दक्षा वैदकर
कुछ लोग जीवन में सफलता तो पाना चाहते हैं. कहते भी हैं कि उसके लिए वे कुछ भी करने को तैयार हैं. साथ ही कुछ बहाना भी जोड़ देते हैं. मसलन, ‘मैं दुबला तो होना चाहता हूं, लेकिन मैं सुबह उठ कर एक्सरसाइज नहीं कर सकता.
मैं अच्छा रिजल्ट चाहता हूं, लेकिन मैं ज्यादा देर बैठ कर पढ़ नहीं सकता. मैं बिजनेस को ऊंचाईयों पर ले जाना चाहता हूं, लेकिन रोजाना नये लोगों से मिलना-जुलना मेरे बस की बात नहीं.’ अगर आप भी ऐसे ही हैं, तो बेहतर है कि आप सपने देखना छोड़ दें, क्योंकि आपमें किसी चीज को पाने की इच्छा तो है, लेकिन आप उस चीज को पाने के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं. कमिटेड नहीं हैं. ऐसे ही कुछ लोग सपनों की बात तो बहुत करते हैं, साथ में कंडीशन लगा देते हैं. जैसे, मैं ये चीज तीन महीने तक ट्राई करूंगा, अगर तब तक कुछ नहीं हुआ, तो फिर छोड़ दूंगा.
ऐसे लोग भी अपने लक्ष्य के प्रति कमिटेड नहीं हैं. उनकी यह कंडीशन बताती है कि उन्हें खुद पर भरोसा नहीं. उन्हें तो यह कहना चाहिए कि ऐसे कैसे यह काम नहीं होगा, मैं इसे कर के दिखाऊंगा. चाहे कुछ भी हो जाये. कितना ही समय लग जाये. जब तक यह काम होगा नहीं, मैं चैन से नहीं बैठूंगा.
दोस्तों, सक्सेस पाने के लिए हमें पहले इंटरेस्टेड और कमिटेड के अंतर को समझना होगा. आप खुद सोचो कि अगर सचिन तेंडुलकर क्रिकेटर बनने की सिर्फ इच्छा रखते और इस लक्ष्य के प्रति कमिटेड न होते, तो क्या वे क्रिकेटर बनते? अमिताभ बच्चन कमिटेड न होते, तो शुरू के रिजेक्शन के बाद ही मुंबई छोड़ कर चले नहीं गये होते. हमें भी इन्हीं महान हस्तियों की तरह बनना होगा.
लक्ष्य पाने के लिए हर काम करने के लिए तैयार रहना होगा. सपने तक पहुंचने के रास्ते में आपके सामने कई मुसीबतें आयेंगी, आपको चोट लगेगी, आप गिरेंगे, लेकिन आपको चलते रहना है. जब आप लक्ष्य के प्रति कमिटेड रहेंगे, तो आप आगे की प्लानिंग खुद-ब-खुद करते जायेंगे. आपको नये-नये आइडियाज मिलते जायेंगे, आपको रास्ता नजर आने लगेगा. इसलिए दोस्तों, इंटरस्टेड मत बनिये, कमिटेड बनिये.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– कमिटेड का मतलब है, जिस चीज को हम पाना चाहते हैं, उसके लिए जी-जान से जुट जाना. हजार मुश्किलों का सामना करना पड़े, तो करना.
– अपने सपनों को पाने के लिए केवल इच्छा न जताएं. कमिटेड रहें. नींद का त्याग करें, मेहनत करें. फिर देखो, आपका वो सपना कैसे पूरा नहीं होता.