रांची: रंजीत कोहली-तारा शाहदेव प्रकरण में अब तक दो मंत्रियों, आठ न्यायिक अफसरों, दो पूर्व न्यायिक अफसरों और छह प्रशासनिक अफसरों के नाम सामने आये हैं. पहली बार जब मामला हाइकोर्ट के संज्ञान में आया, तब हाइकोर्ट ने अपने रजिस्ट्रार (विजिलेंस) मो मुस्ताक को निलंबित कर कार्रवाई की.
रांची पुलिस ने जब तीन न्यायिक अफसरों से पूछताछ की अनुमति मांगी, तो कोर्ट ने तुरंत इसकी अनुमति दे दी. पुलिस ने तीनों जजों से पूछताछ भी की, लेकिन सरकार ने अपने मंत्रियों और अफसरों से इस मामले में अब तक पूछताछ नहीं की. मंत्रियों से पूछताछ के लिए पुलिस के अधिकारी उनके घर गये और घंटों इंतजार किया, तब पूछताछ की. रंजीत कोहली ने पुलिस को दिये अपने स्वीकारोक्ति बयान में आइएएस प्रदीप कुमार, आइएफएस महेंद्र कर्दम व परितोष उपाध्याय, डीएसपी सुरजीत, डीएसपी अनिमेष नेथानी और डीएसपी अनुदीप का भी नाम लिया है. हर किसी से संबंध के स्तर का भी खुलासा किया है. डीएसपी सुरजीत के खिलाफ कार्रवाई के लिए रांची पुलिस ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा है. अन्य अफसरों से सरकार ने यह भी नहीं पूछा है कि रंजीत कोहली से उनके संबंध किस तरह के थे. रंजीत कोहली ने जो बातें पुलिस को बतायी है, उसमें कितनी सच्चाई है. क्या सच में अफसरों ने रंजीत कोहली के लिए काम किया है.
रंजीत कोहली के बयान में कई सरकारी योजनाओं को मैनेज करने की बात कही गयी है, सरकार या संबंधित विभाग के स्तर से यह भी पता लगाने की कोशिश नहीं की जा रही है कि उन योजनाओं का टेंडर करने में या क्रियान्वयन में कोई गड़बड़ी तो नहीं की गयी.
जांच का दायरा बढ़ेगा : प्रधान
सीआइडी के एडीजी एसएन प्रधान ने कहा है कि रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल और तारा शाहदेव मामले में जांच का दायरा बढ़ेगा. यह दायरा दूसरे रैकेट, दूसरे राज्यों या और अन्य लोगों तक पहुंच सकता है. बातचीत में एडीजी ने कहा कि इस प्रकरण के अनुसंधान में रांची पुलिस को मदद करने का आदेश मिला था. एएसपी अनुरंजन किस्पोट्टा के नेतृत्व में सीआइडी की टीम ने रंजीत कोहली को रिमांड पर लेकर पूछताछ की, जिसमें कई अन्य लोगों और मामलों के बारे में जानकारी मिली. इसके आधार पर सीआइडी और रांची पुलिस ने रंजीत कोहली के स्वीकारोक्ति बयान को अदालत में प्रस्तुत किया है. सीआइडी के एडीजी ने कहा कि अभी मामले की जांच जारी है. सीआइडी और रांची पुलिस को कई नये तथ्य मिले हैं, जिसके आधार जांच आगे बढ़ रही है. यह पूछे जाने पर कि रंजीत कोहली मामले में और किन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, इस पर एडीजी ने कहा कि कई नये लोगों के नाम सामने आ रहे हैं. दूसरे रैकेट से लेकर अन्य राज्यों तक जांच का दायरा बढ़ सकता है.
निगम में कोहली के दोस्त की धाक
उत्तम महतो, रांची
तारा शाहदेव प्रकरण के आरोपी रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल के खास दोस्त दीपू तिवारी का रांची नगर निगम में राज है. रकीबुल के कॉल डिटेल्स में पुलिस को दीपू तिवारी का भी नंबर मिला है.
दीपू की नगर निगम में कितनी पकड़ है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निगम में उसके परिजनों के तीन से अधिक वाहन पिछले कई सालों से कांट्रेक्ट पर चल रहे हैं. इन वाहनों पर नगर निगम के अभियंता से लेकर टाउन प्लानर तक सफर करते हैं.
एक मारुति वैन में टाउन प्लानर चलते हैं, वहीं दूसरी मारुति वैन आकस्मिक सेवा के लिए है. जबकि टाटा सूमो पर स्वास्थ्य पदाधिकारी अजय कुमार मांझी खुद चलते हैं. यहां एक बात बता दें कि नगर निगम में दीपू के परिजन कई वर्षो से कार्यरत हैं, जिसका भरपूर लाभ दीपू उठाता है.
निगम के कर्मचारी से करवाया प्रज्ञा केंद्र में काम
दीपू तिवारी का रुतबा यह है कि उसके प्रज्ञा केंद्र में नगर निगम के तीन कर्मचारी पिछले दो साल से कार्यरत थे. ये वे कर्मचारी थे, जो तनख्वाह निगम से लेते थे, लेकिन काम प्रज्ञा केंद्र का कर रहे थे. हालांकि पिछले सप्ताह निगम सीइओ मनोज कुमार ने प्रज्ञा केंद्र का निरीक्षण किया था. इसके बाद उन्होंने कर्मचारियों को प्रज्ञा केंद्र से हटाया था.
डोरंडा नगर निगम में काम करता है भाई
दीपू का भाई गुड्डू तिवारी उर्फ प्रकाश रंजन तिवारी डोरंडा नगर निगम में अनुबंध पर कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत है. दीपू के पिता बसंत तिवारी नगर निगम में लेखा पदाधिकारी हैं. एक रिश्तेदार छोटेलाल तिवारी निगम में वाहन चालक है.
दीपू तिवारी मेरा बेटा है. रंजीत सिंह कोहली से उसका परिचय डीएसपी सुरजीत सिंह के माध्यम से हुई होगी. सुरजीत और दीपू पुराने दोस्त हैं. कोहली के साथ मेरे बेटे का कितना पुराना परिचय या दोस्ती है मैं नहीं जानता.
बसंत तिवारी, लेखा पदाधिकारी, रांची नगर निगम