दक्षा वैदकर
कई लोगों के डिप्रेशन में जाने की वजह उनका अकेलापन होता है और अकेलेपन की वजह वे खुद होते हैं. ऐसे लोगों की गलती केवल इतनी है कि वे बहुत भावुक होते हैं और हर बात को दिल से लगा लेते हैं. वे समाज की हर गलत बात को देख चिंतिंत हो जाते हैं. कहीं कुछ बुरा देख लिया, तो दिन भर उसी पर चर्चा करते हैं.
किसी ने कुछ बोल दिया, तो खुद को दोष देते हैं. ऐसे लोग जब भी किसी से मिलते हैं, इन्हीं पर बात करते हैं. ‘बच्चे ने उल्टा जवाब दिया, वह मेरी बिल्कुल इज्जत नहीं करता.. पत्नी अब पहले जैसी नहीं रही, हर बात पर हमारा झगड़ा होता है.. आज सड़क किनारे एक बुजुर्ग को देखा, उसे देख दया आयी, लेकिन मैं कुछ कर नहीं पाया.. आज बॉस ने मेरा प्रोजेक्ट मुझसे छिन कर किसी और दे दिया, अब मैं किसी काम का नहीं हूं.. मैं जॉब तलाश रहा हूं, लेकिन मुङो मिल नहीं रही है..’
दिन-रात ये लोग अपने आसपास मौजूद रहनेवाले लोगों से इसी तरह की बातें कहते रहते हैं. लोग भी शुरुआत में सांत्वना देते हैं, लेकिन आखिर वे भी कब तक ऐसे उदास रहने वाले शख्स को ङोलेंगे. धीरे-धीरे वे भी इग्नोर करना शुरू कर देते हैं. फिर दूर से ही उस शख्स को देख कर भाग जाते हैं, कहीं छिप जाते हैं. आपस में यही बात करते हैं कि यार, वो पकाऊ आ गया. अब फिर वहीं रोना-धोना चालू हो जायेगा उसका.
जब उस व्यक्ति को यह अहसास होता है कि कोई उसके साथ नहीं है, तो वह डिप्रेशन में चला जाता है. उसे लगता है कि दुनिया स्वार्थी हो गयी है. बदल गयी है. यहां भावनाओं की अब कोई कद्र नहीं. लोग मतलबी हो गये हैं. वह सारा दोष दूसरों के ऊपर मढ़ देता है. ऐसे लोगों को चाहिए कि वे दूसरों में गलती निकालने से पहले, खुद में बदलाव करें.
हर चीज के सकारात्मक पहलू को देखें और खुश रहें. आज दुनिया में, घर में, ऑफिस में ढेर सारी परेशानियां बिखरी पड़ी हैं. हर व्यक्ति की जिंदगी में ढेरों परेशानियां हैं. सभी चाहते हैं कि वे खुश रहें. इसलिए वे ऐसे लोगों को साथ चाहते हैं, जो उन्हें हंसाएं. उन्हें गम भूलने में मदद करे. हंसी-मजाक करे.
बात पते की..
हम उसी शख्स से शादी करना चाहते हैं, जो पल भर में हमें रोते से हंसा दे. जिंदादिल हो. जिसके साथ रह कर हम सिर्फ और सिर्फ हंसे.
हर व्यक्ति के सामने रोने, दुखी होने से आप खुश नहीं हो सकते. लोगों के साथ अच्छी बातों पर चर्चा करें. अपने आप आपका दुख कम हो जायेगा.