प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस की दो दिवसीय यात्रा के बाद कुछ देर के लिए अफ़ग़ानिस्तान पहुँचे हैं, जहां वे अफ़ग़ानिस्तान के संसद भवन का उद्घाटन कर रहे हैं.
अफ़ग़ानिस्तान में भारत के राजदूत रहे राकेश सूद मोदी के इस दौरे को चुनौतीपूर्ण बताते हैं. बीबीसी से बातचीत में उनका कहना था-
हालांकि दौरा छोटा होगा लेकिन दक्षिण एशिया के राजनीतिक और कूटनीतिक समीकरणों के लिहाज़ से इसे बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
पिछले साल अशरफ़ ग़नी के राष्ट्रपति बनने के बाद से अफ़गान विदेश नीति में काफ़ी बदलाव आए हैं. ग़नी के बयानों से लगा था कि वे पाकिस्तान से संबंध बेहतर बनाने के इच्छुक हैं.
वह कई बार पाकिस्तान जा चुके हैं. नवाज़ शरीफ़ भी कई बार अफ़ग़ानिस्तान आ चुके हैं. उनकी भारत यात्रा भी बहुत देर से इस साल अप्रैल में हुई.
ऐसे में नरेंद्र मोदी की यात्रा ख़ुद स्थिति का जायज़ा लेने जैसी बात है.
क़रीब दो महीने पहले अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हनीफ़ अत्मर भारत आए थे. उनके उप विदेश मंत्री हिक़मत करज़ई भी आए थे. उन्होंने हमें बताया था कि वहां क्या स्थिति है.
अफ़ग़ान राष्ट्रपति को उम्मीद थी कि पाकिस्तान से बेहतर संबंधों के चलते तालिबान के हमले कम हो जाएंगे, लेकिन वो पहले की तरह जारी हैं.
ग़नी की कोशिशों के बाद पाकिस्तान बातचीत में शामिल भी हुआ. तभी ख़बर आई कि मुल्ला उमर की दो साल पहले मौत हो गई है. इसके बाद तालिबान में ही खलबली मच गई.
तब राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने पाकिस्तान की तीखी आलोचना भी की थी.
हनीफ़ अत्मर ने बताया था कि तालिबान के साथ शांति प्रक्रिया की राह में चुनौती यह है कि वो बात करें तो किससे और क्या, क्योंकि तालिबान के भीतर ही गड़बड़ चल रही है.
पाकिस्तान इसे जानता है क्योंकि पाकिस्तान के तालिबान से बेहतर और आईएसआई के तो बहुत घनिष्ठ संबंध हैं. ऐसे में हो सकता है कि ग़नी इस पर मोदी से खुलकर बात करें.
अफ़ग़ानिस्तान में संसद भवन का निर्माण हमारी बहुत बड़ी परियोजना थी. 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने इसकी नींव रखी थी.
सुरक्षा कारणों से इसके पूरा होने में देरी हुई है लेकिन अब इसे अफ़ग़ानिस्तान को सौंपे जाने का समय हो चुका है.
भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निर्माण में बहुत मदद की है. अब अफ़ग़ानिस्तान भारत से रणनीतिक संबंध भी बहाल करने की कोशिश कर रहा है.
भारत ने हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान को एमआई-17 हेलिकॉप्टर देने की बात कही है, जो उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
इसलिए आने वाले महीनों में रक्षा क्षेत्र में भी हमारे संबंध और मज़बूत होने की उम्मीद है.
(बीबीसी हिंदी के लिए रोहित जोशी से हुई बातचीत पर आधारित)
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