।। दक्षा वैदकर ।।
इ-मेल, फेसबुक के जरिये कई युवा अपनी परेशानियां बता रहे हैं. सभी की अलग-अलग समस्याएं हैं. कोई फेल हो गया है, तो किसी के दोस्त ने धोखा दे दिया है, किसी के ऑफिस का माहौल बहुत खराब है, तो किसी के घर का. किसी को रुपयों की बहुत जरूरत हैं, तो किसी को जॉब ही नहीं मिल रहा है.
समस्याएं अलग-अलग प्रकार की हैं, लेकिन सभी उसका हल आत्महत्या ही समझ रहे हैं. आश्चर्य होता है कि जब इतनी कम उम्र के लोग, जिन्होंने अभी दुनिया देखनी शुरू भी नहीं की है, आत्महत्या का ख्याल मन में ले आते हैं. वे यह नहीं सोचते कि यह केवल एक बुरा दौर है, जो गुजर जायेगा. जिस तरह एक पौधे को फलने-फूलने के लिए छाया के साथ धूप की जरूरत पड़ती है, ठीक उसी तरह इनसान को मजबूत बनने के लिए सुख के साथ दुख और अच्छे वक्त के साथ बुरे वक्त से गुजरना पड़ता है. ऐसा कभी नहीं हो सकता कि आपके साथ हमेशा अच्छा-अच्छा ही हो.
यदि आप डिप्रेशन में हैं, अकेलापन महसूस कर रहे हैं, आपके साथ कोई बड़ी घटना हुई है जिसने आपके आत्मविश्वास को तोड़ दिया है, तो आपको प्रकृति से सीख लेने की जरूरत है. किसी ने सच ही कहा है कि प्रकृति इनसान की सबसे बड़ी टीचर होती है. उसका और हमारा संबंध टीचर व स्टूडेंट का है. यह हमें हर पल कुछ न कुछ सिखाती रहती है. बस जरूरत है थोड़ा ध्यान देने की.
दोस्तो, क्या आपने पतझड़ के मौसम पर गौर किया है. जरा सोचिये, पतझड़ के समय जब पेड़ पर एक भी पत्ती नहीं बचती है, तो क्या उस पेड़ का अंत हो जाता है? नहीं. वह पेड़ हार नही मानता है. नये जीवन और बहार की आस में खड़ा रहता है और जल्द ही उसमें नयी पत्तियां आनी शुरू हो जाती हैं. उसके जीवन में फिर से बहार आ जाती है.
यही प्रकृति का नियम है. ठीक ऐसे ही अगर हमारे जीवन में कुछ ऐसे पल आते हैं, जो हमें बिखेर कर रख देते हैं, तो इसका मतलब अंत नहीं, बल्कि यह इस बात का इशारा है कि हमारे जीवन में भी नयी बहार आयेगी. अत: हमें सबकुछ भूल कर नयी जिंदगी की शुरुआत करनी चाहिए और यह विश्वास रखना चाहिए कि नयी जिंदगी पुरानी से कहीं बेहतर होगी.
– बात पते की
* दुनिया में किसी भी समस्या का हल आत्महत्या नहीं है. यह सिर्फ समस्याएं बढ़ाने का पहला कदम है, उन लोगों के लिए जो आपसे प्यार करते हैं.
* बुरा वक्त आने पर खुद को दूसरी चीजों में मशगूल करने की कोशिश करें. दोस्तों के साथ रहें, खुद को अकेला न छोड़ें और सही वक्त का इंतजार करें.