नयी दिल्ली: कला हर समय में प्रासंगिक रही है. हमारा इतिहास इसकी गवाही देता है चाहे वो पुनर्जागरण कालीन लिओनार्दो द विंची, पाब्लो पिकासो हो या फिर आधुनिक समय में मकबूल फिदा हुसैन. मोनालिसा की रहस्यमयी पेंटिंग से लेकर अजंता-एलोरा की गुफाओं में बने भित्तिचित्र आज सैकड़ों सालों बाद भी लोगों की अचंभित करते हैं. केवल चित्रकला ही नहीं बल्कि म्यूजिक, डांस, एक्टिंग इत्यादि भी इसका हिस्सा है और हजारों सालों से किसी ना किसी रुप में विद्यमान है.
फाइन आर्ट: कला का एक वृहद इलाका है
पहले इन कलाओं को सम्मान की निगाह से नहीं देखा जाता था और अजीविका के लिहाज से तो कतई नहीं. माता-पिता डरते थे कि कहीं उनका बच्चा इस दिशा में ना चला जाए. लेकिन अब ऐसा नहीं है. बढ़ते शहरीकरण, उपभोक्तावाद, और कला के व्यवसायीकरण की बदौलत अब इस क्षेत्र में पेशेवरों की मांग बढ़ गयी है. फिल्म उद्योग में एक्टिंग की जरूरत तो होती ही है लेकिन इसके पीछे फोटोग्राफी, फैशन, सेट डिजाइनिंग, म्यूजिक और डांस जैसी बातें भी शामिल होती है. इन सबका अध्ययन जिसके तहत किया जाता है कि उस फाइन आर्ट कहते हैं…….
18वीं शताब्दी में आया फाइन आर्ट का विचार
फाइन आर्ट का विचार पहली बार पश्चिमी देशों में हुआ. जिसके तहत केवल पेंटिंग ही नहीं बल्कि कला के विभिन्न रूपों को शामिल किया गया. लैरी शाइनर नामक विद्वान ने 18वीं शताब्दी में अपनी पुस्तक ‘द इन्वेंशन ऑफ आर्ट-ए कल्चरल हिस्ट्री’ में पहली बार फाइन आर्ट का विचार प्रस्तुत किया. इसके तहत नृत्य और नृत्यकला, फोटोग्राफी, कॉमिक्स, प्रिंटमेकिंग और इमेजिंग, पेंटिंग, आर्टिटेक्चर, मूर्तिकला, अभिनय और रंगमंच तथा विजुअल आर्ट शामिल है.
पेशेवर आर्टिस्ट बनने की आवश्यक योग्यता
ध्यान रखें कि केवल एक चित्र बना देना या जो चीज पहले से मौजूद है उसे कला के माध्यम से कागज पर उतार देना ही काफी नहीं बल्कि आप जो भी बनाते हैं उसमें ऐसी कल्पनाशीलता होनी चाहिए जो वास्तविकता पर आधारित हो.
आप आर्टिस्ट हैं जो आपको संबंधित सामग्रियों से पूरी तरह से अवगत होना चाहिए और जानकारी होनी चाहिए कि इसका उचित उपयोग कैसे किया जाता है.
आप जब भी कला का प्रदर्शन करें तो इसमें प्रजेंटेशन और सटीकता का खास ध्यान रखना जरूरी है.
आर्टिस्ट में क्रिएटीविटी का होना एक आवश्यक गुण है. चीजों को दूसरों से अलग तरीके से देख पाने की क्षमता होनी चाहिए.
रंग संयोजन (कलर मिक्सिंग), तथा इसके प्रयोग की बेहतर तकनीक का ज्ञान होना चाहिए. साथ ही संचार कौशल का होना भी जरूरी है.
अब फाइन आर्ट में तकनीक की भूमिका काफी बढ़ गयी है इसलिए जरूरी है कि आपको इसकी बखूबी जानकारी हो.
क्या है प्रशिक्षण का स्कोप और पाठ्यक्रम
आपकी रूचि आर्ट में है और आप क्रिएटिव हैं तो फाइन आर्ट करियर के लिए बेहतरीन विकल्प है. इसके लिए फाइन आर्ट में बड़ी संख्या में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री स्तर के कोर्स उपलब्ध हैंं. विभिन्न विश्वविद्यालय और संस्थान इससे संबंधित कोर्स संचालित करते हैं. इसके अलावा फाइन आर्ट में एमए और पीएचडी का भी विकल्प है. संचालित होने वाले इन कोर्स की अवधि एक से पांच वर्ष तक की होती है.
