स्वास्थ्य विशेषज्ञ व सांख्यिकी मामलों में निपुण हैं प्रशांत किशोर
नरेंद्र मोदी की चुनावी रणनीति को मुकम्मल बनाने में प्रशांत किशोर बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. वह 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं. इसके लिए अमेरिकी चुनावों में पीएसी की भांति सीएजी (सिटीजन फॉर एकाउंटेबल गवर्नेस) काम कर रहा है, जिसमें युवा पेशेवर भी शामिल हैं.
नयी दिल्ली : युवा संगठन सिटीजन फॉर एकाउंटेबल गवर्नेस (सीएजी) ने पिछले सप्ताह राष्ट्रीय स्तर पर कॉलेज छात्रों के साथ मिल कर दिल्ली में एक भव्य आयोजन किया. इसमें गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की. इस आयोजन के पीछे सुर्खियों से इतर रहनेवाले मोदी के एक विश्वासपात्र का अहम योगदान रहा, जिनका नाम है प्रशांत किशोर. स्वास्थ्य विशेषज्ञ और सांख्यिकी मामलों में निपुण होने के साथ ही 35 वर्षीय किशोर संयुक्त राष्ट्र के एक अफ्रीकी मिशन के प्रमुख भी रह चुके हैं.
वे मोदी के साथ दिसंबर, 2011 से काम कर रहे हैं. इस दरम्यान वे मोदी के अहम विश्वासपात्रों और रणनीतिकारों में से एक बन कर उभरे हैं. वे मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर रह कर कार्य करते हैं और सीधे मोदी को ही रिपोर्ट करते हैं. हालांकि न तो वे भाजपा के सदस्य हैं और न गुजरात सरकार से जुड़े हुए हैं.
भारत का पहला पीएसी
जब भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार मोदी के साथ काम करने की ललक को लेकर युवा विशेषज्ञों का एक समूह उनके ऑफिस पहुंचा तो वे प्रशांत किशोर ही थे, जिन्होंने उन्हें भारत के पहले पब्लिक एक्शन कमेटी (पीएसी) के तौर पर उभारने के लिए संगठित किया. इस तरह की ‘पीएसी’ ने अमेरिकी चुनावी अभियान में एक नया आयाम जोड़ा था, लेकिन भारत में इसकी जड़ें जमनी अभी बाकी हैं.
पीएसी फंड उगाहने के साथ ही किसी राजनीतिक पद के लिए एक विशेष उम्मीदवार के पक्ष में समर्थन जुटाने का अभियान चलाती है. यह उम्मीदवार के पक्ष में प्रभावकारी हवा बनाती है. वर्ष 2012 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के अभियान के दौरान पीएसी समर्थित रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी ने विज्ञापन पर 12 मिलियन डॉलर खर्च किया था.
सीएजी
सीएजी एक गैर लाभकारी कंपनी है, जो पार्टटाइम सदस्यों के अलावा 60 फुलटाइम सदस्यों का एक सक्रिय समूह है. 2014 चुनाव के मद्देनजर इस समूह का लक्ष्य पांच लाख वालंटियर को जोड़ने का है. अगर इसमें वे सफल हो जाते हैं, तो मोदी के पक्ष में मजबूत सक्रिय युवा शक्ति खड़ी हो जायेगी, जो न सिर्फ भाजपा से स्वतंत्र होगी बल्कि अन्य राजनीतिक दलों के निष्क्रिय मोरचे से अधिक प्रभावशाली होगी.
सीएजी के तहत ही मंथन, संवाद और आइ वोट कैंपेन चलाये जा रहे हैं. संवाद के जरिये जहां देश में किसानों के आत्महत्या करने को संवेदनशीलता से उठाया गया है, वहीं युवाओं को उनके वोट देने के अधिकार के प्रति जागरूक किया जा रहा है.
