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उड़नखटोले के बगैर नहीं जमता रंग

चुनाव के दिनों में हेलीकॉप्टर से प्रचार का चलन तेजी से बढ़ा है. बिहार के इस चुनाव में आसमान में घर्र-घर्र करते हेलीकॉप्टर भी काफी दिखेंगे. चुनाव प्रचार में आया यह बहुत बड़ा बदलाव है. राजनीतिक दलों का कहना है कि चुनाव प्रचार के लिए उन्हें इतनी मोहलत नहीं मिल पाती कि सड़क मार्ग या […]

चुनाव के दिनों में हेलीकॉप्टर से प्रचार का चलन तेजी से बढ़ा है. बिहार के इस चुनाव में आसमान में घर्र-घर्र करते हेलीकॉप्टर भी काफी दिखेंगे. चुनाव प्रचार में आया यह बहुत बड़ा बदलाव है.
राजनीतिक दलों का कहना है कि चुनाव प्रचार के लिए उन्हें इतनी मोहलत नहीं मिल पाती कि सड़क मार्ग या किसी दूसरे माध्यम से वोटरों के बीच संपर्क कर सके. ज्यादा से ज्यादा वोटरों व क्षेत्रों में पहुंचने की गरज से हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल अंतिम विकल्प होता है. एक-एक दिन आठ से दस सभाएं हेलकॉप्टर की सवारी से भी संभव हो पाती है.
राज्य में चुनाव की आहट के साथ ही हेलीकॉप्टर से उड़ने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. एक नेता ने तो पहले से ही किराए पर हेलीकॉप्टर ले रखा है. वह इससे प्रचार के बदले किसी घटना-दुर्घटना पर लोगों को सांत्वना देने पहुंचते हैं. जाहिर है कि चुनाव की आहट के साथ ही उडनखटोलों की मांग भी बढ़ गयी है.
राजनीतिक दल हेलीकॉप्टर लेने के लिए जैसे एक-दूसरे से होड़ कर रहे हों. हेलीकॉप्टर की मांग बढ़ने से विमानन कंपनियों को मोटी कमाई की उम्मीद है. जानकारी के मुताबिक इस बार राज्य में चुनावी मौसम में हर रोज आधा दर्जन से ज्यादा हेलीकॉप्टर आसमान में चक्कर लगाते नजर आयेंगे.
इसमें सबसे ज्यादा हेलीकप्टर भाजपा किराए पर ले सकती है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने राज्य में कम से कम दो हेलीकप्टर किराए पर लेने का फैसला लिया है. साथ ही, जरूरत के मुताबिक वह एक अतिरिक्त हेलीकॉप्टर भी किराए पर ले सकती है. हालांकि इसके बारे में आधिकारिक तौर पर पार्टी यह नहीं बताया है कि वह प्रचार के लिए कितने हेलीकॉप्टर ले रही है.
राजनीतिक पार्टियों ने उन नेताओं की लिस्ट बनानी शुरू कर दी है जिन्हें प्रचार में हेलीकॉप्टर से जाना है. इसके लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नेताओं के नाम की सूची तैयार की जा रही है. प्रदेश स्तर के कुछ बड़े नेताओं को छोड़कर शायद ही किसी को उड़नखटोले पर उड़ने का मौका मिले.
कुछ बड़ी पार्टियां दूसरे राज्यों से बड़े नेताओं को लाने के लिए जेट विमान भी किराए पर लेने के लिए विचार कर रही हैं. उन्हें पटना लाकर हेलीकॉप्टर से दूर-दराज कके क्षेत्रों में भेजा जायेगा. राज्य स्तरीय पार्टियां भी हेलीकॉप्टर लेने की योजना बना रही हैं. हालांकि वाम पार्टियों की ओर से हेलीकॉप्टर से प्रचार की कोई योजना नहीं है.
प्रति घंटे 1.20 लाख किराया
विमानन कंपनियां प्रति घंटे के हिसाब से 90 हजार से 1.20 लाख रुपये किराया वसूली करती हैं. चुनाव के दिनों में इन कंपनियों की अच्छी-खासी कमाई होती है. राजनीतिक पार्टियों के लिए किराया भुगतान कोई मसला नहीं होता है. उन्हें लगता है कि हेलीकॉप्टर से जनता के बीच जाना कई मायने में फायदेमंद होता है.
सबको चाहिए हेलीकॉप्टर
पार्टी छोटी हो या बड़ी, सभी हेलीकॉप्टर से प्रचार करना चाहती हैं. सूत्रों के मुताबिक बड़ी और छोटी पार्टियों ने अलग-अलग विमानन कंपनियों से संपर्क कर किराए के बारे में जानकारी मांगी है. विमानन कंपनियों को उम्मीद है कि इस चुनाव में जिस प्रकार से डिमांड आ रही है, उससे कमाई भी अच्छी होगी.

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