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अंतरिक्ष में जानेवाली पहली मां
अन्ना ली फिशर (अंतरिक्ष यात्री) जन्म : 24 अगस्त, 1949 (न्यूयॉर्क) अंतरिक्ष में अब तक अनेक माताएं जा चुकी हैं, जिन्होंने अपने बच्चों व परिवार की यादों को दिल में संजोए हुए अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों में अहम योगदान दिया है. इनमें अन्ना ली फिशर पहली मां हैं, जिनकी शादी 1977 में हुई. अंतरिक्ष उड़ान के […]
अन्ना ली फिशर (अंतरिक्ष यात्री)
जन्म : 24 अगस्त, 1949 (न्यूयॉर्क)
अंतरिक्ष में अब तक अनेक माताएं जा चुकी हैं, जिन्होंने अपने बच्चों व परिवार की यादों को दिल में संजोए हुए अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों में अहम योगदान दिया है. इनमें अन्ना ली फिशर पहली मां हैं, जिनकी शादी 1977 में हुई. अंतरिक्ष उड़ान के समय उनकी पहली बेटी का जन्म हो चुका था. इस प्रकार अन्ना को अंतरिक्ष में जानेवाली प्रथम मां का गौरव प्राप्त हुआ.
वे नासा में काफी अर्से से कार्यरत महिला अंतरिक्ष यात्राी हैं तथा स्पेस शटल, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और ओरियन परियोजना में उनका महत्वपूर्ण योगदान है.
अन्ना फिशर का जन्म न्यूयॉर्कसिटी में हुआ. उन्होंने 1967 में कैलिफोर्निया में ग्रेजुएशन किया. 1971 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से रसायन शास्त्र में ‘बैचेलर ऑफ साइंस’ की डिग्री ली. अगले वर्ष यहीं पर मेडिकल कॉलेज ज्वॉइन किया तथा 1976 में डॉक्टर ऑफ मेडिसिन डिग्री प्राप्त की. उसके बाद 1987 में वे पुन: कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री ली.
डॉ. फिशर का चयन अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में जनवरी, 1970 में हो गया था. अगस्त 1979 में एक वर्ष का उन्होंने अपना प्रशिक्षण पूरा किया. इसके आधार पर भावी स्पेस शटल उड़ानों के लिए वे मिशन विशेषज्ञ पद के लिए चुनी गयीं. इससे बाद एक वर्ष के लिए उन्हें नासा के लिए एसटीएस-1 से एस टी एस-4 शटल अभियानों से जुड़ने का मौका मिला. डॉ फिशर पहली बार स्पेस शटल डिस्कवरी की उडान एसटीएस-51ए के द्वारा अंतरिक्ष में गयीं.
इस मिशन को 8 नवंबर, 1984 को केनेडी अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया गया. 16 नवंबर, 1984 को यह पृथ्वी पर वापस आया. इस मिशन के दौरान स्पेस शटल डिस्कवरी ने पृथ्वी की 127 परिक्रमाएं कीं तथा मिशन 192 घंटे अंतरिक्ष में रहा. इसके बाद ने नासा में विभिन्न परियोजनाओं से जुड़ी रहीं. 1987 मेंअंतरिक्ष यात्रियों के चयन के लिए उन्हें अंतरिक्ष यात्री चयन बोर्ड में भी रखा गया.
1989 से 1995 के बीच फिशर ने अंतरिक्ष कार्यालय से छुट्टी ली, जिससे वे अपने परिवार की ओर अधिक ध्यान दे सकें. वे अंतरिक्ष कार्यालय में 1996 में वापस आयीं और तब से सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया.अंतरिक्ष यात्री के तौर पर अब वे ओरियन परियोजना पर कार्य कर रही हैं.
एक बार उन्होंने छात्रों से अनुभव साझा करते हुए कहा था- विज्ञान और गणित में मेरी दिलचस्पी शुरू से रही है. मैं इन विषयों में अच्छे अंक लाती थी. तब मैं बहुत शर्मीली लड़की थी.
मुङो याद है कि जब मैं 7वीं में थी, तब एक दिन भौतिकी की कक्षा में रेडियो पर अंतरिक्ष यात्री अलन बी शेपर्ड की अंतरिक्ष यात्रा का वृतांत सुनने को मिला था.
उसे सुनकर मैंने सोचा कि ‘‘मैं भी एक दिन वैसा ही कुछ करूगीं.’’ लेकिन तब अंतरिक्ष यात्री पुरुष हुआ करते थे, जो फाइटर प्लेन के पायलट होते थे. यह मेरे लिए आसान नहीं था. फिर भी मैंने अपने साहस व लगन से इसे सच कर दिखाया.
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