<figure> <img alt="वर्कआउट" src="https://c.files.bbci.co.uk/17A71/production/_109518869_2c491c04-a3c8-4ade-81af-6e1288180252.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>भाषा सिखाने वाले ऐप डुओलिंगो को छुए हुए मुझे कई हफ़्ते हो गए हैं. एक समय मैं इसमें लगा रहता था.</p><p>लेकिन एक दिन मैं कहीं और व्यस्त हो गया और यह मेरे दिमाग से निकल गया. अगले दिन भी वही हुआ.</p><p>मुझे ख़याल आया, "मैंने कल नहीं किया था तो मैं आज एक और दिन की छुट्टी ले सकता हूं." </p><p>क्या आपके साथ भी ऐसा होता है? इसे "व्हाट द हेल" प्रभाव कहते हैं. </p><p>अमरीका की पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के व्हार्टन स्कूल में सहायक प्रोफेसर मैरिसा शरीफ कहती हैं, "आपको लगता है कि आप नाकाम हो गए हैं."</p><p>"यही वजह है कि जब आप अपने वजन को लेकर संजीदा होते हैं उस दौरान भी हाई-कैलोरी वाली मिठाई खा सकते हैं."</p><p>"यदि आप अपनी हद से थोड़ा आगे निकलते हैं, जैसे दोस्तों के साथ खाना खाते हुए, तो संभावना रहती है कि आप हार मान लें और सीमा से बहुत आगे निकल जाएं."</p><p>"छोटी सी नाकामी के बाद अक्सर लोग अक्सर पूरी तरह हार मान लेते हैं." </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-fut-43073061?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सुपरमार्केट में ख़रीदारी भी सेहतमंद हो सकती है?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-cap-49870714?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कैसा होता है ‘सबसे ख़ुशनुमा देश’ में डिप्रेशन में होना?</a></li> </ul><figure> <img alt="वर्कआउट" src="https://c.files.bbci.co.uk/45D9/production/_109518871_767b112a-24a7-4638-9a66-64f2d716d3be.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>छोटी गलतियों से भटक जाना </h1><p>छोटी गलतियों पर हम कैसे प्रतिक्रिया करते हैं- शरीफ ने लंबे वक़्त तक इसका अध्ययन किया है. </p><p>हममें से कई लोगों को अपने लक्ष्य हासिल करने में दिक्कत होती है, क्योंकि छोटी गलतियां हमें भटका देती हैं. </p><p>"व्हाट द हेल" प्रभाव बताता है कि ये छोटी नाकामियां क्यों हम पर बहुत भारी पड़ती हैं.</p><p>ख़ुशकिस्मती से, इनसे पार पाने का एक तरीका हो सकता है. एक तकनीक है जो आपकी मदद कर सकता है. यह है आपातकाल की तैयारी. </p><p>शरीफ का कहना है कि जो लोग ख़ुद को ढीला नहीं छोड़ते, वे नाकामियों से निपटने में अधिक सक्षम होते हैं.</p><h1>बचत का बजट कैसे बनाएं?</h1><p>फर्ज कीजिए कि आप अपने लिए एक बजट बनाना चाहते हैं. आपके पास ख़र्च करने के लिए अधिकतम 1,200 पाउंड हैं. लेकिन आप इसमें से कुछ बचत भी करना चाहते हैं.</p><p>आप 1,000 पाउंड का बजट बनाते हैं और पूरे 200 पाउंड बचाने की सोचते हैं.</p><p>इसमें क़ामयाबी मिल सकती है, लेकिन अगर किसी भी वजह से आप अपने बजट से बाहर निकल जाते हैं तो इस बात की पूरी संभावना होगी कि "व्हाट द हेल" प्रभाव शुरू हो जाए और आपका ख़र्च 1,200 पाउंड से ज़्यादा हो जाए.</p><p>पूरे 1,200 पाउंड का बजट बनाने पर ज़्यादातर लोग इस पूरी रकम को ख़र्च कर देते हैं- यानी कोई बचत नहीं.