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जागरूकता अभियान से ही रुक सकती है महिला हिंसा

एक आकड़ा के मुताबिक पिछले एक दशक में राज्य में लगभग 1500 महिलाओं को डायन बिसाही के नाम पर हत्या कर दी गई. साथ ही दहेज उत्पीड़न, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, बाल विवाह तथा बलपुर्वक गर्भपात कराने जैसे मामले मे भी वृद्धि हुई है. राज्य में महिला हिंसा को रोकने के लिये जनप्रतिनिधियों की अह्म भूमिका […]

एक आकड़ा के मुताबिक पिछले एक दशक में राज्य में लगभग 1500 महिलाओं को डायन बिसाही के नाम पर हत्या कर दी गई. साथ ही दहेज उत्पीड़न, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, बाल विवाह तथा बलपुर्वक गर्भपात कराने जैसे मामले मे भी वृद्धि हुई है. राज्य में महिला हिंसा को रोकने के लिये जनप्रतिनिधियों की अह्म भूमिका है. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं साथ हुए उत्पीड़न और हिंसा की कई घटनाओं का कोई ब्योरा ही नहीं होता. महिला हिंसा के संर्दभ में पंचायत प्रतिनिधि ने महिला जनप्रतिनिधियों से बातचीत की और जानना चाहा कि वे अपने क्षेत्र मे महिला हिंसा रोकने के लिये व्यक्तिगत तौर पर क्या कर रही हैं. प्रस्तुत है शिकोह अलबदर के साथ उनकी बातचीत के मुख्य अंश:

क्या कहते हैं प्रखंड प्रमुख
समूह के माध्यम से किया है महिलाओं को संगठित
अजंनी देवी,प्रखंड प्रमुख, साहेबगंज प्रखंड, साहेबगंज

महिला जनप्रतिनिधि होने के नाते पंचायत स्तर की महिला प्रतिनिधियों के साथ गांव गांव जाकर ग्रामीणों को यह बताते हैं कि महिला हिंसा नहीं होनी चाहिए. नशा का सेवन कर पत्नी तथा बहू आदि के साथ हिंसा करने वाले परिवार को समझाया जाता है. मामले को कचहरी पुलिस के पास ले जाने से पहले सुलह कराने का काम करते हैं. समूह को प्रोत्साहन देकर महिलाओं को संगठित करते हैं. डायन बिसाही जैसे मामलों मे होने वाली हिंसा को रोकने के लिए कानूनी पहल की जाती है. समूह के माध्यम से महिलाओं को दहेज संबंधी कानून की जानकारी प्राप्त करवाते हैं. स्वावलंबी बनाकर महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा को रोकने का प्रयास रहता है.

कार्यशाला के माध्यम से रोका हिंसा
सोनी चौरसिया, प्रखंड प्रमुख , जमुआ, गिरिडीह
महिला जनप्रतिनिधि के रूप मे मेरा महिलाओं को उनके प्रति होने वाली हिंसा के विषय पर समझ विकसित करने का प्रयास रहता है. संजीवनी के माध्यम से ग्रामसभा में इस विषय की चर्चा करते है. हिंसा का एक रूप जबरदस्ती करवाये जाने वाला गर्भपात भी है. इस विषय पर महिलाओं को संगठित कर कार्यशाला का आयोजन करते हैं. पंचायत स्तर की महिला प्रतिनिधियों को घर घर जाकर इस होने वाली हिंसा पर जानकारी हासिल करने को कहा जाता है. दहेज हिंसा के मामले में महिला के परिवार वालों को समझाते हैं अन्यथा कानूनी मदद लेनी पड़ती है.

रोजगार से रोका है हिंसा
रवीता देवी, प्रखंड प्रमुख, बाघमारा, धनबाद

महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने के लिए हमारा यह प्रयास है कि हम महिलाओं को अधिक से अधिक स्वावलंबी बनायें. ग्रामीण महिलाओं को समूह से जोड़ा जा रहा है. उनके रोजगार की व्यवस्था की जा रही है. क्षेत्र में दहेज उत्पीड़न के मामले अधिक है. महिला जनप्रतिनिधि के रूप में महिलाओं को दहेज विरोध के लिए जागरूक करने के साथ साथ आवश्यक्ता पड़ने पर कानूनी कारवाई करने की पहल भी करनी होती है. इससे काफी सकारात्मक असर देखने को मिल रहे हैं.

स्वस्थ जानकारी को प्राथमिकता
पुतुल सोरेन, प्रमुख, सरैयाहाट, दुमका
हमारे क्षेत्र में डायन बिसाही से होने वाली हिंसा के मामले अधिक हैं. इसे रोकने के लिए स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को स्वस्थ जानकारी दी जाती है.उन्हें वास्तविक तथ्यों से परिचित कराया जाता है. हम लड़के लड़कियों में शिक्षा के लिए अधिक से अधिक प्रोत्साहन दे रहें हैं ताकि यह अंधविश्वास मिटाया जा सके. महिला हिंसा को लेकर पंचायत स्तर पर महिला समूह की बैठक करवाते हैं और उन्हें जागरूक करने का काम होता हैं.

