।। अजय दयाल ।।
रांची : तारा शाहदेव प्रकरण में गिरफ्तार रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन ने पुलिस को दिये पूरक स्वीकारोक्ति बयान कहा है कि पैरवी को लेकर झारखंड के मंत्री सुरेश पासवान और देवघर की एडीजे वीणा मिश्र एक बार उसके घर आकर मिले थे. रंजीत ने माना कि वह कोर्ट में महत्वपूर्ण कांडों में जमानत व अदालत के अंतिम फैसलों में भी पैरवी करता था, क्योंकि उसकी पहुंच राज्य के कई जिलों के न्यायिक पदाधिकारियों से थी. हाइकोर्ट के तत्कालीन रजिस्ट्रार (विजिलेंस) मुश्ताक अहमद से मधुर संबंध रहने के कारण न्यायिक पदाधिकारियों के बीच उसकी गहरी पैठ थी.
* बहाली भी कराता था : बयान के मुताबिक रंजीत कोर्ट में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की बहाली भी कराता था. उसने कोडरमा, चतरा व देवघर में बहाली के लिए क्रमश: एक, दो और चार अभ्यर्थियों से पैसे लिये. बहाली के लिए मुख्य रूप से विवेक, इंदर सिंह नामधारी का आदमी, संजीत, मंत्री सुरेश पासवान और शेरघाटी के जज राजेश प्रसाद ने पैरवी की थी. कोर्ट में बहाली के लिए जो रुपये मिलते थे, उसका बंटवारा आपस में करते थे. इंदर सिंह नामधारी के आदमी को पैरोल पर रिहा करने की पैरवी के लिए उसने हाइकोर्ट के वकील सोहैल अनवर को रुपये दिये थे. इन सबका हिसाब रोकड़- बही में दर्ज है.
* कयान प्रोजेक्ट के लिए मिले एक करोड़ : रंजीत ने कहा कि वन अधिकारी परितोष उपाध्याय को वह ह्यसरह्ण के नाम से बुलाता था. उन्हें भी वन विभाग के काम के लिए पैसे दिये. उसने ही परितोष उपाध्याय से कह कर रोहित रमण (रंजीत का दोस्त व मेवरिक कंपनी का मलिक) कोकयान प्रोजेक्ट दिलाया था. इसके लिए रोहित से एक करोड़ लिये थे.
47 लाख रुपये बैंक के माध्यम से और शेष राशि नकद ली थी. रोहित रमण को 3जी एक्वा वाटर ट्रीटमेंट डिवाइस का काम दिलाने के लिए 30 प्रतिशत कमीशन पर बात हुई थी. एनइ लिट हेल्थ केयर प्रोजेक्ट (करीब पांच करोड़ का) के लिए सात प्रतिशत कमीशन पर बात हुई थी.
* 100 एंबुलेंस के लिए लिये थे 18 लाख : बयान के मुताबिक टाटा मोटर के क्राफ्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से 100 एंबुलेंस की खरीदारी के लिए परितोष उपाध्याय के माध्यम से डील हुई थी. 18 लाख रुपये कमीशन तय हुआ था, जिसमें चार लाख छोड़ कर बाकी पैसे उसे मिल गये हैं, जिसका हिसाब परितोष उपाध्याय से हो गया है.
– क्या-क्या कहा
* चतरा, कोडरमा और देवघर में कोर्ट में बहाली के लिए पैसे लिये
* सोहैल अनवर को भी रुपये दिये गये थे
* रोहित रमण से लिये थे एक करोड़ रुपये
* परितोष उपाध्याय को भी दिये गये थे पैसे
* 3जी एक्वा वाटर ट्रीटमेंट डिवाइस के काम के लिए 30 प्रतिशत कमीशन तय हुआ था
* क्राफ्ट इंडिया से 100 एंबुलेंस खरीदने के लिए डील हुई थी
– कुछ नये नाम सामने आये
* विनोद चंद्र पांडेय (पूर्व न्यायिक दंडाधिकारी, रांची), प्रेमचंद त्रिपाठी (बार काउंसिल), बी झा प्रवीर, बंशीधर तिवारी (एसडीएम, गुमला), प्रसन्न कुमार दुबे (जिला जज, गुमला), बीके गोस्वामी (झालसा)
– डॉ प्रदीप से लिये थे 18 लाख
बयान के मुताबिक, दवा घोटाले के केस में रंजीत ने आइएएस अधिकारी डॉ प्रदीप कुमार की पैरवी की थी. उनसे 18 लाख रुपये लिये थे, जो उसके रजिस्टर में भी दर्ज है.
– नक्शा भी पास करवाता था
रंजीत के मुताबिक, नक्शा पास कराने के लिए उसने पुनीत जालान से भी पैसे लिये थे, जिसका हिसाब रजिस्टर में है.