लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सोमवार को कांग्रेस पार्टी के 25 सांसदों को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया है. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है.
लोकसभा में कांग्रेस के कुल 44 सांसद हैं. कांग्रेस के सांसद सोमवार को बाज़ू पर काली पट्टी बांधकर और हाथों में तख़्तियां लिए संसद में पहुंचे थे और अध्यक्ष के बार-बार मना करने के बावजूद उनकी कुर्सी के सामने से हटने को तैयार नहीं थे.
इसके बाद अध्यक्ष ने उन्हें नियम 374 (ए) के तहत निलंबित कर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे प्रजांतत्र के लिए काला दिन क़रार दिया है.
विपक्षी दलों ने कांग्रेस के साथी सांसदों के समर्थन में संसद के बहिष्कार का फ़ैसला लिया है.
पहले कब-कब?
लेकिन ये पहली बार नहीं है जब सांसदों का निलंबन हुआ है.
इस नियम के तहत किसी सांसद को अव्यवस्था फैलाने – "बार-बार अध्यक्ष की कुर्सी के सामने पहुंचने के लिए या बार-बार संसद के नियमों को तोड़ने, नारे लगाने या उसकी कार्यवाही में बाधा पहुंचाने के लिए" पांच बैठकों तक के लिए निलंबित किया जा सकता है.
- 15वीं यानी पिछली लोकसभा में ऐसे मौक़े रहे हैं जब सांसदों को निलंबित किया गया.
- फ़रवरी 2014 में लोकसभा के शीतकाल सत्र में 17 सांसदों को 374 (ए) के तहत ही नलंबित कर दिया गया था.
- 2013 में मानसून सत्र के दौरान, अगस्त 23 को लोकसभा अध्यक्ष ने संसद की कार्यवाही में रुकावट पैदा करने के लिए 12 सांसदों को निलंबित कर दिया था.
- इन 12 लोगों में से नौ को सितंबर 2 को फिर से निलंबित कर दिया गया था. हर बार सांसदों को पांच बैठकों के लिए निलंबित किया गया था.
- संसदीय इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था. सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे. अध्यक्ष ने 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था. चार अन्य सांसद उनके साथ सदन से बाहर चले गए.
मौजूदा सत्र में संसद की नौ बैठकें हो चुकी हैं जिस दौरान लोकसभा ने अपने कुल कामकाज के मात्र 14 फ़ीसद समय और राज्यसभा में ये महज़ आठ प्रतिशत समय काम किया है.
(पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के डॉटा पर आधारित)
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)