</p><p>तीसरी स्थिति में आप अपने लिए 1,000 पाउंड का बजट बना सकते हैं और बाक़ी 200 पाउंड को आपातकाल के लिए सुरक्षित मान सकते हैं.</p><p>जो लोग ऐसा करते हैं, वे चाहे जिस भी वजह से अपने बजट से थोड़ा आगे निकल जाएं, लेकिन अंत में उनका कुल ख़र्च ऊपर की दोनों स्थितियों से कम होता है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-tra-50008097?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आत्मा की बीमारी का इलाज करने वाला यह वैद्य</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/science-49604183?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नवजातों के लिए कितना ख़तरनाक है गर्भावस्था के दौरान तनाव</a></li> </ul><figure> <img alt="शॉपिंग" src="https://c.files.bbci.co.uk/E219/production/_109518875_a5a7e630-22db-48a4-83ce-92819d48e1b3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>ख़र्च करने का अपराधबोध </h1><p>मानसिक रूप से उस पैसे को आपातकाल के लिए रखने से उसके इस्तेमाल पर अपराधबोध पैदा होता है. </p><p>लक्ष्य बनाते समय अपने लिए थोड़ी गुंजाइश बचाकर रखने से चुनौतीपूर्ण लक्ष्य के सारे फायदे हासिल किए जा सकते हैं.</p><p>आपातकालीन निधि से थोड़े पैसे निकालने से भी "व्हाट द हेल" प्रभाव शुरू नहीं होता यानी ख़र्च काबू से बाहर नहीं जाता.</p><p>आपातकालीन निधि की सीमा तय करते समय एक अहम कारक यह है कि उसे ख़र्च करते समय पर्याप्त अपराधबोध हो.</p><p>शरीफ कहती हैं, "उसे ख़र्च करने की एक मनोवैज्ञानिक लागत होनी चाहिए. हमारे अंतर्मन को उस समय हमें कहना चाहिए कि आपातकालीन निधि का इस्तेमाल न करें क्योंकि आने वाले समय में हमें उसकी ज़्यादा ज़रूरत पड़ सकती है."</p><p>"बहुत बार आप उसे बिल्कुल ख़र्च नहीं करेंगे. लोग उस पैसे को ख़र्च करने से हिचकिचाते हैं जब तक कि वास्तव में ज़रूरत न आ जाए."</p><p>शरीफ सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करने के प्रयास का एक और उदाहरण देती हैं. उनके एक अध्ययन में लोगों को रोजाना पैदल चलने के टारगेट दिए गए. </p><h1>पैदल चलने के प्रयोग </h1><p>एक समूह को हफ़्ते के सातों दिन अपने लक्ष्य को पूरा करना था. दूसरे समूह को हफ़्ते में 5 दिन का लक्ष्य दिया गया.</p><p>तीसरे समूह को हफ़्ते के सातों दिन लक्ष्य पूरा करने को कहा गया, लेकिन ज़रूरत होने पर उन्हें हफ़्ते के दो दिन छूट थी.</p><p>शरीफ का कहना है कि जब लोगों को मुश्किल लक्ष्य दिए जाते हैं तो वे उसके लिए कठिन प्रयास करते हैं, क्योंकि वे लक्ष्य के ज़्यादा से ज़्यादा करीब पहुंचने की कोशिश करते हैं.</p><p>इसका नकारात्मक पहलू यह है कि इसमें नाकाम होने की आशंका अधिक रहती है. </p><p>शरीफ के प्रयोग में जिस समूह को सबसे मुश्किल लक्ष्य दिया गया था, उनके एक दिन भी नाकाम होने पर पूरी तरह हार मान लेने की आशंका सबसे ज़्यादा थी.</p><p>आसान लक्ष्य सबसे आसानी से हासिल किए जाते हैं, लेकिन लक्ष्य पर पहुंच जाने के बाद और आगे बढ़ने की प्रेरणा कम होती है. </p><p>पांच दिन के लक्ष्य समूह वाले लोगों ने शायद ही कभी अपने लक्ष्य को पार किया. उन्होंने हफ़्ते में 5 दिन पैदल चलने को ही काम पूरा होना मान लिया.