<figure> <img alt="विवेक ओबेरॉय" src="https://c.files.bbci.co.uk/3D1E/production/_107464651_vivekoberoiinfilmpmnarendramodi.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PRADEEP SARDANA</footer> </figure><p>प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन पर बनी फिल्म ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ पिछले कुछ समय से लगातार चर्चा में है. दो दिन पूर्व इस फिल्म की सफलता का जश्न भी मनाया गया. इस फिल्म को लेकर कहा जा रहा है कि इसे पीएम को खुश करने के लिए ही बनाया गया. </p><p>यहाँ तक ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ से पहले भी कुछ फ़िल्में ऐसी आयीं जो पीएम मोदी और उनके कार्यों और योजनाओं का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करती थीं.</p><p>मसलन ‘टॉयलेट एक प्रेमकथा’, ‘सुई धागा’, ‘उरी’, ‘एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर’, ‘मेरे प्यारे प्रधानमंत्री’ और अब ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’. इसलिए कुछ लोग ऐसी हर फिल्म को लेकर यह कहते रहे कि ये फ़िल्में पीएम मोदी को खुश करने के लिए बन रही हैं.</p><p>यहाँ आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं हो रहा कि प्रधानमंत्री को खुश करने या उनकी नज़रों या फिर उनके करीब आने के लिए फिल्मकार फिल्म बना रहे हों. सच्चाई तो यह है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के जमाने से ऐसा होता आ रहा है. </p><figure> <img alt="पीएम नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/1006E/production/_107464656_97537db5-9dad-43ab-9711-5d6058a8963d.jpg" height="371" width="660" /> <footer>OMUNG KUMAR/TWITTER</footer> </figure><h1>कोई धमाल नहीं कर सकी फिल्म ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ </h1><p>हालांकि गत 24 मई को प्रदर्शित ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई धमाल करने में असमर्थ रही है. अपने प्रदर्शन से अब तक यह फिल्म देश में सिर्फ लगभग 24 करोड़ रूपये ही एकत्र कर पायी है.</p><p>जबकि इस फिल्म से जुड़े लोग यह मान कर चल रहे थे कि पीएम मोदी की लोकसभा चुनाव में प्रचंड विजय के बाद यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर प्रचंड सफलता प्राप्त करेगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका.</p><p>असल में इस फिल्म को जितनी तीव्रता से बनाया गया उससे साफ़ है कि इस फिल्म को बनाने का पहला और बड़ा मकसद पी एम मोदी को खुश करना है. यकीन करना मुश्किल है कि इस फिल्म की शूटिंग इसी साल 28 जनवरी को शुरू हुई थी और मार्च अंत तक यानि सिर्फ दो महीने में यह फिल्म बनकर पूरी तरह तैयार थी. </p><p>इसे लोकसभा चुनाव से ठीक एक दिन पहले 11 अप्रैल को रिलीज़ होना था. लेकिन आचार सहिंता आदि और चुनाव आयोग तथा कोर्ट के विभिन्न निर्णयों के चलते यह फिल्म लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद 24 मई को ही प्रदर्शित हो पायी. तब से अब तक थिएटर्स के साथ इसके विभिन्न निजी शो भी लगातार चल रहे हैं.</p><p>पिछले दिनों दिल्ली के महादेव रोड ऑडिटोरियम में कुछ सांसदों आदि के लिए इस फिल्म का विशेष शो हुआ.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/entertainment-48674223?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अनुराग कश्यप क्यों डरते हैं तापसी पन्नू से?</a></li> </ul><figure> <img alt="उरी फिल्म" src="https://c.files.bbci.co.uk/1533E/production/_107464868_50042585_2303179176381817_6438958688386462813_n.jpg" height="976" width="976" /> <footer>Instagram/rsvpmovies</footer> </figure><h1>’उरी’ की सफलता से कोसों दूर रही ‘पीएम मोदी'</h1><p>हालांकि फिल्मकार उमंग कुमार ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ से पहले ‘सरबजीत’ और ‘मेरीकॉम’ जैसी सफल बायोपिक भी बना चुके हैं. लेकिन ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ को उन्होंने जिस तीव्र गति से बनाया वह कमाल था. हालांकि दर्शकों ने इस फिल्म के प्रति ‘उरी’ फिल्म जैसा उत्साह नहीं दिखाया. </p><p>भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान पर की गयी सर्जिकल स्ट्राइक पर बनी ‘उरी’ ने तो करीब 244 करोड़ रूपये का नेट बिजनेस करके सफलता का ऐसा नया इतिहास लिखा कि सभी दंग रह गए.