डिप्लोमा कोर्स- फाइन आर्ट में ये एक वर्षीय कोर्स है. इस कोर्स में बारहवीं क्लास के बाद दाखिला लिया जा सकता है. इस कोर्स को करने के बाद आप या तो किसी संस्था के साथ मिलकर काम कर सकते हैं या फिर व्यक्तिगत तौर पर भी अपनी प्रतिभा के हिसाब से फ्रीलांस काम कर सकते हैं.
ग्रेजुएशन के अंतर्गत का पाठ्यक्रम- बैचलर इन फाइन आर्ट या फिर बैचलर ऑफ विजुअल आर्टस कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है. इस कोर्स की अवधि चार से पांच साल की होती है. इस कोर्स को करने के बाद कई सारी विज्ञापन या फिल्म कंपनियां आपको कैंपस प्लेसमेंट के जरिए जॉब ऑफर करती है.
पोस्ट-ग्रेजुएशन के अतंर्गत पाठ्यक्रम- इसके तहत मास्टर फाइन आर्टस या मास्टर्स इन विजुअल आर्टस कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है. इस कोर्स का समय दो साल का है.
कहां मिल सकता है करियर बनाने का मौका
फिल्म और विज्ञापन- फाइन आर्ट की पढ़ाई के बाद यदि आप परफॉर्मिंग आर्ट में प्रशिक्षित हैं तो विज्ञापन फिल्मों, लघु फिल्मों, या फिर बॉलीवुड सहित क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों में बतौर एक्टर, सिंगर, फोटोग्राफर, या फिर कोरियोग्राफर जुड़ सकते हैं. कभी-कभी इसके लिए कोर्स के बाद ऑडिशन देना होता है तो कभी कंपनियां खुद प्लेसमेंट के जरिए हायर करती है.
फैशन डिजाइनिंग और आर्किटेक्ट- अगर आपकी रूचि पेंटिंग और डिजाइनिंग में है तो आप अपना करियर बतौर फैशन डिजाइनर (जिसके तहत कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग आती है) शुरू कर सकते हैं. फिल्मों और मॉडलिंग कंपनियों में आपको बेहतर मौका मिलेगा. आप फ्रीलांसर के तौर पर भी काम कर सकते हैं. पेंटिंग में रूचि रखने वाले लोग सेट डिजाइनर, इवेंट स्टेज डिजाइनर या फिर क्रिएटिव एडवाइजर के तौर पर भी काम कर सकते हैं.
शिक्षक बनने का भी है विकल्प- इस समय अभिभावक अपने बच्चों को डांस, म्यूजिक और पेंटिंग सिखाने के प्रति उत्साहित हुए हैं. इसलिए विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षकों की मांग तो बढ़ी ही है, निजी तौर पर भी बच्चे सीखने आते हैं. इसलिए फाइन आर्ट का पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद आप शिक्षक के तौर पर भी अपना करियर शुरू कर सकते हैं.
कितना मिलेगा पैसा- बता दें कि एक आर्टिस्ट को किसी भी संस्थान में या फिर व्यक्तिगत तौर पर शुरूआती दिनों में 20 से 25 हजार रुपये तक मिल जाते हैं. बाद में अनुभव, कुछ नया सीखने की क्षमता और योग्यता के आधार पर लाखों रुपये तक की कमाई होती है.
संस्थान जहां से कर सकते हैं फाइन आर्ट की पढ़ाई-
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (वाराणसी)- उत्तर-प्रदेश के बनारस स्थित बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की विजुअल आर्ट फैकल्टी से आप बैचलर इन फाइन आर्ट, मास्टर्स इन फाइन आर्ट, बैचलर इन परफॉर्मिंग आर्ट की पढ़ाई कर सकते हैं.
कॉलेज ऑफ आर्टस (दिल्ली यूनिवर्सिटी)- यहां विजुअल, क्रिएटिव और अप्लाइड आर्ट में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल का पाठ्यक्रम उपलब्ध है.
फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट (जामिया मिल्लिया)- जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की ये फैकल्टी अपने यहां अप्लाइड आर्ट, स्कल्पचर, ग्राफिक पेंटिंग इत्यादि में अलग-अलग पाठ्यक्रम करवाती है.
कला भवन (इंस्टीट्यूट ऑफ फाइन आर्ट), विश्वाभारती- विजुअल और परफॉर्मिंग आर्ट की पढ़ाई यहां से की जा सकती है.