।।दक्षा वैदकर।।
हम सभी एक हीरा हैं. कोई कम चमकता है, तो कोई ज्यादा. जो चीज हमें बेदाग हीरा बना कर चमकाती है, वह है सिद्धांत. जब लोग ऊंचे पदों पर पहुंचते हैं, तो सिद्धांत ही उन लोगों को आगे बनाये रखने में मदद करते हैं. अक्सर लोगों को लगता है कि गला काट स्पर्धा में स्मार्ट होना, चालाक होना, लोगों को चीट करना, कुछ बातों में ‘राजनीति’ करना आदि जरूरी है. लेकिन वास्तव में यह सच नहीं है. हर क्षेत्र का वह लीडर, जिसकी सभी तारीफ करते हैं, हमेशा अपने सिद्धांतों का पक्का होता है. यही वह गुण होता है, जो उसे शिखर तक ले जाता है. जैसे ही आप सिद्धांतों को त्याग देते हैं, वैसे ही आपके भीतर के हीरे में बड़ा धब्बा लग जाता है. आज नहीं तो कल यह धब्बा लोगों को दिख ही जायेगा. इसलिए हमें यह समझना जरूरी है कि सफलता की सही परिभाषा क्या है?
स्टीव जॉब्स की किताब ‘द जर्नी इज द रिवॉर्ड’ कहती है कि सफलता का मतलब परिणाम नहीं होता. सफलता का मतलब होता है उस यात्र को तय करना, जिसमें आप विश्वास करते हैं. असल हीरा वही इनसान होता है, जो वही करते जाता है, जिस पर वह यकीन करता है या कहें कि जिसे वह ठीक समझता है. वे इस रास्ते पर नतीजों की परवाह नहीं करते. अरिंदम चौधरी अपनी किताब में लिखते हैं कि सुभाषचंद्र बोस और चे ग्वेरा जैसे लोगों ने कभी सफलता का मुंह नहीं देखा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे असफल थे. उन्हें जिस बात पर भीतर से भरोसा था, वे उस मंजिल के राही बने. उनके लिए यात्र ही पुरस्कार थी. वह आदमी जिसके लिए यात्र ही इनाम है, उसके लिए उसके बाद जो भी हासिल होता है, वह अतिरिक्त लाभ है. इसी तरह हम बेदाग हीरा बन सकते हैं.
नेल्सन मंडेला को संघर्षो का मानवीय रूप कहा जा सकता है. उन्होंने अपनी जिंदगी के तकरीबन तीन दशक जेल की सलाखों के पीछे काट दिये. कई तरह की यातनाओं और मुश्किलों का सामना किया, फिर भी अपने सिद्धांतों से नहीं डिगे. इसी चीज ने उनके आसपास के लोगों को प्रेरित किया, ताकत दी और आशाओं का संचार किया.
बात पते की..
-चाहे व्यक्ति हो या कंपनी, उसके अपने सिद्धांत होने चाहिए. कोई ब्रांड तब लोकप्रिय होता है, जब इसके पीछे बढ़ानेवालों को विश्वास जुड़ा होता है.
-कभी भी कितनी ही बड़ी मुसीबत क्यों न आ जाये, अपने सिद्धांतों से कभी भी नहीं डिगें. यही चीज आपको दूसरों से अलग खड़ा करती है.