बायोलॉजिकल साइंसेज में पढ़ाई के लिए ढेर सारी विशेष स्ट्रीम्स होती हैं, जिनमें आगे चल कर छात्र अपनी खास पहचान बना पाते हैं. कुछ नोबेल प्राइज विनर्स के मैं आपको नाम बताता हूं, जिन्होंने बायोलॉजी में काफी बड़ा काम किया है-डेरियल ग्यानी और डेविड रेंज (2011), जोहात्रा इएमएच वेन ब्रोन्सविक (2007), सीडब्ल्यू मोलिकर (2003), बुक वेमर (2001) आदि. इन लोगों ने छोटी-छोटी यूनिवर्सिटीज में काम किया है, लेकिन इनके काम इतने महत्वपूर्ण रहे हैं कि आज हम इनके बारे में जानते हैं. आइए जानते हैं बायोलॉजिकल साइंसेज की कुछ विशेष स्ट्रीम्स के बारे में.
बायो-फिजिक्स
बायोलॉजिकल सिस्टम्स को पढ.ने के लिए यदि फिजिक्स का प्रयोग किया जाये, तो वह बायोफिजिकल या फिर बायो-फिजिक्स कहा जाता है. यानी बायोफिजिक्स, बायोलॉजी और फिजिक्स के बीच में एक पुल का कार्य करता है. बायोफिजिक्स को किसी विशेष फैकल्टी के रूप किसी विश्वविद्यालय ने अब तक स्थापित नहीं किया है, लेकिन इसे कई अलग-अलग विषयों के साथ पढ.ाया जाता है. जैसे मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, केमिस्ट्री, मेडिसिन, फार्माकोलॉजी, फिजियोलॉजी, न्यूरोसाइंस, मैथेमेटिक्स, कंप्यूटर साइंस, फिजिक्स आदि. बायो-फिजिक्स के कई टॉपिक्स पर विश्व के कई बेहरीन विश्वविद्यालय पीएचडी करवाते हैं.
स्ट्रक्चरल बायोलॉजी
बायोलॉजी की आंतरिक संरचना को समझने के लिए स्ट्रक्चरल बायोलॉजी की पढ.ाई की जाती है. इसे मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री और बायोफिजिक्स की शाखाओं के अंतर्गत पढ़ा जाता है. इसमें प्रोटीन्स व न्यूक्लिक एसिड की संरचनाओं, उसके कायरें और प्रभाव को पढ़ा जाता है.
सेल बायोलॉजी
किसी जीव के सेल्स, उसकी बनावट, क्रिया, जीवन चक्र और उसकी प्रवृत्ति के कारण वातावरण पर पड.नेवाले प्रभाव को समझानेवाले बायोलॉजिकल साइंस को सेल बायोलॉजी के अंदर रखा जाता है.
प्रवेश प्रक्रिया
बैचलर्स प्रोग्राम में भारतीय छात्रों को सामान्यत: 12वीं पास करने के बाद प्रवेश मिलता है. अमेरिकन विवि में प्रवेश लेने के लिए सैट और टॉफेल की परीक्षा देनी होती है. सैट साल भर में 6 से 7 बार दे सकते हैं. इसमें अधिकतम अंक 2400 होता है. टॉफेल की परीक्षा हर महीने 2 से 3 बार होती है. इसमें अधिकतम अंक 120 होता है. अमेरिका के अलावा अन्य देशों के विश्वविद्यालय सिर्फ आइलेट्स की परीक्षा के आधार पर ही प्रवेश दे सकते हैं. मास्टर्स और पीएचडी के लिए अमेरिका में जीआरइ देना होता है, इसके लिए अधिकतम अंक 340 होते हैं और इसकी भी परीक्षा हर महीने दी जा सकती है.
उपरोक्त परीक्षाओं के परिणाम आने के बाद छात्रों को अपने शैक्षिणक अंकपत्रों और प्रमाण पत्रों को अपने संबंधित स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों से प्रमाणित करवा कर, साथ में स्टेटमेंट ऑफ पर्पस और लेटर्स ऑफ रिकमेंडेशन लगा कर चुने हुए विश्वविद्यालयों को भेजना होता है.बा योलॉजिकल साइंसेज में पढई के लिए ढेर सारी विशेष स्ट्रीम्स होती हैं, जिनमें आगे चल कर छात्र अपनी खास पहचान बना पाते हैं. कुछ नोबेल प्राइज विनर्स के मैं आपको नाम बताता हूं, जिन्होंने बायोलॉजी में काफी बड.ा काम किया है-डेरियल ग्यानी और डेविड रेंज (2011), जोहात्रा इएमएच वेन ब्रोन्सविक (2007), सीडब्ल्यू मोलिकर (2003), बुक वेमर (2001) आदि. इन लोगों ने छोटी-छोटी यूनिवर्सिटीज में काम किया है, लेकिन इनके काम इतने महत्वपूर्ण रहे हैं कि आज हम इनके बारे में जानते हैं. आइए जानते हैं बायोलॉजिकल साइंसेज की कुछ विशेष स्ट्रीम्स के बारे में.
