चीन ने विवादित नए आतंकवादरोधी क़ानून को पारित करते हुए कहा है कि आतंकवाद के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए ऐसा करना ज़रूरी था.
रविवार को चीनी संसद में पारित नए क़ानून के तहत नई आतंकवादरोधी एजेंसी की स्थापना की गई है. साथ ही सुरक्षाबलों को अहम अधिकार दिए गए हैं.
आलोचकों का कहना है कि क़ानून का दायरा बहुत बड़ा है और इसे असंतुष्टों और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जा सकता है.
चीन के शिनजियांग प्रांत के मुस्लिम वीगर अलगाववादियों पर हाल के वर्षों में सार्वजनिक स्थानों पर कई हमले करने का आरोप लगाया है.
पिछले हफ़्ते कई पश्चिमी देशों ने ख़तरे की ख़ुफ़िया सूचनाओं के मद्देनज़र अपने नागरिकों को बीजिंग के पड़ोसी इलाक़े सेन्लिटन न जाने की हिदायत दी थी.
नए क़ानून के तहत चीन के पास आतंकवाद का मुक़ाबला करने के लिए एक आतंकवादरोधी संस्था होगी जो देश में हो रही सभी चरमपंथी गतिविधियों और चरमपंथियों पर नज़र रखेगी और इनके ख़िलाफ़ काम करेगी.
चीन के सरकारी मीडिया ने 2014 की कुनमिंग रेलवे स्टेशन पर हमले का हवाला देते हुए इस क़ानून की आवश्यकता बताई है. कुनमिंग रेलवे स्टेशन में चाकुओं से हमला कर 29 लोगों की हत्या कर दी गई थी.
इस हमले के लिए ज़िम्मेदार चार हमलावरों को वीगर समूह का बताय गया था.
नए क़ानून के तहत अधिकारियों को निजी संचार पर भी निगरानी रखने का ज़्यादा अधिकार होगा. हालांकि सरकार ने साफ़ किया है कि दूसरे देशों की तरह ही ये व्यक्तिगत आज़ादी का उल्लंघन नहीं करेगा.
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