नयी दिल्ली:केंद्र सरकार किराये की कोख (सरोगेसी) से जुड़ा एक अहम विधेयक लाने जा रही है. प्रस्तावित असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजीज (एआरटी) विधेयक के मसौदे के प्रावधानों के तहत भारत में किराये पर कोख देनेवाली महिलाएं तीन बच्चे (जिनमें उनके अपने बच्चे भी शामिल होंगे) जनने के बाद अपनी कोख किराये पर नहीं दे सकतीं.
ऐसी महिलाओं के लिए यह जरूरी होगा कि वे किराये पर दो बच्चों को जन्म देने के बीच में कम से कम दो साल का अंतर रखेंगी ताकि वे सेहतमंद रह सकें. सरकार इस विधेयक को पारित कराने के मकसद से संसद में पेश करने से पहले कैबिनेट की मंजूरी दिलाने की योजना बना रही है. इस विधेयक के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी.
भारत के इतिहास में पहली दफा लाये जा रहे इस विधेयक से एआरटी क्लीनिकों के विनियमन का रास्ता साफ हो सकेगा. गौरतलब है कि दुनियाभर में करीब 15 फीसदी दंपती बच्चा पैदा करने के योग्य नहीं हैं, जिससे एआरटी (सहायक प्रजनन तकनीक) सेवाएं अहम हो जाती हैं.