दार्जिलिंग : दार्जिलिंग हिल्स में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संभव नहीं है. यह बातें माकपा के वरिष्ठ नेता केवी वातर ने कही. उन्होंने सीधा कहा कि जीटीए समझौता के जरिए पहाड़ की जनता को गुमराह किया गया. जीटीए समझौता तृणमूल सरकार की एक सोची-समझी साजिश है.
उन्होंने कहा कि पंचायत व्यवस्था एक संवैधानिक व्यवस्था है और जीटीए व्यवस्था एक असंवैधानिक व्यवस्था है. एक असंवैधानिक व्यवस्था द्वारा संवैधानिक व्यवस्था का संचालन संभव नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर जीटीए एक्ट का संशोधन कर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराया गया तो सिलीगुड़ी महकमा परिषद का क्या होगा. विगत 26 सालों से संचालित सिलीगुड़ी महकमा परिषद का अपना अलग एक अस्तित्व है.
क्या सिलीगुड़ी की जनता सिलीगुड़ी महकमा परिषद भंग करने के लिए तैयार होगी. दूसरी ओर एक जिले में दो दो जिला परिषद का गठन संभव नहीं है. जीटीए समझौता दार्जिलिंग की आम जनता के साथ विश्वासघात है. इससे दार्जिलिंग हिल्स का विकास नहीं बल्कि बर्बादी होगी.
दार्जिलिंग में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराना संभव नहीं है. इसके अलावा जीटीए को तौजी विभाग को हस्तंतरण किया जाना भी संभव नहीं है. तौजी विभाग राज्य सरकार के अलावा राज्य के अंदर विकास एजेंसी को हस्तांतरण कभी नहीं हो सकता. माकपा दार्जिलिंग में दो स्तरीय चुनाव कराने के पक्ष में है.
उन्होंने कहा कि दो स्तरीय पंचायत चुनाव कराने से दार्जिलिंग के हर समस्याओं का समाधान हो जायेगा. उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आगामी जून महीने के अंत में स्थानीय पार्टी कार्यालय में माकपा की एक बैठक होगी. बैठक में चर्चा के बाद भावी कार्यक्रमों को तैयार किया जायेगा.