चलाया है नशा विरोधी अभियान
शालिनी गुप्ता, प्रमुख, डोमचांच, कोडरमा
महिला हिंसा को रोकने के लिए एक जनप्रतिनिधि के रूप में मेरा यह प्रयास होता है कि महिला मंडल के माध्यम से इन्हें जागरूक करें. इस क्षेत्र मे शराब पीकर पुरुषों द्वारा घर की महिलाओं के साथ मारपीट के मामले अधिक हैं. हमने इसके लिए उत्पाद विभाग को सूचित किया है ताकि गैर लाईसेंसी शराब दुकानों को बंद करवाया जा सके. साथ ही पंचायत स्तर पर महिला समूह के साथ शराब विरोधी अभियान आयोजित करते हैं. स्थानीय युवाओं की टीम तैयार की गई है जिन्हें घरेलू हिंसा वाले स्थान पर साथ ले जाकर मामले को सुलझाने का प्रयास किया जाता है. नहीं सुलझने की स्थिति में थाना को भी र्पिोट करते हैं.

कर रहें हैं महिला मंडल को सशक्त
विश्वासी लकड़ा, प्रमुख, पालकोट, गुमला
हम अपने स्तर से महिला मंडल के माध्यम से महिलाओं को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. प्रखंड में नशा कर हिंसा के मामले ज्यादा है इसलिए हमने नशा मुक्ति अभियान चलाया है. महिलाओं की तस्करी के मामले में पुलिस प्रशासन को अविलंब सूचना देते हैं. महिला मंडल की हमेशा बैठक कर तस्करी तथा नशा के माध्यम से होने वाली महिला उत्पीड़न पर चर्चा करते हैं. मेरा यह प्रयास होता है कि लड़कियों को अपने अधिकरों की भी शिक्षा दें तथा उन्हें इस रूप से प्रशिक्षित कर सकें ताकित किसी भी प्रकार की हिंसा होने पर विरोध कर सकें.

उत्पीड़न की सूचना पर कराते हैं अविलंब कारवाई
ऋषि बाला, प्रखंड प्रमुख, ईटखोरी, चतरा

महिलाओं के प्रति हो रहे हिंसा पर रोक लगाने के लिए रैली और नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक कराने मे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हुँ. हमने हर बालिका विद्यालय, कॉलेज, अस्पताल आदि जगहों पर अपना मोबाइल नंबर दे रखा है ताकि किसी भी प्रकार की उत्पीड़न की सूचना मिलने पर आवश्यक कारवाई की जा सके. पंचायत स्तर पर बैठक कर किसी भी प्रकार की घरेलू हिंसा के मामलों पर सुलह करते है अथवा कानूनी कारवाई करते है. यदि बात नहीं सुलझती तो पुलिस की मदद लेते हैं. पुलिस द्वारा त्वरित कारवाई न करने पर हम उच्च पदाधिकारी की मदद से दबाव बनाते हैं. लड़कियों को हिंसा के प्रति कानूनी जानकारी दिलवाते हैं.

महिलाओं को किया है जागरूक
कौया देवी, प्रखंड प्रमुख, बोलवा, सिमडेगा
महिला हिंसा को रोकने के लिए हम महिलाओं को जागरूक कर रहे हैं. हम बताते हैं कि डायन बिसाही अंधविश्वास है और अपने प्रखंड के सभी पंचायत में ग्रामीणों को इस विषय मे सही जानकारी दे रहे हैं. उत्पीड़न के मामले को रोकने के लिए महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से स्वावलंबन की दिशा मे काम किया जा रहा है. पंचायत स्तर की जनप्रतिनिधियों की बैठक करते हैं. दहेज हिंसा को रोकने के लिए परिवार से मिलते. उन्हें समझाते है. साथ ही हिंसा को रोकने के लिए हर प्रकार के प्रचार प्रसारके माध्यमों का इस्तेमाल करते हैं.

सुनें मुखिया की भी

पलायन रोकने की दिशा मे कर रहे हैं काम

पूनम देवी, मुखिया, तुतलो पंचायत, बेड़ो, रांची
हम महिलाओं का हमेशा आगे बढ़ाने का काम कर रहें हैं. गांव में ही रोजगार देकर उनके पलायन को रोकना है ताकि बाहर जाकर उनका शारीरिक मानसिक उत्पीड़न हो. घरेलू हिंसा के गंभीर मामले को पंचायत मे ही सुलझा लेते हैं. समय समय पर महिला समूह के सभा मे इन विषयों की चर्चा कर उन्हें जागरूक करते हैं.