</p><p>तीसरे समूह के लोग पहले दोनों समूहों की तुलना में ज़्यादा पैदल चले और ज़्यादा दिन अपने लक्ष्य पर पहुंचे.</p><figure> <img alt="सेलिब्रेशन करते लोग" src="https://c.files.bbci.co.uk/93F9/production/_109518873_285d0812-78bc-4dbf-a120-f2b43404444f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>नई शुरुआत का संकल्प</h1><p>आपातकालीन रिज़र्व रणनीति के साथ कुछ दूसरी रणनीतियों को भी आजमाया जा सकता है. अगर हमारे पास नई शुरुआत का मौका हो तो हम नाकामियों से बेहतर तरीके से निपटते हैं. </p><p>नये साल पर हमारे संकल्प लेने की एक वजह होती है. कोई महत्वपूर्ण तारीख नई योजना के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को आसान बना देती है. </p><p>नये साल की शुरुआत शायद सबसे स्पष्ट उदाहरण है, लेकिन यह प्रभाव कम महत्वपूर्ण तारीखों के साथ भी देखा जा सकता है, जैसे किसी महीने या हफ़्ते का पहला दिन.</p><p>मिसाल के लिए, गूगल पर "डायट" और "जिम" जैसे शब्दों की ख़ोज महीने और हफ़्ते के पहले दिन बढ़ जाती है.</p><p>यूसीएलए एंडरसन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट की हेंगचेन डाई ने इस प्रभाव का गहराई से अध्ययन किया है. </p><p>उनके शोध के मुताबिक बड़े मौके एक मानसिक "लेखा अवधि" का निर्माण करते हैं जो हमें पिछली खामियों से आगे बढ़ने में मदद करती है.</p><p>नया साल, महीना या हफ़्ता हमें बड़े फलक को देखने का मौका देता है. इसी तरह हम किसी बाहरी कारण का उपयोग नई शुरुआत करने में कर सकते हैं. </p><p>शरीफ का कहना है कि यदि जिम किसी वजह से (जैसे रखरखाव के लिए) बंद हो तो अगले दिन जिम खुलने पर हम अपने मानसिक हिसाब को दोबारा सेट कर सकते हैं.</p><p>"यदि मैं किसी बाहरी वजह से जिम बंद होने के कारण नाकाम होती हूं तो मुझे कम बुरा लगेगा और मैं उसे जारी रखूंगी. यदि यह आलस्य (आंतरिक कारण) के कारण हुआ हो तो मैं बंद कर दूंगी."</p><h1>लत होने पर कारगर नहीं</h1><p>आपातकालीन रिज़र्व की रणनीति फ़िटनेस और उबाऊ काम को पूरा करने में कारगर है. शरीफ दफ़्तरों में आपातकालीन रिज़र्व बनाने की आदत डालने की सलाह देती हैं.</p><p>लेकिन जिस काम में मैनेजर या सहकर्मी के नियमित निरीक्षण की ज़रूरत पड़ती हो, वे इसके अनुकूल नहीं हैं. </p><p>जिन मामलों में आप किसी और की देरी की वजह से लक्ष्य से दूर रह जाते हैं वहां आप "मेरी गलती नहीं" का बहाना बना सकते हैं. </p><p>यह रणनीति एक मामले में फेल हो जाती है. शरीफ कहती हैं, "जब आपको किसी चीज़ की लत हो (जैसे सिगरेट) और आप इसे कम करना चाहते हों तो आपातकालीन रिज़र्व का तरीका मददगार नहीं होगा."</p><p>अगर आपको झटका लगता है तो ख़ुद को बहुत तकलीफ न दें. सबूत बताते हैं कि जब हम अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए कोई बहाना ढूंढ़ लेते हैं तो हम उनको और बड़ी बना लेते हैं. </p><p>किसी भी सूरत में, आपके पास मौका होगा कि आप सोमवार को अपनी स्लेट फिर से साफ कर लें. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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