हमारी ग्राम पंचायत अगर व्यवस्थित ढंग से काम करें, तो वे गांधी जी के सपनों के अनुरूप ग्राम गणराज्य व स्वराज के सपने को साकार कर सकती हैं. झारखंड सहित देश की कई पंचायतें इस दिशा में बेहतर कर भी रही हैं. झारखंड में पंचायत स्तर पर ग्राम रक्षा दल के गठन का भी प्रावधान है. ग्राम रक्षा दल की जिम्मेवारी है कि वह ग्राम पंचायत क्षेत्र में सुरक्षा व व्यवस्था बनाये रखे.
ग्राम रक्ष दल का गठन
प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ग्राम रक्षा दल बनाने का प्रावधान है. दलपति इसका नेतृत्व करेंगे. ग्राम पंचायत के मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ 18 वर्ष से 30 वर्ष के सभी व्यक्ति इस दल के सदस्य होंगे. प्रत्येक वार्ड के किसी एक सदस्य को क्षेत्र पदाधिकारी बनाने का प्रावधान है. क्षेत्र पदाधिकारियोंे के बीच से ही किसी एक क्षेत्र पदाधिकारी को दलपति बनाये जाने का प्रावधान है. प्रशिक्षण प्राप्त व दो साल तक क्षेत्र पदाधिकारी का कार्य कर चुके लोग दलपति बनने के लिए आवेदन कर सकेंगे. दलपति की उम्र नियुक्ति की तिथि को 21 वर्ष से कम एवं 30 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए. दलपति प्रत्येक वार्ड के ग्राम रक्षा दल के सदस्यों की सूची बनायेगा. उसे इसके लिए मुखिया से अनुमति लेनी होगी. इस सूची में भी हर साल संशोधन किया जाना चाहिए.
ग्राम रक्षा दल का कर्तव्य
पंचायत के अंदर शांति व्यवस्था बनाये रखना, अनुशासन की प्रवृत्ति जाग्रत करना व लोगों में नागरिक उत्तरदायित्व की भावना विकसित करना ग्राम रक्षा दल का प्रमुख कर्तव्य है.
मुखिया के नियंत्रण तथा दलपति के आदेश से दल के सदस्यों के कुछ प्रमुख कर्तव्य होते हैं. वे इस प्रकार हैं :
सामान्य पहरा, आकस्मिक घटनाओं जैसे अकाल, भूकंप, बाढ़, बांध या पुल का टूटना, महामारी फैलना, चोरी-डकैती आदि का सामना करना, शांति बनाये रखना, अपराधों पर नियंत्रण रखना, जानमाल का संरक्षण, घायलों को अस्पताल ले जाना, मेले, बाजारों और हाटों में मदद, सूचना, सम्मनों आदि का तामिला, जनगणना, कृषि गणना, पशुगणना, जन्म-मृत्यु संबंधी आंकड़ों के संग्रह में सहायता, चुनाव के अवसर पर सहयोग आदि काम ग्राम रक्षा दल को करना होता है.
क्षेत्र पदाधिकारी का कर्तव्य इस प्रकार है
ग्राम रक्षा दल के सदस्यों के कार्यों का नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण, सदस्यों का प्रशिक्षण तथा दलपति द्वारा सौंपे गये अन्य कार्यों का संपादन.
नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण : दलपति का कर्तव्य है कि वह ग्राम रक्षा दल के सदस्यों एवं क्षेत्र पदाधिकारी के कार्यों के संबंध में निर्देशन, नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण करे, सरकार एवं मुखिया द्वारा प्रेषित सूचनाओं को संकलित करे व उसे प्रेषित करे, पंचायत क्षेत्र में शांति-व्यवस्था बनाये रखने में पुलिस प्रशासन का सहयोग करे आदि.
मुखिया के आदेशों का पालन : मुखिया के आदेशों का पालन दलपति करेगा. दलपति व क्षेत्र पदाधिकारी के अधीन दल के अन्य सदस्य इनके आदेशों का पालन करेंगे. ग्राम रक्षा दल के सदस्यों की सेवाएं किसी भी समय ली जा सकेगी.
समूह बनाने का अधिकार : दलपति कई समूह बना सकता है. जैसे, अग्नि दस्ता, रात्रि प्रहरी दस्ता, शांति दस्ता, प्राथमिक उपचार दस्ता. मुखिया के परामर्श से अन्य ऐसे दस्ते बनाये जा सकते हैं. ऐसे प्रत्येक समूह या दस्ते के लिए एक प्रभारी बनाया जा सकता है.
ग्राम रक्षा दल संबंधी अन्य प्रावधान
ग्राम रक्षा दल के प्रत्येक सदस्य व क्षेत्र पदाधिकारी को प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य होगा.
प्रशिक्षण के अंत में परीक्षा होगी. सफल होने पर प्रमाण पत्र दिया जायेगा.
