केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को काला धन मामले में 627 खाताधारकों की सूची तो सौंप दी है, लेकिन जानकारों के मुताबिक़ काला धन वापस लाने की दिशा में यह नाकाफ़ी है.
नाम भर पता लगने से काला धन वापस आ जाएगा ऐसा नहीं हैं. हाँ, इतना ज़रूर है कि इससे जांच का रास्ता ज़रूर खुलता है.
काले धन की वापसी पर अब तक क्या रहा है ख़ास और कितना है काला धन.
बता रहे हैं प्रोफ़ेसर आर वैद्यनाथन
1- कालाधन सबसे अधिक सेक्यूलर हैं. इसमें सिर्फ़ राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि सारे वर्ग, संप्रदाय और तबक़े के लोग शामिल हैं. खेल की दुनिया से लेकर बॉलीवुड तक के लोग सब इसमें शामिल हैं, यहां तक कि मीडिया के भी.
2- विदेशों में जमा ये काला धन सिर्फ़ कर चोरी से संबंधित नहीं इसके साथ ड्रग, हवाला, अवैध हथियार और चरमपंथ जैसी चीज़ें जुड़ी हुई हैं.
3- ये काला धन शेयर, बाँन्ड्स के अलावा सोना, क़ीमती पत्थर, हीरा, ज़ेवरात जैसे कई रूपों में कई लॉकरों में मौजूद हैं.
4- मेरे अनुमान के मुताबिक़ ये काला धन 500 अरब डॉलर के बराबर होगा.
5- सोशल मीडिया की भी काला धन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी. देश के लोगों की इसे वापस लाने में अब दिलचस्पी है.
6- 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि नामों का ख़ुलासा करने से विदेशों के साथ किसी भी संधि का उल्लंघन नहीं होता है. सरकार का तर्क था कि दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) की वजह से विदेशी बैंकों में जमा काला धन खाताधारकों के नाम उजागर नहीं किए जा सकते हैं.
7- किसी भी चुराए हुए डेटा को लेने में किसी भी तरह की संधि का उल्लंघन नहीं होता है. यह सबके लिए उपलब्ध होता है.
8- अभी तो सिर्फ़ नाम दिए जा रहे हैं, कालाधन वापस लाने में पांच से दस साल लग सकते हैं. हमारे सामने फ़िलीपिंस, पेरू और नाइजीरिया जैसे देशों का उदाहरण है जिन्हें काला धन वापस लाने में काफ़ी वक़्त लग गया था.
(बीबीसी संवाददाता जुबैर अहमद से बातचीत पर आधारित)
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