हिंसा की विषय में चर्चा कर देते है सलाह
बिंदु मंडल, मुखिया, बाँक पंचायत, मोहनपुर प्रखंड, देवघर
जिस प्रकार की महिलाओं के खिलाफ हिंसा होती है उसे रोकने के लिए हम लगातार स्वयं सहायता समूह के साथ बैठक कर इस विषय में चर्चा करते हैं.महिलाओं को जागरूक करते हैं. हमने बाल विवाह को रोका है. यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए हम अभिभावकों को ग्राम सभा के बैठक में सलाह देते है कि अपने बेटियों से किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के मामले पर खुल कर बात करें. ग्रामीण महिलाओं को डायन बिसाही के विषय पर उनकी समझ को विकसित करते है. उन्हें वास्त्विक तथ्य से अवगत कराते हैं. दहेज मामलों पर हम पंचायत मे बैठक कर दोनों पक्षों की सुलह करवाते हैं.

ग्रामसभा के माध्यम से लोगों को करती हुँ जागरूक
बिरेजनीया सोरेगं, मुखिया, कोनमेंगरा पंचायत,ठठाईटांगर प्रखंड, सिमडेगा
महिला जनप्रतिनिधि होने के नाते मैं महिला हिंसा रोकने के लिए ग्रामसभा के माध्यम से लोगों को जागरूक करती हुँ. दहेज उत्पीड़न तथा तस्करी के मामले ज्यादातर आते हैं. दहेज उत्पीड़न के मामले मे दोनों पक्षों को समझाते हैं. तस्करी के मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है. महिला समूह के माध्यम से इस तरह से होने वाले गलत प्रभाव के विषय में बताया जाता है. किसी भी तरह के महिला हिंसा की सूचना पाकर पंचायत लगाते हैं और समस्या को सुलझाया जाता है. महिलाओं को रोजगार दिलाकर और अधिक सशक्त कर रहे हैं.

पंचायत लगा कर रोका है बाल विवाह
लीलावती देवी, चपका पंचायत, प्रखंड घाघरा, गुमला
मैं गांव गांव जाकर तथा ग्रामसभा में बैठक कर लोगों को जागरूक करती हुँ. यह बताती हुँ कि डायन बिसाही अंधविश्वास है. बाल विवाह को रोकने के लिए पंचायत लगाकर अभिभावकों को इससे लड़की पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव के बारे में बताती हुँ. साथ ही विद्यालयों मे नाटक का मंचन आदि करवा कर महिला तस्करी, नशाखोरी से हिंसा आदि के विषय में परिवारवालों तक संदेश पहुंचाने का काम कर रही हुँ.

स्वावलंबन के लिए किया प्रेरित
अर्चना महतो, मुखिया, मुर्रामकला पंचायत, रामगढ़ प्रखंड, रामगढ़
विभिन्न प्रकार के महिला हिंसा को रोकने के लिए हर सप्ताह महिलाओं की बैठक कर उन्हें स्वावलंबन के लिए प्रेरित किया है. दस औरतों की टीम बनायी है जो घर घर जाकर डायन बिसाही की चर्चा को ही खत्म करने का काम कर रही हैं. उन्हें संबंधित बीमारियों के बारे मे बताया जाता है. हम डोरटूडोर जाकर यह बता रहे हैं कि दहेज अपराध है. प्रभात फेरी निकालते है साथ ही महिलाओं में उनके अधिकार से संबंधित जानकारी के पर्ची भी बाटंते हैं.

सामूहिक बैठक में करती हुँ जागरूक
सलोमी बेसरा, मुखिया, बनियापसार पंचायत, पाकुड़िया प्रखंड, पाकुड़
पंचायत में डायन बिसाही के आरोप में तथा नशा कर महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है. इसे रोकने के लिए हम ग्रामसभा के माध्यम से महिलापुरुष को समझाते है कि वास्तविकता में यह किसी प्रकार की बीमारी होती है. सही इलाज के लिए सलाह दिया जाता है. ओझा के पास जाने से रोकते हैं. सामूहिक बैठक में समझाते हैं कि नशा कर घर की महिला के साथ अत्याचार करें.

महिला हिंसा रोकने के लिए बनाया है कोर कमेटी
एमरेंसिया कुजूर, मुखिया, चैनपुर पंचायत, प्रखंड चैनपुर, गुमला
महिला हिंसा को रोकने के लिए कोर कमेटी बनाया है जिसका नाम है विवाद निपटारा कमेटी. गांव के लोगों को कमेटी में शामिल किया है जिसमें विवाद निपटारा के समय हिंसा पर चर्चा की जाती है. पंचायत बैठक कर हिंसा के मामलों का निबटारा करती हुँ. महिलाओं का स्वावलंबी बनाने के साथ साथ अधिकारों की जानकारी देना मेरा काम है.

मुखिया जनता दरबार में करती हुँ हिंसा के मामले की सुनवाई
डॉ. पुर्णिमा चक्रवर्ती, मुखिया, लखनपहाड़ी पंचायत, गोडडा
घरेलू हिंसा के मामले हमारे पास ज्यादा आते हैं. हम मुखिया जनता दरबार लगाकर ऐसे मामलों की सुनवाई करते हैं. साथ ही महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त कर रहे हैं ताकि महिलाओं के खिलाफ हो रहे हिंसा को रोका जा सके.

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