आपके नाम में एपीजे का क्या मतलब है?
एपीजे यानी अबुल पाकिर जैनुलब्दीन. अबुल मेरे दादा का नाम है, पाकिर परदादा का नाम और जैनुलब्दीन पिता का.
आप सभी के रोल मॉडल हैं. आपका रोल मॉडल?
जब मैं 10 साल का था तो मेरे टीचर थे शिवा सुब्रह्माण्यम अय्यर. उन्होंने मुङो सिखाया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं. इससे मुङो जीवन में लक्ष्य तय करना सीखा और नॉटिकल इंजीनियर, रॉकेट इंजीनियर और स्पेस टेक्नॉलिजस्ट बना. मेरे दूसरे रोल मॉडल थे प्रो. सतीश धवन, जिनका मेरे कैरियर में अहम योगदान रहा.
अच्छे आदमी के क्या-क्या लक्षण हैं?
दिल का साफ-सुथरा होना, जैसे भगवान राम थे. जब उनकी सौतेली मां ने जंगल जाने के लिए कहा तो तुरंत तैयार हो गये. ऐसी अच्छाई तीन लोग ही सिखा सकते हैं- माता-पिता और आपके प्राइमरी स्कूल के टीचर.
सिर्फदो-तीन किताबें पढ़नी हों, तो आप कौन-सी बुक रिकमंड करेंगे?
एक तो जूनियर वॉटसंस की ‘लाइट्स फ्रॉम मैनी लैंप्स’. इसमें महान लोगों के जीवन और संघर्षों की दास्तान हैं. दूसरी किताब है तिरु वल्लुवर लिखित तिरु कुरल. यह तमिल ग्रंथ है. इसमें बताया गया है कि राजा में क्या-क्या गुण होने चाहिए, हमारा परिवार और शिक्षा व्यवस्था कैसी हो.
जीवन ने आपने क्या-क्या सीखा?
पहली बात यह कि जब 20 साल से पहले ही जीवन का लक्ष्य तय कर लें. दूसरा, लगातार सीखते रहें और जानकारी बढ़ाते रहें. तीसरी बात मेहनत करते रहें और काम में जुटे रहें. चौथी यह कि जब कोई समस्या आये तो आप परिस्थिति को नियंत्रित करें और जीत हासिल करें. साथ ही सदा अच्छे लोगों के संपर्क में रहें.
भारत सदा से शांति का पक्षधर रहा है. तो क्यों इसके लिए परमाणु अस्त्र विकसित करना जरूरी हुआ?
इसलिए कि हमारे पड़ोसियों के पास यह क्षमता हासिल हो गयी थी और आत्मरक्षा के लिए यह कदम जरूरी था.
क्या कंप्यूटर इनसानी दिमाग की जगह ले सकता है?
नहीं, कंप्यूटर को इनसान ने बनाया है, जबकि इनसानी दिमाग को कुदरत ने. यहां तक कि मैं इनसानी क्लोनिंग के भी खिलाफ हूं.