भारत के पूर्व नियंत्रक और महालेखक परीक्षक विनोद राय की आने वाली किताब प्रकाशन से पहले विवादों में घिर गई है.
अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार विनोद राय ने दावा किया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्व यूपीए सरकार के कुछ नेताओं ने उन पर कोयला घोटाले और राष्ट्रमंडल खेल घोटाले की रिपोर्ट से कुछ नामों को हटाने के लिए दबाव डाला था.
विनोद राय ने बीबीसी से बातचीत में इस विषय पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
लेकिन इस मामले पर कांग्रेस और अन्य कुछ दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने इन कथित दावों को किताब की बिक्री बढ़ाने की कोशिश बताया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी ने कहा है कि विनोद राय को उन नेताओं के नाम बताने चाहिए जिन्होंने कथित रूप से उन पर दबाव डाला था.
‘मीडिया से बात नहीं’
पिछले साल कैग का पद छोड़ने वाले विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपए और कोयला आवंटन में 1.86 लाख करोड़ रुपए के राजस्व के नुकसान का आकलन किया था.
हाल के दिनों में एक के बाद एक कई पूर्व नौकरशाहों और नेताओं की लिखी किताबों में कांग्रेस और यूपीए सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
इनमें पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख, प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू और पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह की लिखी किताबें शामिल हैं.
विनोद राय ने बीबीसी से कहा कि वह किताब आने से पहले इस बारे में मीडिया से बात नहीं करेंगे. उनकी किताब 20 सितंबर को रिलीज़ होगी.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)