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इसलिए धोखा देना पड़ सकता है महंगा
दक्षा वैदकर बहुत पुरानी बात है. किसी नगर में एक डाकू रहता था. वह लूट-पाट करता और कुछ धन गरीबों में बांट देता और कुछ अपने पास रखता था. एक दिन कुछ व्यापारियों का समूह उसके इलाके से गुजरा. व्यापारियों को डाकुओं ने घेर लिया. तभी एक व्यापारी, डाकुओं से नजर बचा कर दूर पेड़ […]
दक्षा वैदकर
बहुत पुरानी बात है. किसी नगर में एक डाकू रहता था. वह लूट-पाट करता और कुछ धन गरीबों में बांट देता और कुछ अपने पास रखता था. एक दिन कुछ व्यापारियों का समूह उसके इलाके से गुजरा. व्यापारियों को डाकुओं ने घेर लिया. तभी एक व्यापारी, डाकुओं से नजर बचा कर दूर पेड़ की आड़ में छिप गया. वहीं, नजदीक एक साधु माला जप रहे थे.
व्यापारी ने अपने रुपयों की थैली साधु को संभालने के लिए दे दी. साधु ने कहा तुम निश्चिंत हो जाओ, तुम्हारा धन कहीं नहीं जायेगा और वह व्यापारी अपने साथियों के पास आ गया. उन डाकुओं ने व्यापारियों को लूट लिया, लेकिन उस एक व्यापारी ने सोचा कि उसके पैसे सुरक्षित हैं.वह खुशी-खुशी उस साधु के पास पहुंचा. उसने देखा कि वह साधु दरअसल उन डाकुओं का सरदार था, जो डाकुओं के साथ लूटे हुए रुपये बांट रहा था.
व्यापारी यह स्थिति देख निराश हो गया. वह वापस जाने लगा. तभी साधु वेशधारी डाकू ने उसे देख लिया और कहा, रुको तुमने जो रुपयों की थैली रखी थी, वह ज्यों-की-त्यों रखी हुई है. तुम इसे ले जा सकते हो. उस डाकू का आभार मान कर वह व्यापारी चला गया. तब उस डाकू के साथियों ने पूछा, सरदार आपने आया हुआ धन क्यों जाने दिया?
सरदार ने कहा, उस व्यापारी ने मुझे भगवान का भक्त मान कर भरोसे के साथ थैली दी थी. उसी कर्तव्यभाव से मैंने उन्हें थैली वापस दे दी. मैंने उसका विश्वास टूटने नहीं दिया. दोस्तों, आज इस कहानी से हम सभी को सीख लेने की जरूरत है, क्योंकि आजकल हर कोई कहने लगा है कि भरोसे का जमाना नहीं रहा. किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता. यह सच भी हैं, क्योंकि ऐसी कई गलतियां हम खुद कर बैठते हैं. कोई विश्वास के साथ हमें कुछ बताता है और हम उसकी बात किसी और से साझा कर लेते हैं.
कोई विश्वास के साथ हमें रुपये उधार में देता है और हम रुपये वापस करने का वादा तोड़ देते हैं. हमें अपनी इन आदतों को बदलना होगा. वरना समाज से विश्वास गायब हो जायेगा. आप दूसरों को धोखा देंगे, तो बदले में आपको भी कोई न कोई धोखा जरूर देगा.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– हमें किसी का विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए, क्योंकि विश्वास को तोड़ने से सच्चाई और ईमानदारी हमेशा के लिए शक के घेरे में आ जाती है.
– आप एक बार धोखा दे सकते हैं, दूसरी बार दे सकते हैं, लेकिन तीसरी बार नहीं दे सकते. क्योंकि, अगली बार कोई भी आप पर भरोसा ही नहीं करेगा.
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