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अब थाने में गाय-बैलों की फ़ोटो जमा कराएँ

अश्विन अघोर मुंबई से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए महाराष्ट्र के मालेगांव में पुलिस ने गाय-बैलों के मालिकों को अपने-अपने जानवरों की तस्वीरें पुलिस थाने में जमा करने का आदेश दिया है. पुलिस के मुताबिक शहर के जानवरों का रिकॉर्ड तैयार करने तथा उनकी गिनती करने के उद्देश्य से यह आदेश जारी किया गया है. […]

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महाराष्ट्र के मालेगांव में पुलिस ने गाय-बैलों के मालिकों को अपने-अपने जानवरों की तस्वीरें पुलिस थाने में जमा करने का आदेश दिया है.

पुलिस के मुताबिक शहर के जानवरों का रिकॉर्ड तैयार करने तथा उनकी गिनती करने के उद्देश्य से यह आदेश जारी किया गया है.

मालेगांव के एडिशनल एसपी सुनील कडासने ने बीबीसी हिन्दी से कहा, “शहर के सारे जानवरों की गिनती करने तथा झूठी शिकायतों का पता करने के लिए यह फैसला लिया गया है."

उन्होंने बताया, "हमने शहर के सारे गाय-बैल मलिकों से अपने अपने जानवरों की तस्वीरें अपने इलाक़े के पुलिस थाने में जमा करने को कहा है.”

महाराष्ट्र गोवंश हत्या बंदी क़ानून के तहत मालेगांव में ही पहला मामला दर्ज हुआ था.

झूठी शिकायत

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हालांकि महाराष्ट्र के दूसरे शहरों में इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.

मालेगांव एडिशनल एसपी सुनील कडासने ने बताया कि मालेगांव में गाय और बैलों के मांस के गैरकानूनी व्यापार पर रोक लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है.

कडासने कहते हैं, “अगर किसी तरह की कोई गैरक़ानूनी घटना घटती है तब यही तस्वीरें सच्चाई साबित करेंगी."

उन्होंने बताया, "फिर न कोई गैरकानूनी तरीके से गाय-बैल को काटकर उनका मांस बेच पाएगा और न ही झूठी शिकायत दर्ज कर पुलिस को गुमराह कर सकेगा.”

क्या कहते हैं लोग

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मालेगांव के निवासी पुलिस के इस आदेश पर खुलकर प्रतिक्रिया देने से कतरा रहे है.

एक युवक ने नाम ज़ाहिर ना करने के शर्त पर बताया, “अव्वल तो यह गोवंश हत्या बंदी गैरक़ानूनी है. चुंकि बीफ़ गरीबों का खाना है और क़रोड़ों लोगों की रोज़ी-रोटी इस पर निर्भर है, इसे हटा देना चाहिए. और अब पुलिस कह रही है के हर जानवर के फोटो जमा किये जाएं. यह सरासर गलत है.”

वहीं महाराष्ट्र शांति कमेटी के मालेगांव शाखा के सदस्य मुश्ताक़ अहमद मोहम्मद हसन ने इसे एक उचित कदम बताया है.

हसन कहते हैं, “गोवंश हत्या बंदी क़ानून के लागू होने के बाद हर वह शख्श जिसके पास गाय या बैल है, शक़ के घेरे में आ गया है. भले ही वह जानवर व्यवसाय के दृष्टि से पाला जा रहा हो. नए कानून के चलते इन जानवरों के मालिकों पर पुलिस की कड़ी निगरानी रह सकती है, जो किसी भी समय मुसीबत बन सकती है. इन सब तकलीफों से बचने के लिए यह एक कारगर कदम है.”

उन्होंने बताया के 26 मार्च की गाय काटने की घटना के बाद मालेगांव के कई इलाकों से हज़ारों लोगों ने अपने-अपने जानवरों की तस्वीरें अपने इलाके के पुलिस थानों में जमा कर दी है.

व्यवसायिक ज़रूरत

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गोवंश हत्या बंदी कानून लागू होने के बाद इसका सुचारू तरीके से पालन हो इसके लिए समाज के सभी लोगों को साथ लेकर चलाना पड़ेगा.

कडासने ने कहा, “मालेगांव शहर में कई मुसलमान परिवार ऐसे हैं जो खेती के कामों तथा दूध के व्यवसाय के लिए गाय-भैंस पालते हैं. इस तरह के जानवरों का रिकार्ड अगर हो तो कानून के अमल में सहूलियत होगी."

उन्होंने कहा, "हमने इस विषय में एक कमिटी बनाई है जो शहर के गाय-बैलों की ख़रीद-फ़रोख्त पर नज़र रखेगी.”

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पुलिस के अनुसार मालेगांव में जब भी गाय-बैलों की ख़रीद फ़रोख्त होगी तब खरीदने वाले को यह लिखित आश्वासन देना होगा कि वह उस जानवर को व्यवसाय के लिए इस्तेमाल करेगा न कि मांस बेचने के लिए.

मालेगांव पुलिस ने शहर में होने वाली गाय-बैलों की ख़रीद-फ़रोख्त पर नज़र रखने के लिए एक कमिटी बनाई है. इसमें मालेगांव के सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर, संबंधित क्षेत्र के पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक और जिला पशु संवर्धन अधिकारी शामिल हैं.

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