सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष न होने पर केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.
सरकार को सुप्रीम कोर्ट को यह बताना होगा कि नेता प्रतिपक्ष न होने की स्थिति में केंद्र सरकार लोकपाल के सदस्यों का चयन कैसे करेगी.
आम आदमी पार्टी के नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ये नोटिस दिया है.
लोकपाल का चयन करने वाली नौ सदस्यीय समीति में प्रधानमंत्री के साथ-साथ लोकसभा में विपक्ष के नेता भी होते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस समिति का गठन सरकार द्वारा पारित क़ानून का हिस्सा है.
‘ठंडे बस्ते में न डाले’
सु्प्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोकपाल क़ानून के तहत नेता प्रतिपक्ष का पद बेहद महत्वपूर्ण है और इस पर वस्तुनिष्ठ विचार करने की ज़रूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले को लटकाया नहीं जा सकता है और न ही ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है. अदालत ने इस मामले के निपटारे के लिए नौ सितंबर की तारीख़ तय की है.
कांग्रेस ने दावा किया था कि वह लोकसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए उसके नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को नेता प्रतिपक्ष का पद मिलना चाहिए.
लेकिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने यह कहते हुए यह पद देने से इंकार कर दिया कि इसके लिए पार्टी के पास कम से कम 55 सदस्य होने चाहिए. कांग्रेस के लोकसभा में 44 सांसद हैं.
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