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बिहार में विस चुनाव से पहले विकास और रोजगार की रफ्तार पर जोर, 37,217 करोड़ निर्माण के लिए

पटना: वित्त मंत्री विजेंद्र यादव ने गुरुवार को विधानसभा में वर्ष 2015-16 का बजट पेश किया. यह बजट एक लाख 20 हजार 685 करोड़ रुपये का है, जो पिछले बजट से चार हजार करोड़ रुपये ज्यादा है. पिछले साल बजट आकार (2014-15) एक लाख 16 हजार 886 करोड़ रुपये का था. योजना आकार में पिछले […]

पटना: वित्त मंत्री विजेंद्र यादव ने गुरुवार को विधानसभा में वर्ष 2015-16 का बजट पेश किया. यह बजट एक लाख 20 हजार 685 करोड़ रुपये का है, जो पिछले बजट से चार हजार करोड़ रुपये ज्यादा है. पिछले साल बजट आकार (2014-15) एक लाख 16 हजार 886 करोड़ रुपये का था.

योजना आकार में पिछले साल की तुलना में मामूली कमी आयी है. 2014-15 के बजट में योजना आकार 57,392.44 करोड़ रुपये अनुमानित था, जो 2015-16 में 254.82 करोड़ कम होकर 57,137.62 करोड़ हो गया है. हालांकि, चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार ने वार्षिक योजना आकार में कटौती कर 51,565 करोड़ ही खर्च करने का फैसला किया. इस लिहाज से 2015-16 के योजना आकार में आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

वहीं, गैर योजना आकार 59 हजार 231 करोड़ से बढ़ कर 63 हजार 259 करोड़ रुपये हो गया है. पिछली बार से करीब चार हजार करोड़ रुपये ज्यादा है. इस बार बजट में किसी तरह का कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया है और न ही कोई नयी योजना शुरू की गयी है. पहले से जितनी योजनाएं चल रही हैं, उन्हीं के कारगर तरीके से संचालन पर जोर रहेगा. 11980.95 करोड़ रुपये राजस्व अधिशेष रहने का अनुमान है, जो राज्य के वर्तमान सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 2.63 प्रतिशत है. लेकिन राजकोषीय घाटा बढ़ कर 13 हजार 584 करोड़ हो गया है, जो जीएसडीपी का 2.98 } है.

85 हजार सरकारी नौकरियां
वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान शिक्षा और गृह विभागों में जहां 85,155 नियुक्तियां होंगी, वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियों में एक लाख लोगों की नियुक्ति का लक्ष्य रखा गया है. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान निजी कंपनियों ने 53, 277 लोगों की नियुक्ति की. सरकार को उम्मीद है कि आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से असंगठित क्षेत्र में लाखों लोगों को रोगजार मिलेगा.
शिक्षा विभाग
पद संख्या
प्राथमिक शिक्षक 74000
माध्यमिक शिक्षक 10229
गृह विभाग
कंपनी कमांडर 130
अधिनायक अनुदेशक 244
अधिनायक लिपिक 126
सिपाही 426
कुल 85155
केंद्रीय राशि में कटौती का दिखा असर
सामान्यत: हर साल बजट में 15-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती रही है, खासकर योजना आकार में. इससे राज्य की प्रगति की बेहतर रफ्तार बनी रहती है. लेकिन इस बार बजट आकार में पिछली बार की तुलना में महज चार हजार करोड़ की वृद्धि होना चिंता पैदा करता है. इसका प्रमुख कारण केंद्रीय प्रायोजित योजना (सीएसएस) और केंद्रीय प्लान स्कीम (सीपीएस) की संख्या में कटौती होना और कई योजनाओं में पैसे पिछले साल की तुलना में कम मिलना है. हालांकि केंद्र की तरफ से गठित नीति आयोग ने केंद्रीय टैक्स में राज्य की हिस्सेदारी 32 से बढ़ा कर 42 }कर दी है. लेकिन, दूसरी तरफ 36 सीएसएस में बड़े स्तर पर परिवर्तन भी कर दिया है. इससे राज्य को फायदा से ज्यादा कई मायनों में नुकसान हो गया है. शिक्षा, स्वास्थ्य समेत अन्य कई कोर सेक्टर से जुड़ी आठ से ज्यादा योजनाएं केंद्र ने बंद कर दी हैं. सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) में रुपये का आवंटन कम कर दिया है. इसके साथ ‘प्रारंभिक शिक्षा कोष’ नामक नयी योजना शुरू की है. हालांकि, इस योजना का क्या स्वरूप होगा, इसका विस्तृत ब्योरा राज्य को अभी प्राप्त नहीं हुआ है. इन प्रमुख कारणों से बजट का आकार पिछले बार की तुलना में मामूली वृद्धि हो पायी.
केंद्र प्रायोजित योजनाओं में मात्र 288 करोड़ मिले: वित्तीय वर्ष 2014-15 में राज्य का अपना प्लान आकार 40 हजार करोड़ ही था, लेकिन केंद्रीय योजना मद के 15 हजार करोड़ रुपये इसमें जोड़ देने पर यह बढ़ कर करीब 55 हजार करोड़ पहुंच गया था. लेकिन, इस बार केंद्रीय योजनाओं के मद में 288 करोड़ रुपये ही मिल रहे हैं. इससे राज्य का अपना योजना आकार 57 हजार 137 करोड़ रुपये से बढ़ कर 57 हजार 425 करोड़ ही पहुंच रहा है.

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