वर्दी पहनने का नियम : प्रशिक्षण अथवा कर्तव्य के लिए जाने-आने के दौरान और कर्तव्य के दौरान दलपति, क्षेत्र पदाधिकारी और दल के सदस्य निर्धारित वर्दी पहनेंगे व साज-समान के साथ रहेंगे.
वर्दी की अनुपलब्धता की स्थिति में दल के सदस्य मुखिया द्वारा निर्धारित प्रतीक का प्रयोग कर सकेंगे.
प्रशिक्षण व्यवस्था : ग्राम रक्षा दल के प्रत्येक सदस्य को प्रत्येक तीन महीने पर प्रशिक्षण का दो घंटे का अभ्यास कराया जायेगा. यह दलपति के परामर्श से मुखिया द्वारा निश्चित किया जायेगा.
नियुक्त दलपति को सरकार द्वारा निर्धारित प्रशिक्षण लेकर परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा. प्रशिक्षण के उपरांत उन्हें प्रमाण पत्र दिया जायेगा. प्रशिक्षण का पूरा खर्च सरकार वहन करेगी. प्रशिक्षण का उद्देश्य उनकी कार्य कुशलता में वृद्धि करना है.
शपथ ग्रहण : दलपति सहित दल के अन्य सभी सदस्य विहित प्रपत्र तीन में शपथ लेंगे. शपथ के बाद उन्हें एक प्रमाण पत्र मिलेगा, जिस पर मुखिया और जिला पंचायत राज पदाधिकारी का हस्ताक्षर एवं मुहर होगा.
दल के सदस्यों की अनुमोदित सूची की दो प्रति के संधारण के लिए दलपति उत्तरदायी होगा. उसमें क्षेत्र पदाधिकारी व सदस्यों को मिले पुरस्कार अथवा दंड का भी उल्लेख करेगा.
पदमुक्त करने का अधिकार : किसी मामले में कदाचार प्रमाणित होने या कर्तव्यों की उपेक्षा करने पर किसी सदस्य, क्षेत्र पदाधिकारी या दलपति को निर्धारित प्रक्रिया के जरिये पदमुक्त कर दिया जायेगा. दल के सदस्य एवं क्षेत्र पदाधिकारी 30 साल की उम्र पार करने पर स्वत: अपने पद से मुक्त समझे जायेंगे.
विशेष सहायता की व्यवस्था : दल का कोई सदस्य अगर अपराधकर्मियों का मुकाबला या अन्य जोखिम भरे कर्तव्य के दौरान शहीद या घायल हो जाये तो विशेष सहायता के संबंध में सरकार द्वारा व्यवस्था की जा सकती है.
पुरस्कार एवं प्रशंसा प्रमाण पत्र : अच्छा कार्य करने पर किसी सदस्य, क्षेत्र पदाधिकारी या दलपति को सरकार की राशि बढ़ायी जा सकती है. पुरस्कार एवं प्रशंसा प्रमाण पत्र का वितरण विशेष समारोह या वार्षिक रैली में किया जायेगा. सदस्य की सेवा पुस्तिका में गुड सर्विस मार्क्स और प्रशंसा लिखी जा सकती है.
संकट काल में अच्छी सेवा देने वाले सदस्य को मुखिया प्रशस्ति पत्र दे सकता है. दल का सारा खर्च व्यय ग्राम पंचायत वहन करेगी.
आरक्षी अधीक्षक या दूसरे पदाधिकारियों की सहायता से उपायुक्त द्वारा दल का सामान्य अधीक्षण, निर्देश और नियंत्रण होगा. पुलिस या प्रशासन के अधिकारी दल का निरीक्षण करके अपनी रिपोर्ट जिला पंचायत राज पदाधिकारी और मुखिया को भेज सकते हैं.
मांग के बाद भी नहीं तैनात किये गये दलपति
मुखिया की जुबानी
जमीनी हकीकत
कानून के स्तर पर दलपति की नियुक्ति व ग्राम रक्षा दल के गठन का प्रावधान होने के बावजूद अबतक पंचायतों में ग्राम रक्षा दल का गठन नहीं किया गया है. कोडरमा जिले के चंदवारा प्रखंड की बिरसोडीह पंचायत के मुखिया रविशंकर यादव कोडरमा जिला मुखिया संघ के सचिव भी हैं. गांव के विकास को लेकर जागरूक रविशंकर अबतक कई बार जिला प्रशासन के पास ग्राम रक्षा दल के गठन व दलपति की तैनाती की मांग रख चुके हैं. पर, उस पर अबतक कोई उल्लेखनीय पहल नहीं हुई. राज्य में शायद ही कोई ऐसी पंचायत हो जहां 2010 में हुए पंचायत चुनाव के बाद दलपति तैनात किये गये हों व ग्राम रक्षा दल का गठन किया गया हो. रविशंकर बताते हैं कि 1978 में दलपति की तैनाती की गयी थी, पर उसमें भी ठीक -ठाक पढ़े-लिखे लोग पंचायत सेवक बन गये. जबकि जो लोग कम पढ़े-लिखे थे वे दलपति रह गये.