दक्षा वैदकर
‘एक राजा के पूरे शरीर में सूइयां घुसी हुई थी और वह सालों से बेहोश था. उसको कोई श्रप था. रानी रात-दिन उसकी सूई निकालने में जुटी थी. इसी तरह कई दिन बीत गये. जब बहुत कम सूइयां बची थी, तो रानी को नींद आ गयी और वह सो गयी. बाद की कुछ सूइयां नौकरानी ने निकाल दी और राजा उठ बैठा. रानी के लाख समझाने के बावजूद राजा ने नौकरानी को ही अपनी रानी माना.
इस तरह नौकरानी रानी और रानी नौकरानी बन गयी.’ फेसबुक के एक मित्र ने यह कहानी पोस्ट की और लिखा कि यह कहानी नानी ने बचपन में उसे सुनायी थी. मित्र ने कहानी के अंत में कहानी से मिलनेवाली शिक्षा नहीं लिखी थी, इसकी वजह से सारे मित्रों ने कहानी की तारीफ तो की ही, साथ ही कहानी से मिलनेवाली शिक्षा अपने-अपने अंदाज में बतायी. किसी ने कहा, ‘इसलिए कहते हैं कि अपना काम बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. अंजाम तक पहुंचा कर आराम करना चाहिए.’ किसी ने कहा, ‘मैं रानी की जगह होता, तो नौकरानी को सबक सिखाता. मैं भला क्यों अपनी मेहनत का फल किसी और को लेने दूं. मैं लड़ता.’
एक मित्र ने लिखा, ‘आजकल यही सब दुनिया में चल रहा है. मेहनत कोई और करता है, क्रेडिट कोई और ले जाता है. क्रेडिट लेनेवाले लोग तो आजकल जान-बूझ कर मेहनत करनेवाले को सुला देते हैं, ताकि खुद क्रेडिट ले जाएं.’ कई लोग इस मित्र की बात से सहमत हुए. इस पूरी चर्चा ने मुङो यही सोचने पर मजबूर किया कि लोगों को ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए क्या करना चाहिए.
पहली बात तो यह है, अपने काम को कभी भी अधूरा न छोड़ें. अपने आइडिया किसी से शेयर न करें, वरना कोई भी चुरा सकता है. जब भी ऐसा कोई काम करें, जो आप सभी को बता भी सकते हैं, तो उसे बताने में ङिाझके नहीं. उदाहरण के तौर पर रानी कई लोगों को साक्षी रख सकती थी. वर्तमान समय तकनीक का युग है. बेहतर होगा कि अपने आइडिया, अपनी बात, अपने विचार इ-मेल के जरिये कम्युनिकेट करें, ताकि लिखित में आपके पास सबूत रहे.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
आज के समय में उसी की पूछ-परख है, जिसके नाम बहुत सारी उपलब्धियां हैं. इसलिए अपने कार्य का क्रेडिट किसी को भी न लेने दें.
आप जो-जो काम करते हैं, उनका रिकॉर्ड रखें. फाइल बनाएं और तारीख के हिसाब से हर बात का हिसाब रखें, ताकि वक्त आने पर सबूत दे सकें.
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