</p><p>यहाँ तक प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता और शौचालय निर्माण अभियान पर अक्षय कुमार और भूमि पेड्नेकर की सन 2017 में प्रदर्शित फिल्म ‘टॉयलेट एक प्रेमकथा’ भी देश में ही लगभग 134 करोड़ रूपये का नेट बिजनेस करके सुपर हिट रही थी.</p><p>साथ ही पिछले वर्ष आई वरुण धवन और अनुष्का शर्मा की ‘सुई धागा’ फिल्म ने भी करीब 79 करोड़ रूपये एकत्र करके हिट फिल्मों में अपना नाम दर्ज करा लिया.</p><p>लेकिन ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ फिल्म अपने आप में इतना बड़ा नाम होने के बावजूद इसलिए एक औसत फिल्म बनकर रह गयी कि फिल्म में कई खामियां थीं.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/entertainment-48581977?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अभिनेत्री जो एक्टिंग के साथ ऑटो चलाती है</a></li> </ul><figure> <img alt="हकीकत फिल्म" src="https://c.files.bbci.co.uk/B24E/production/_107464654_haqeeqatposter2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Haqeeqat Film Poster</footer> </figure><h1>पंडित नेहरु को समर्पित थी ‘हकीकत'</h1><p>इधर यदि ध्यान से देखें तो पिछले 50 बरसों से अधिक से ऐसे कई फ़िल्में बनती आ रही हैं जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री की योजनाओं, उपलब्धियों और उनके कार्यों आदि की खूब सराहना की गयी या फिर प्रधानमंत्री के कहने से फिल्मकारों ने फिल्म बनायीं. </p><p>इसकी बड़ी मिसाल सन 1964 में आई फिल्म ‘हकीकत’ भी है. फिल्मकार चेतन आनंद द्वारा बनायी गयी यह फिल्म नेहरु युग में हुए भारत-चीन युद्द को लेकर थी.</p><p>चीन ने हिंदी-चीनी भाई भाई का स्वांग रचकर भारत को धोखे में रख अचानक 1962 में भारत पर हमला बोल दिया था. इससे भारत को काफी नुक्सान हुआ और पंडित नेहरु भी इससे काफी आहत हुए थे.</p><p>क्योंकि इस युद्द में भारत की पराजय से जहाँ पंडित नेहरु की विदेश नीति और सक्षमता की आलोचना होने लगी वहां इस पराजय के लिए उन्हें ही पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया जाने लगा था. </p><p>ऐसे में चेतन आनंद ने ‘हकीकत’ बनाकर दुनिया को दिखाया कि हमारी भारतीय सेना ने अपने शौर्य से किस तरह चीनी सेना का मुकाबला किया. हमारा एक एक जाबांज सैनिक किस तरह से उनके सैंकड़ों सैनिक पर भारी पड़ा.</p><p>लेकिन चीन की पूर्व युद्द योजना और हमारी शान्ति की नीतियों सहित, परिस्थितियां ऐसी बनीं कि हम यह युद्द जीत नहीं पाए. इस तरह इस फिल्म से एक सन्देश यह भी गया कि पीएम नेहरु को ही इस पराजय के लिए जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है. </p><p>हालांकि चेतन आनंद ने बलराज साहनी, धर्मेन्द्र, प्रिया राजवंश, जयंत और विजय आनंद जैसे कलाकारों के साथ इस फिल्म को बहुत ही खूबसूरती से बनाया.</p><p>फिल्म का गीत संगीत सभी कुछ इतना अव्वल की देश में युद्द की पृष्ठ भूमि पर बनी फिल्मों में, आज भी ‘हकीकत’ का स्थान बहुत ऊपर है. फिल्म की गिनती देश की चुनिन्दा कालजयी फिल्मों में होती है.</p><p>’हकीकत’ में ऐसे कई संवाद थे जो दर्शाते थे कि चीन ने किस तरह भारत को धोखा दिया. ऐसा ही एक संवाद था- "आज एक दोस्त ने बगल में छुरा खोंपा है. हमारा बुद्ध,अशोक,गांधी और नेहरु का देश शान्ति का प्रतीक जरुर है पर यह बुजदिली का कायल नहीं."</p><p>हालांकि फिल्म पूरी होने के समय एक बडी घटना यह घटी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु का निधन हो गया. यह देख चेतन आनंद बहुत दुखी हुए. लेकिन उन्होंने पंडित नेहरु की अंतिम यात्रा के दृश्यों को भी अपनी फिल्म के अंत में जोड़ लिया. </p><p>साथ ही फिल्म ‘हकीकत’ में वे वास्तविक दृश्य भी हैं जब इस युद्ध से दो बरस पहले चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री झाऊ एनलाई ने भारत आकर भाई भाई और दोस्ती का आडम्बर रचा था और भारत में एनलाई का स्वागत गर्म जोशी से किया गया था. </p><p>उधर चेतन आनंद ने ‘हकीकत’ फिल्म के शुरू में यह लिखित घोषणा भी दी- "यह फिल्म पूरी विनम्रता के साथ स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरु को समर्पित है. जो इस तरह के प्रयासों के लिए सदा प्रेरणा का स्त्रोत रहे और आज भी हैं."