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रिश्तों में कोई भी बात छुपानी नहीं चाहिए

दक्षा वैदकर यू ट्यूब पर एक सीरियल है ‘मेरा नसीब.’ इस सीरियल की नायिका नाजिया जब कॉलेज में पढ़ती थी, तो उसे शरबाज नाम का लड़का प्रपोज करता है. वह भी उसे हां कह देती है. शरबाज रिश्ता ले कर घर आता है, लेकिन नाजिया की मां उसे रिजेक्ट कर देती है. वह उसकी शादी […]

दक्षा वैदकर

यू ट्यूब पर एक सीरियल है ‘मेरा नसीब.’ इस सीरियल की नायिका नाजिया जब कॉलेज में पढ़ती थी, तो उसे शरबाज नाम का लड़का प्रपोज करता है.

वह भी उसे हां कह देती है. शरबाज रिश्ता ले कर घर आता है, लेकिन नाजिया की मां उसे रिजेक्ट कर देती है. वह उसकी शादी जबरदस्ती फवाद नाम के लड़के से करा देती है. एक दिन फवाद नाजिया की आंखें देख कर कहता है, तुम शादी के पहले किसी और को तो नहीं चाहती थी? नाजिया जवाब देती है, वह जो कोई भी था, शादी के पहले था. फवाद कहता है, इसका मतलब कि कोई लड़का था.

वह खूब गुस्सा करता है और उसे मायके छोड़ आता है. 2-3 दिन बाद उसे महसूस होता है कि शादी के पहले की किसी बात को लेकर पत्नी को घर से निकालना ठीक नहीं. वह उसे घर ले आता है. दोनों वादा करते हैं कि अब उनके बीच कोई नहीं आ सकता. सब कुछ ठीक हो जाता है. कुछ महीनों बाद नाजिया का पुराना प्रेमी शरबाज अचानक एक खत भेजता है. नाजिया डर जाती है.

वह सोचती है कि खत फाड़ दे. पति से कुछ न कहे. वरना अच्छा-खासा माहौल फिर खराब हो जायेगा. लेकिन अगले ही पल उसे अपना वादा याद आता है. वह फवाद के पास जाती है और उसे खत पढ़ा देती है. खत पढ़ कर फवाद के चेहरे पर गुस्सा आ जाता है. नाजिया कहती है, पहले मैंने सोचा था कि आपको खत के बारे में न बताऊं, लेकिन बाद में मैंने सोचा कि पति-पत्नी के बीच कोई भी बात छिपी नहीं होनी चाहिए. अब आप ही मेरे सबकुछ हैं. इसलिए आपको ही मैंने खत दे दिया. यह सुन कर पति का गुस्सा काफूर हो जाता है.

पति-पत्नी के बीच अंडरस्टैंडिंग कैसी हो, इसका उदाहरण देता यह सीरियल मुङो काफी पसंद आया. कुछ ऐसा ही एक विज्ञापन भी टीवी पर आता है, जिसमें बेटी फोन लगा कर अपने पिता से कहती है कि पापा, मैंने आपसे झूठ कहा था, मैं पढ़ाई करने दोस्त के यहां नहीं आयी हूं. मैं तो लोनावला में पार्टी कर रही हूं.

पिता गुस्से से कहते हैं, अब क्यों बता रही हो? बेटी कहती है- आपसे झूठ कहा था न, तो नींद नहीं आ रही थी.

बात पते की..

– रिश्ता चाहे कोई भी हो, पति-पत्नी का हो या बाप-बेटी, उसमें पारदर्शिता होनी बहुत जरूरी है. बातें छिपायेंगी, तो रिश्तों में दरारें बढ़ती जायेंगी.

– सच बोलने की यह खासियत होती है कि इसे याद नहीं रखना पड़ता. सच बोलने वाले व्यक्ति के चेहरे पर आत्मविश्वास होता है. इसलिए सच बोलें.

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