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एशियाई खेलों में तीसरा स्वर्ण जीतेगा भारत?

आदेश कुमार गुप्त खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए कोरिया के इंचियोन शहर में होने वाले 17वें एशियाई खेलों के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम अपने आपको माहौल के अनुरूप ढालने के लिए वहां पहुंच चुकी है. अनुभवी सरदार सिंह की अगुवाई में भारतीय टीम ने पिछले दिनों ग्लास्गो में सम्पन्न राष्ट्रमंडल खेलों में […]

कोरिया के इंचियोन शहर में होने वाले 17वें एशियाई खेलों के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम अपने आपको माहौल के अनुरूप ढालने के लिए वहां पहुंच चुकी है.

अनुभवी सरदार सिंह की अगुवाई में भारतीय टीम ने पिछले दिनों ग्लास्गो में सम्पन्न राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था.

एशियाई खेलों में टीम इंडिया अपने अभियान की शुरुआत 21 सितंबर को श्रीलंका के ख़िलाफ करेगी.

इसके बाद टीम को पूल-ए में 23 सितंबर को ओमान से, 25 सितंबर को पाकिस्तान से और 27 सिंतबर को चीन से खेलना है.

पूल में शीर्ष पर रहने वाली दो टीमें सेमीफाइनल में पहुंचेंगी.

पूल-बी में मेज़बान दक्षिण कोरिया, मलेशिया, जापान, बांग्लादेश और सिंगापुर की टीमें हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्तर

कोरिया रवाना होने से पहले भारत के कप्तान सरदार सिंह ने आत्मविश्वास से कहा, "इससे पहले भारत ने दो बार एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक अपने नाम किया है. इस बार हमारा उद्देश्य स्वर्ण पदक जीतना ही है."

उन्होंने कहा, "हमारी टीम ने पिछले दिनों बेहद कड़ी मेहनत की है. मुझे लगता है कि भारत की टीम इस बार स्वर्ण पदक जीतने की हक़दार है लेकिन इसके लिए टीम को मैच-दर-मैच जाना होगा."

सरदार के मुताबिक़ सबसे महत्वपूर्ण होगा पूल में टॉप करना और उसके बाद सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल में शानदार प्रदर्शन करना.

सरदार सिंह पाकिस्तान की टीम को कमज़ोर नहीं मानते जबकि पिछले दिनों पाकिस्तान का प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतना अच्छा नही रहा.

उनका कहना है कि भारतीय टीम को कोच टेरी वॉल्श की रणनीति के अनुरूप खेलना होगा.

मजबूत टीम

दूसरी तरफ भारत के कोच ऑस्ट्रेलिया के पूर्व महान खिलाड़ी टेरी वाल्श मानते हैं कि टीम के खेल में इन दिनों काफी सुधार हुआ है लेकिन टीम को अपने ऊपर भरोसा होना चाहिए कि वह स्वर्ण पदक जीत सकती है.

वहीं टीम के उपकप्तान गोलकीपर पी श्रीजेश मानते हैं कि मेज़बान कोरिया निश्चित रूप से एशियाई खेलों में सबसे मज़बूत टीम साबित हो सकती है, ख़ासकर अपने ही दर्शकों के सामने.

इसके बावजूद श्रीजेश का मानना हैं कि विश्व कप में भारत ने कोरिया को हराया था जिसका मनोवैज्ञानिक लाभ भारत को मिलेगा.

वैसे भारत ने साल 1966 में बैंकॉक और उसके बाद एक बार फिर साल 1998 में बैंकॉक में ही एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक जीता था. देखना है कि एशियाई खेलों में 16 साल से स्वर्ण पदक का सूखा इस बार भारत के लिए समाप्त होता हैं या नहीं?

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