बायो-फिजिक्स
बायोलॉजिकल सिस्टम्स को पढ.ने के लिए यदि फिजिक्स का प्रयोग किया जाये, तो वह बायोफिजिकल या फिर बायो-फिजिक्स कहा जाता है. यानी बायोफिजिक्स, बायोलॉजी और फिजिक्स के बीच में एक पुल का कार्य करता है. बायोफिजिक्स को किसी विशेष फैकल्टी के रूप किसी विश्वविद्यालय ने अब तक स्थापित नहीं किया है, लेकिन इसे कई अलग-अलग विषयों के साथ पढ़ाया जाता है. जैसे मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, केमिस्ट्री, मेडिसिन, फार्माकोलॉजी, फिजियोलॉजी, न्यूरोसाइंस, मैथेमेटिक्स, कंप्यूटर साइंस, फिजिक्स आदि. बायो-फिजिक्स के कई टॉपिक्स पर विश्व के कई बेहरीन विश्वविद्यालय पीएचडी करवाते हैं.
स्ट्रक्चरल बायोलॉजी
बायोलॉजी की आंतरिक संरचना को समझने के लिए स्ट्रक्चरल बायोलॉजी की पढ.ाई की जाती है. इसे मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री और बायोफिजिक्स की शाखाओं के अंतर्गत पढा जाता है. इसमें प्रोटीन्स व न्यूक्लिक एसिड की संरचनाओं, उसके कायरें और प्रभाव को पढा जाता है.
सेल बायोलॉजी
किसी जीव के सेल्स, उसकी बनावट, क्रिया, जीवन चक्र और उसकी प्रवृत्ति के कारण वातावरण पर पड.नेवाले प्रभाव को समझानेवाले बायोलॉजिकल साइंस को सेल बायोलॉजी के अंदर रखा जाता है.
प्रवेश प्रक्रिया
बैचलर्स प्रोग्राम में भारतीय छात्रों को सामान्यत: 12वीं पास करने के बाद प्रवेश मिलता है. अमेरिकन विवि में प्रवेश लेने के लिए सैट और टॉफेल की परीक्षा देनी होती है. सैट साल भर में 6 से 7 बार दे सकते हैं. इसमें अधिकतम अंक 2400 होता है. टॉफेल की परीक्षा हर महीने 2 से 3 बार होती है. इसमें अधिकतम अंक 120 होता है. अमेरिका के अलावा अन्य देशों के विश्वविद्यालय सिर्फ आइलेट्स की परीक्षा के आधार पर ही प्रवेश दे सकते हैं.
मास्टर्स और पीएचडी के लिए अमेरिका में जीआरइ देना होता है, इसके लिए अधिकतम अंक 340 होते हैं और इसकी भी परीक्षा हर महीने दी जा सकती है. उपरोक्त परीक्षाओं के परिणाम आने के बाद छात्रों को अपने शैक्षिणक अंकपत्रों और प्रमाण पत्रों को अपने संबंधित स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों से प्रमाणित करवा कर, साथ में स्टेटमेंट ऑफ पर्पस और लेटर्स ऑफ रिकमेंडेशन लगा कर चुने हुए विश्वविद्यालयों को भेजना होता है.
जीआरइ देना होता है, इसके लिए अधिकतम अंक 340 होते हैं और इसकी भी परीक्षा हर महीने दी जा सकती है. उपरोक्त परीक्षाओं के परिणाम आने के बाद छात्रों को अपने शैक्षिणक अंकपत्रों और प्रमाण पत्रों को अपने संबंधित स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों से प्रमाणित करवा कर, साथ में स्टेटमेंट ऑफ पर्पस और लेटर्स ऑफ रिकमेंडेशन लगा कर चुने हुए विश्वविद्यालयों को भेजना होता है.अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सलाहकार