हालांकि, प्रशांत किशोर ने इस खबर पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. उधर, सीएजी के एक प्रवक्ता ने कहा कि, इस विचार को व्यापक स्वरूप देने में कई महत्वपूर्ण मौकों पर प्रशांत किशोर की राय ली गयी है. विचारों और एक मजबूत बोर्ड के सदस्य के रूप में वह हमसे लगातार जुड़े हैं.
उद्देश्य के लिए फंडिंग
संगठन को युवा आंदोलन के लिए कॉरपोरेट घरानों से चंदे के तौर पर फंड मिलता है. सीएजी की वेबसाइट के अनुसार, इनमें लोढ़ा समूह, एचडीएफसी, रिलायंस म्युचुअल फंड और क्रासवर्ड शामिल हैं. अब तक सीएजी ने दो कार्यक्रम आयोजित किये हैं. जून महीने में यंग इंडियन लीडर्स कॉन्क्लेव और अक्तूबर में मंथन. इन दोनों कार्यक्रमों में मोदी ने करीब आठ–आठ घंटे बिताये हैं.
यह अपने आप में अनोखा है, क्योंकि अधिकतर बड़े आयोजनों, जैसे वाइब्रेंट गुजरात, में सीएम अपना भाषण खत्म करते ही चलते बनते हैं.
इस बात से परिचित लोगों का मानना है कि सीएजी को मोदी का आशीर्वाद प्राप्त है और उन्होंने उसके आयोजनों में समय बिताने की प्रतिबद्धता जतायी है. हालांकि सीएजी मोदी की ऐसी किसी भी प्रतिबद्धता की बात से इनकार करती रही है. सीएजी के प्रवक्ता ने लिखित प्रतिक्रिया में कहा है, हम समझते हैं कि वे हमारी पहल के प्रति समíपत हैं और उन्हें भविष्य के हमारे आयोजनों में भागीदारी की इच्छा है.
मौजूदा समय में सीएजी के 60 सदस्य हैं, जिनमें जेपी मॉर्गन, गोल्डमेन सैक, मैकिंसी आदि जैसी अग्रणी कंपनियों की नौकरी छोड़ चुके लोग हैं. समूह की वेबसाइट के अनुसार सदस्यों में आइआइटी और आइआइएम के पूर्व छात्र भी शामिल हैं.
लोढ़ा समूह से मदद
लोढ़ा समूह मुंबई स्थिति रियलटी कंपनी है जिसके मुखिया मालाबर हिल से भाजपा विधायक प्रभात लोढ़ा हैं. सीएजी ने लोढ़ा समूह के ठाणो स्थित कार्यालय को किराये पर लिया है. रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में दर्ज दस्तावेजों के अनुसार, कंपनी के पहले निदेशक सागर गावड़े और दीपेंद्र गुप्ता थे, जो लोढ़ा समूह के निदेशक भी रह चुके हैं.
इन दोनों ने 22 जुलाई 2013 को लोढ़ा समूह से त्यागपत्र दे दिया, लेकिन कंपनी में 100 फीसदी शेयरधारक बने हुए हैं. सितंबर की शुरुआत तक तो ऐसा ही था. सीएजी के प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल तरुषा पारेख और हिमांशु भरारा ही शेयरधारक हैं. लोढ़ा समूह के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी का सीएजी से कोई लेना–देना नहीं है. कंपनी की केवल इतनी भागीदारी है कि उसे मंथन कार्यक्रम के लिए प्रायोजक के तौर पर पांच लाख रुपये मुहैया कराये हैं.
गुप्ता और गावड़े न तो लोढ़ा समूह में निदशक हैं और न ही कर्मचारी. उन्हें कुछ निवेशकों के द्वारा स्वतंत्र निदेशक के तौर पर नियुक्त किया गया था. सीएजी के एक प्रवक्ता के अनुसार, गावड़े चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और गुप्ता कंपनी सक्रेटरी. संस्था ने उन्हें शेयरधारक व निदेशक बने रहने की गुजारिश की, क्योंकि दूसरी कंपनियों की नौकरी छोड़ लोग संस्था से जुड़ रहे हैं.
(साभार : द इकोनॉमिक टाइम्स)