यतया कंप्यूटर शब्दों के सांख्यिकीय क्रमबद्धता के अनुसार कमांड को भांपते हैं. जबकि […]
अगर आप सोच रहे हैं कि कंप्यूटर इनसान की अपेक्षाओं के अनुसार काम करते हैं, तो आपको इस पर दोबारा सोचने की जरूरत है. अक्सर एप्पल के ‘सीरी’ जैसे कंप्यूटर भी इनसान द्वारा दी गयी कमांड को लेकर कन्फ्यूज हो जाते हैं.
सामान्यतया कंप्यूटर शब्दों के सांख्यिकीय क्रमबद्धता के अनुसार कमांड को भांपते हैं. जबकि इनसानी दिमाग शब्दों और संकेतकों के बजाये संदर्भों को पहले पकड़ता है. ‘साइंस डेली’ की रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं ने संकेतकों पर आधारित कम्युनिकेशन गेम तैयार किया है. यह दिमाग के उस जगह की कार्यप्रणाली पर आधारित है, जहां दिमाग पारस्परिक समझ को सबसे पहले पकड़ता है.
एप्पल के ‘सीरी’ और होंडा के ‘रोबोट असिमो’ जैसी डिवाइसेस इनसान के साथ बेहतर तालमेल बैठाने के लिए तैयार की जा रही हैं. लेकिन न्यूरोसाइंटिस्टों का मानना है कि आज के दौर के कंप्यूटर इंसान के मनोभावों को समझने में सक्षम ही नहीं हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, बर्केले के पोस्टडॉक्टोरल फेलो अर्जेन स्टोक अपने डच साथी के साथ मिलकर इस बात को समझने का प्रयास किया है कि इनसान का दिमाग किस प्रकार आपसी भावनाओं को परखने में सक्षम है.
स्टोक ने कंप्यूटर पर आधारित एक गेम तैयार किया, जिसमें दो खिलाड़ी एक-दूसरे से बिना बात किये और देखे दिमाग में फार्मूलों को समझने का प्रयास करते हैं. इसके बाद स्टोक ने दोनों खिलाड़ियों को एफएमआरआइ (फंक्शनल मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजर) और मस्तिष्क को स्कैन कर निष्कर्ष निकाला कि दोनों खिलाड़ी बिना बात किये कंप्यूटर द्वारा कैसे ताल-मेल बिठाते हैं. इस दौरान उन्होंने पाया कि संप्रेषण के दौरान कान तेजी से सक्रिय हो जाते हैं.
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