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‘कहते थे कि बच्चों के बच्चे खिलाऊंगा…’

वात्सल्य राय बीबीसी संवाददाता पंजाब के पठानकोट में एयरबेस पर हुए हमले में मारे गए सुरक्षाकर्मियों में चैंपियन शूटर सूबेदार मेजर फ़तेह सिंह शामिल हैं. फ़तेह सिंह गुरदासपुर के गांव झंडा गुजरां के रहने वाले थे. फ़तेह सिंह के परिवार को उनकी मौत का ग़म तो है लेकिन इस बात का फ़ख्र भी है कि […]

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पंजाब के पठानकोट में एयरबेस पर हुए हमले में मारे गए सुरक्षाकर्मियों में चैंपियन शूटर सूबेदार मेजर फ़तेह सिंह शामिल हैं.

फ़तेह सिंह गुरदासपुर के गांव झंडा गुजरां के रहने वाले थे. फ़तेह सिंह के परिवार को उनकी मौत का ग़म तो है लेकिन इस बात का फ़ख्र भी है कि उन्होंने जो कहा वो किया.

पत्नी शोभारानी ने बीबीसी को बताया कि फतेह सिंह कहा करते थे, "जब भी लड़ाई होगी, आगे ही रहूंगा, पीछे नहीं रहूंगा. देश के लिए कुरबान हो जाऊं तो चिंता नहीं करना."

फतेह सिंह पठानकोट एयरबेस पर तैनात थे. शनिवार को एयरबेस पर हुए चरमपंथी हमले में मारे गए 7 सुरक्षाकर्मियों में वो भी शामिल हैं.

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गुरदासपुर ज़िले में बसा उनका गांव झंडा गुजरां पठानकोट से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर है.

एयरबेस पर हुए हमले की ख़बर गांव में शनिवार सुबह ही पहुंच गई थी.

फतेह सिंह के रिश्तेदार तरसेन सिंह बताते हैं, "हमें पता चला कि वहां फायरिंग हो रही है. हमने ये सोचा कि हमारा भी आदमी वहां पर है. 10 बजे पता चला कि फ़तेह साहब नहीं रहे."

भाई सुरजीत सिंह याद करते हैं कि फ़तेह सिंह हमेशा सेना की बात करते थे. गांव के बच्चों को भी फौज़ से जुड़ने के लिए कहते थे.

सुरजीत सिंह कहते हैं, "वो सारी उम्र बाहर ही नौकरी करते रहे. घर वो कभी-कभी आते थे. जब भी गांव आते थे तो मेरे छोटे लड़के को बताते थे तुम भी फौज में भर्ती होना. मैं कराऊंगा तुम्हें फौज में भर्ती."

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फतेह सिंह को उनका गांव एक चैंपियन शूटर के तौर पर भी याद करता है. उन्होंने 1995 में दिल्ली में हुई राष्ट्रमंडल निशानेबाज़ी प्रतियोगिता के 300 मीटर बिग बोर टीम स्पर्धा में गोल्ड और व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत जीता था.

लेकिन उनके कुछ सपने अधूरे रह गए. फतेह सिंह के भाई सुरजीत सिंह याद करते हैं कि उन्होंने हाल में गांव में घर बनाया था. वो इस घर में खुशियों की महफिल सजी देखना चाहते थे.

सुरजीत सिंह ने बताया, "वो बोलते थे जब मैं बेटी की शादी करूंगा यहीं पर करूंगा."

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उनकी पत्नी शोभारानी भी ऐसे ही कुछ सपनों को याद करती हैं.

वो कहती हैं, "उन्होंने बच्चों की शादी करने के लिए बोला था. वो कहते थे कि बच्चों के बच्चे खिलाऊंगा. उनकी ये इच्छा अधूरी रह गई. बाकी सब पूरी हो गई."

ये वो सपने हैं जो अब शोभारानी की आंखों में बस गए हैं और अब बाकी की ज़िदंगी वो इन्हीं में फतेह सिंह को तलाशने के इरादे में है.

शोभा रानी कहती हैं, "मेरे लिए तो मेरे साथ ही हैं वो, जब तक रहूंगी मेरे साथ ही रहेंगे वो."

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