फोटो: 1 (नदी का पानी पीते बच्चे) सिमुलतला. बिहार सरकार द्वारा शिक्षा विभाग में लाखों खर्च कर शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की परिकल्पना की जा रही है. वहीं क्षेत्र के टेलवा पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय घासीतरी बुनियादी सुविधाओं के आभाव में अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. जिला मुख्यालय से लगभग साठ किलोमीटर की दूरी पर बिहार-झारखंड की सीमा क्षेत्र में बसा घासीतरी गांव विकास के नाम पर सरकारी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. यहां स्थापित मध्य विद्यालय में भी मौलिक सुविधा अभाव है. विद्यालय के बच्चों के लिए संसाधन की बात करें तो सब कुछ नगण्य है. जबकि इस विद्यालय में 256 बच्चे नामांकित बताये जाते हैं. पुराने दो कमरा के इस विद्यालय में अधितकर बच्चे भवन व बैंच डेस्क के अभाव में खुले आसमान के नीचे जमीन पर ही बैठ कर पढ़ते हैं. विद्यालय परिसर में चापानल की व्यवस्था नहीं रहने के कारण स्कूली बच्चे नदी का पानी पी कर अपना प्यास बुझाते हंै. जानकारी के अनुसार प्यास लगते ही स्कूली बच्चे नदी की तरफ दौड़ पड़ते है और नदी में गड्ढा बना कर उससे निकले पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं . इस विद्यालय की समस्या से मैं पूर्व से भी अवगत हंू. विद्यालय में भवन सहित अन्य संसाधन को पूर्ण कराने का प्रयास किया जा रहा है. अतिशीघ्र यहां की समस्या का सामाधान करवाया जायेगा. बी एन झा, जिला शिक्षा पदाधिकारी
नदी के पानी से प्यास बुझाते हैं बच्चे
फोटो: 1 (नदी का पानी पीते बच्चे) सिमुलतला. बिहार सरकार द्वारा शिक्षा विभाग में लाखों खर्च कर शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की परिकल्पना की जा रही है. वहीं क्षेत्र के टेलवा पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय घासीतरी बुनियादी सुविधाओं के आभाव में अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. जिला मुख्यालय से लगभग […]
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