<p>लंदन में पहली बार 1863 में अंडरग्राउंड ट्रेन चली थी और इसे इंजीनियरों ने बड़े योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया था. </p><p>अंडरग्राउंड ट्रेन ने हज़ारों यात्रियों के सफ़र करने के तरीके को ही बदल दिया. उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इस नेटवर्क की अहम भूमिका रही. </p><p>फ़ोटोग्राफ़र माइक गोल्डवाटर को यात्रियों से बात करने और ट्यूब की जीवंत तस्वीरें उतारने का मौका मिला. </p><p>1970 के दशक के दौरान, ये तस्वीरें उस समय कैमरे में उतारी गई थीं, जब रेल तंत्र का आधुनिकीकरण नहीं हुआ था. </p><p>ये वो दौर था जब धूम्रपान करने की अनुमति दी गई थी और बड़ी मशीनों से चंद पैसों में टिकट खरीदे जा सकते थे. </p><p>आज ऐसा लगता है जैसे हर कोई ट्यूब की तस्वीरें उतार रहा है, और अक्सर वो सेल्फी भी लेते हैं. </p><p>लेकिन 20 वीं शताब्दी में ज़मीन के नीचे कैमरा ले जाना दुर्लभ चीज़ थी, जिसका मतलब ये है कि फोटोग्राफर सभी लम्हों को अपने कैमरे में कैद कर सकता था, या फिर जिनकी तस्वीर उतारी गई उनके भावों को पढ़ सकता था. </p><p>फ़ोटोग्राफ़र माइक गोल्डवाटर ने दस साल तक तस्वीरों की तलाश में एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक का सफ़र किया. इस दौरान फ़ोटोग्राफर के रूप में उनका करियर आकार लेने लगा. </p><p>तस्वीरों की ये श्रृंखला 1980 में समाप्त हुई जब उन्होंने पिक्चर एजेंसी नेटवर्क फोटोग्राफर्स को स्थापित करने में मदद की और अपने कैमरे के लेंस की दिशा ज़मीन के भीतर से ऊपर उठाकर विशाल दुनिया की ओर मोड़ दी.</p><p>माइक गोल्डवाटर की लंदन अंडरग्राउंड 1970-1980 सिरीज़, होक्सटन मिनी प्रेस द्वारा प्रकाशित की गई है.</p><p>इस तरह से दुनिया के लोगों को उनके द्वारा ली गई तस्वीरों से रूबरू होने का मौका मिला. </p><p><strong>बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
लंदन अंडरग्राउंड के यादगार लम्हे
<p>लंदन में पहली बार 1863 में अंडरग्राउंड ट्रेन चली थी और इसे इंजीनियरों ने बड़े योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया था. </p><p>अंडरग्राउंड ट्रेन ने हज़ारों यात्रियों के सफ़र करने के तरीके को ही बदल दिया. उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इस नेटवर्क की अहम भूमिका रही. </p><p>फ़ोटोग्राफ़र माइक गोल्डवाटर को यात्रियों से बात करने और […]
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