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चोर-उचक्कों की ऑनलाइन नजरें हैं स्मार्टफ़ोन पर

आशुतोष सिन्हा टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट स्मार्टफ़ोन ने दुनिया भर में धूम मचा रखी है. हालत यह है कि जिसे देखो, स्मार्टफ़ोन के सहारे अपने कई काम करने की कोशिश करता है. अपनी ज़रूरत की जानकारी, बैंकिंग से जुड़े काम, कहीं जा रहे हैं तो रास्ते के बारे में सूचना और अगर ख़रीददारी करनी है तो सामान […]

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स्मार्टफ़ोन ने दुनिया भर में धूम मचा रखी है. हालत यह है कि जिसे देखो, स्मार्टफ़ोन के सहारे अपने कई काम करने की कोशिश करता है.

अपनी ज़रूरत की जानकारी, बैंकिंग से जुड़े काम, कहीं जा रहे हैं तो रास्ते के बारे में सूचना और अगर ख़रीददारी करनी है तो सामान खोजने से लेकर बुक करने तक का काम, सब कुछ आसानी से स्मार्टफ़ोन पर किया जा सकता है.

लोग तमाम तरह की जानकारियां खोजने के लिए अब डेस्कटॉप या लैपटॉप कंप्यूटर पर नहीं जाते. सब कुछ ऑनलाइन हो गया है, पांच इंच की छोटी सी स्क्रीन पर.

जैसे जैसे मोबाइल 2016 में आपकी ज़िन्दगी का अभिन्न हिस्सा बनता जाएगा, सिक्योरिटी से जुड़े ख़तरे आपके लिए और अहम होते जाएंगे. इसीलिए 2016 में सिक्योरिटी से जुड़े ख़तरों के बारे में जानकारी रखना आपकी सुरक्षा के लिए बहुत ही अहम होगा.

आप जैसे जैसे अपने मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल बैंकिंग और ख़रीददारी के लिए करेंगे, ऑनलाइन उचक्कों के लिए उसमें अहम जानकारी मिलती जाएगी. इसीलिए इस साल आप मोबाइल के जुड़े सिक्योरिटी के मुद्दों को लेकर काफी कुछ सुनने की उम्मीद कर सकते हैं.

डेस्कटॉप या लैपटॉप पर अब चोर उचक्कों की नज़र नहीं होगी. दुनिया भर में अब 100 करोड़ से ज़्यादा स्मार्टफ़ोन हैं. डेस्कटॉप या लैपटॉप की जगह स्मार्टफ़ोन पर अब सबसे ज़्यादा ख़तरा मंडरा रहा है.

पिछले साल वायरलरकर नाम के मैलवेयर ने सिक्योरिटी विशेषज्ञों को परेशान कर रखा था और उनके नज़र में यह पहली बार आई. इस रिपोर्ट के अनुसार एप्पल स्मार्टफ़ोन वाले लोग इससे परेशान थे.

स्मार्टफ़ोन इस्तेमाल करने वालों को हैकर ऐसा लिंक भेज देते हैं जिनपर वो क्लिक कर देते हैं. मोबाइल ऐप पर आने वाले कुछ विज्ञापनों से आपके जाने बगैर अनचाहे ऐप स्मार्टफ़ोन पर डाउनलोड हो जाएंगे.

इस साल रैनसमवेयर से जुड़ी वारदात के बारे में आप ज़्यादा कुछ सुन सकते हैं. रैनसमवेयर आपके स्मार्टफ़ोन, डेस्कटॉप या लैपटॉप पर हमला कर सकता है और ये आपको पता भी नहीं चलेगा.

रैनसमवेयर की योजना बनाने वाले आपके डिवाइस के लिए एक अटैचमेंट भेजते हैं, जिनका काम सिर्फ यह होता है कि आपके डिवाइस को लॉक कर दे.

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2014 में पहली बार इसके बारे में सुना गया था और इस साल रैनसमवेयर के तेज़ी से बढ़ने की आशंका है. इस रिपोर्ट के अनुसार, एक एंड्रॉयड डिवाइस की जानकारी को इस रैनसमवेयर ने लॉक कर दिया था. पैसे देने के बाद उन्होंने डिवाइस अनलॉक करने का पासवर्ड बता दिया.

ऐसी स्थिति में अक्सर लोग खुद पैसे देने को तैयार हो जाते हैं. कोई ज़रूरी नहीं है कि यह बहुत बड़ी रकम हो. लेकिन अगर आपको एक लाख रुपए भी देने पड़ जाएं तो बुरा तो लगेगा ही.

जो तरह तरह के कनेक्टेड डिवाइस हैं उनके कारण आपके बारे में काफी जानकारी अब ऐसे लोगों तक पहुंच रही है जिन्हें शायद उसकी ज़रुरत नहीं हो. यह भी आपके और आपकी डिवाइस के सिक्योरिटी के लिए अलग तरीके का ख़तरा पैदा कर रहा है.

कई डिवाइस पर डिफ़ॉल्ट के लॉग इन नाम और पासवर्ड सेट किए हुए होते हैं और लोग उन्हें बदलते नहीं हैं. अगर आप चाहें तो किसी भी जाने माने डिवाइस के डिफ़ॉल्ट पासवर्ड यहाँ पर देख सकते हैं. प्राइवेसी के अलावा, अभी ये साफ़ नहीं है कि ये जानकारी हैकर्स को कैसे फ़ायदा पहुंचा सकती है.

सिक्योरिटी के बारे में चिंता करने की ज़रूरत इसलिए भी है कि दुनिया के किसी भी कोने से हैकर्स आपकी डिवाइस पर नज़र रख सकते हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार 2016 के ख़त्म होते होते भारत में 200 करोड़ से ज़्यादा कनेक्टेड डिवाइस होने की उम्मीद है.

अब इतने डिवाइस पर जो अरबों रुपए विज्ञापन के लिए खर्च किए जाएंगे, उनमें ग़लत विज्ञापन को खोज कर निकालना बहुत मुश्किल है. इसीलिए लोगों को ऑनलाइन सिक्योरिटी के लिहाज़ से सावधान रहना सबसे बढ़िया तरीका है. और हर समय लोगों तक ऐसे ख़तरे के बारे में जानकारी पहुंचानी होगी.

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स्मार्टफ़ोन इस्तेमाल करने वाले अपनी ज़रूरतों को सीमित रखें तो यह साल बेहतर भी हो सकता है.आपने अगर ऐसे ऐप डाउनलोड करने की कोशिश की, जिनपर भरोसा करना मुश्किल है या ऐसे वेबसाइट पर जाने कोशिश की जो जाने माने नहीं हैं, तो आपके लिए परेशानी हो सकती है.

याद रखिये, ऑनलाइन चोर उचक्के की नज़र में ऐसे लोग हो सकते हैं, जो अपना काफी समय ऑनलाइन रहते हैं. आप उनके चंगुल में नहीं पड़ें, तो आपका साल बढ़िया बीतेगा

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