रांची: लंबे समय से लंबित इस विधेयक को सितंबर 2012 में लोकसभा द्वारा पारित किया गया. इस कानून का मुख्य उद्देश्य कामकाजी महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान करना है. विधेयक में यौन उत्पीड़न को विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया. इसके अंतर्गत किसी भी प्रकार का शारीरिक उत्पीड़न करना, ईल सामग्री दिखाना अथवा ईल बातें करना , अभद्र टिप्पणी करना आदि शामिल हैं. यह कानून संगठित और असंगठित क्षेत्र के सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होगा. घरेलू काम करनेवाली महिलाओं को भी इस कानून मे शामिल किया गया है.
इस अधिनियम के तहत प्रत्येक प्रतिष्ठान को एक आंतरिक समिति का गठन करना है, जो यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों की सुनवाई एवं जांच करेगा. समिति को निर्धारित समय के भीतर अपनी जांच सौंपनी होगी. इस दौरान पीड़ित महिला को तबादले अथवा अवकाश पर जाने की भी सुविधा प्रदान की जायेगी. आंतरिक समिति के फैसले से असंतुष्ट होने पर कोई भी पक्ष न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दे सकता है. अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.यदि उल्लंघन दोहराया जाता है, तो संबंधित प्रतिष्ठान का लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है. यौन उत्पीड़न की शिकायत करनेवाली महिला की पहचान को पूर्ण रूप से गुप्त रखने का प्रावधान भी इस कानून में बनाया गया है.