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दिल्ली के नतीजों पर क्या कहते हैं शाहीन बाग़ के लोग

<figure> <img alt="शाहीन बाग में महिलाएं" src="https://c.files.bbci.co.uk/121EA/production/_110881247_b3148be7-2e71-41ce-b128-9628cef30c62.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>तारीख – 25 जनवरी, आयोजन – दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं का सम्मेलन. </p><p>गृह मंत्री अमित शाह का मतदाताओं से आह्वान : ”चुनावों में इतनी ज़ोर से बटन दबाना कि करंट शाहीन बाग़ में लगे.” </p><p>दिल्ली के मतदाताओं ने बटन भी दबाया. […]

<figure> <img alt="शाहीन बाग में महिलाएं" src="https://c.files.bbci.co.uk/121EA/production/_110881247_b3148be7-2e71-41ce-b128-9628cef30c62.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>तारीख – 25 जनवरी, आयोजन – दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं का सम्मेलन. </p><p>गृह मंत्री अमित शाह का मतदाताओं से आह्वान : ”चुनावों में इतनी ज़ोर से बटन दबाना कि करंट शाहीन बाग़ में लगे.” </p><p>दिल्ली के मतदाताओं ने बटन भी दबाया. चुनावी परिणाम सामने आए जिसमें भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ 8 सीटों से संतुष्ट रहना पड़ा. आम आदमी पार्टी ने 62 सीटें अपने नाम कर लीं.</p><p>मंगलवार को, यानी मतगणना के दिन, शाहीन बाग़ में पिछले दो महीनों से जमा प्रदर्शनकारियों ने अपने आंदोलन को मौन रखा. साथ में उन्होंने पोस्टर भी टाँगे कि वो ”किसी राजनीतिक दल का समर्थन या विरोध नहीं करते.”  </p><p>बुधवार की दोपहर तक शाहीन बाग़ में जमा लोग कोई उत्साह नहीं मना रहे थे. लोग भी कम थे मगर महिलाएं डटी हुई दिखीं. </p><p>रूबी इन महिलाओं में से एक हैं. वो कहतीं हैं कि उन्होंने वोट डाला मगर वो किसी राजनीतिक दल को पसंद नहीं करती हैं. वह कहती हैं, ”हम अपने मुद्दे को लेकर प्रदर्शन पर बैठे हैं. नागरिकता संशोधन क़ानून, एनआरसी और एनपीआर का हम विरोध कर रहे हैं.”</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51455116?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दिल्ली चुनाव: बीजेपी को शाहीन बाग का फायदा हुआ?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51440877?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शाहीन बाग़ पर सुप्रीम कोर्ट: सार्वजनिक सड़क को प्रदर्शन के लिए नहीं रोक सकते </a></li> </ul><h1>दूसरे राज्यों से भी आ रहे लोग </h1><p>लंगर बन रहा है और पंजाब से आए सिमरनजीत सिंह बताते हैं कि लोगों के जमा होने के साथ ही सबको लंगर परोस दिया जाएगा. </p><p>लंगर बनाने में महिलाएं भी मदद कर रही हैं. सिमरनजीत सिंह का कहना है कि वो कई दिनों से शाहीन बाग़ में चल रहे प्रदर्शन में शामिल हैं. </p><p>उनका कहना था कि इस बार दिल्ली में चुनावों के दौरान हो रही बयानबाज़ी अब तक के सबसे निचले स्तर पर रही. </p><p>उनका कहना था, ”शाहीन बाग़ के आंदोलन को लेकर कितनी टिप्पणियां की गयीं. मगर मुझे दिल्ली की माँओं और बहनों पर गर्व है कि उन्होंने इस तरह की बयानबाज़ी करने वालों को मायूस कर दिया.”</p><p>हाथ में बाइबिल लिए प्रदर्शन स्थल के आस पास घूम रहे अलेक्ज़ेंडर फ़्लेमिंग कहते हैं कि शाहीन बाग़ के आंदोलन में सभी धर्म के लोग शामिल हैं. </p><p>वो कहते हैं, ”यहाँ के आंदोलन को इस तरह पेश किया जा रहा है जैसे ये सिर्फ एक संप्रदाय विशेष के लोगों का आंदोलन है, जबकि इसमें हिन्दू, सिख, ईसाई और दूसरे धर्मों के लोग भी शामिल हैं. दिल्ली के चुनावी नतीजों ने बता दिया है कि नफ़रत की राजनीति ज़्यादा दिनों तक नहीं चल सकती.”</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51321271?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शाहीन बाग़: धरना बचाने के बीच ‘आज़ादी’ आधी रात को?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51262821?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शाहीन बाग़ः क्या निशाने पर हैं पत्रकार?</a></li> </ul><p>पायल धोत्रे नागपुर से बुधवार को ही दिल्ली पहुंची हैं और वो सीधे शाहीन बाग़ आ गयीं. पायल का कहना था कि वो टीवी पर और अख़बारों में शाहीन बाग़ के आंदोलन के बारे में देखती रहीं. इसलिए वो इस प्रदर्शन में शामिल होने चली आईं. </p><p>शाहीन बाग़ की महिलाएं रोज़ की तरह ही धरने पर बैठी हैं मगर आज इनकी संख्या कम है. लोग बताते हैं कि संख्या शाम होते बढ़ जाती है जब प्रदर्शन कर रही महिलाएं अपने घरों के काम से फुर्सत पा लेती हैं. फिर मज़मा बढ़ने लगता है. </p><p>यहाँ मौजूद सनाह बीबीसी से बात करते हुए कहती हैं कि उन्हें राजनीति से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि वो उनकी समझ से परे है. वो तो आंदोलन के लिए समर्पित हैं.</p><p>जो कुछ पुरुष शाहीन बाग़ के प्रदर्शन स्थल के आसपास थे वो आने वाले लोगों पर नज़र रखे हुए थे ताकि यहाँ कोई अप्रिय घटना न घट सके. </p><p>वहां मौजूद लोगों में से एक कहते हैं, ”गृह मंत्री जी के आह्वान पर दिल्ली के लोगों ने इतनी ज़ोर से ईवीएम का बटन दबाया कि भारतीय जनता पार्टी को शॉर्ट-सर्किट का सामना करना पड़ गया.”   </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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