</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/entertainment-48586074?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गिरीश कर्नाड को किरदारों में खोजना आसान नहीं </a></li> </ul><figure> <img alt="उपकार फिल्म" src="https://c.files.bbci.co.uk/45B6/production/_107464871_e6afff6d-1d06-404d-8053-1abc8a400905.jpg" height="1100" width="800" /> <footer>UPKAR FILM POSTER</footer> </figure><h1>शास्त्री जी के कहने पर बनी ‘उपकार’ </h1><p>मनोज कुमार को जिस फिल्म ने भारत कुमार बनाया और जिस फिल्म से वह निर्देशक बने वह फिल्म थी- ‘उपकार’.</p><p>साल 1967 में आई इस फिल्म ने लोकप्रियता और सफलता के तो नए आयाम बनाए ही साथ ही देश भक्ति की फिल्मों को भी एक नयी धारा दी.</p><p>लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ‘उपकार’ जैसी फिल्म बनाने की सलाह मनोज कुमार को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दी थी. असल में ‘उपकार’ फिल्म शास्त्री जी के नारे ‘जय जवान जय किसान’ पर आधारित थी.</p><p>स्वयं मनोज कुमार ने कुछ बरस पहले मुझसे अपनी एक बातचीत में बताया था कि उन्होंने ‘उपकार’ को शास्त्री जी के कहने पर ही बनाया था.</p><p>मनोज कुमार ने मुझे बताया, "सन 1965 की बात है. दिल्ली में मेरी फिल्म ‘शहीद’ का प्रीमियर था. मैंने अपनी इस फिल्म को दिखाने के लिए तब के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को आमंत्रित किया."</p><p>"संयोग से उन्होंने मेरा निवेदन स्वीकार कर लिया. वह प्रीमयर पर आये और ‘शहीद’ देखने के बाद फिल्म की और मेरी तारीफ़ की. तभी उन्होंने मुझसे कहा कोई ऐसी फिल्म बनाओ जो जवानों के साथ किसानों पर भी हो." </p><p>मनोज आगे बताते हैं, "मुझे शास्त्री जी का यह सुझाव पसंद आया. मैंने तभी फिल्म की कहानी लिखनी शुरू कर दी जिसका नाम मैंने ‘उपकार’ रखा."</p><p>मनोज कुमार, आशा पारिख, कामिनी कौशल, प्रेम चोपड़ा और प्राण जैसे सितारों वाली फिल्म ‘उपकार’ भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर है. मनोज कुमार ने इसकी पटकथा तो अच्छी लिखी ही साथ ही अच्छे अभिनय, निर्देशन और गीत संगीत के कारण यह फिल्म अमर हो गयी है.</p><p>हालांकि इसे नियति कहें या क्या जिस तरह ‘हकीकत’ प्रदर्शित होने से पहले पंडित नेहरु नहीं रहे. ठीक ऐसे ही ‘उपकार’ के प्रदर्शन से पहले शास्त्री जी का भी निधन हो गया.</p><p>’उपकार’ फिल्म के आरम्भ में मनोज कुमार ने भी घोषणा करते हुए लिखा-"यह फिल्म विनम्रता के साथ भारत के महान बेटों में से एक श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पवित्र स्मृति को समर्पित है." </p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/entertainment-48524628?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सुपर-30 के ट्रेलर पर क्या बोले आनंद कुमार?</a></li> </ul><figure> <img alt="जय बांग्लादेश" src="https://c.files.bbci.co.uk/93D6/production/_107464873_1076c560-59ff-4f88-87bc-c089e19b79e5.jpg" height="850" width="549" /> <footer>Jai Bangladesh Film Poster</footer> </figure><h1>बांग्ला देश आज़ाद होने पर बनी ‘जय बांग्ला देश’ </h1><p>सन 1971 में जब भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान को पराजित कर बांग्ला देश की स्थापना हुई, तभी फिल्मकार आई एस जौहर ने भी एक फिल्म ‘जय बांग्ला देश’ बना दी. यह फिल्म असल में पूर्वी पाकिस्तान में आज़ादी के लिए लड़ रहे इंकलाबियों की कहानी थी. </p><p>तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हीं इंकलाबियों के समर्थन में भारतीय सेना को उतारकर पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान से अलग कर आज़ाद बांग्लादेश की स्थापना करा दी थी. </p><p>हालांकि इस फिल्म में इंदिरा गाँधी या भारतीय सेना को लेकर तो कुछ नहीं दिखाया था. लेकिन जिस तरह इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश को आज़ाद कराकर वहां के लोगों का साथ दिया था.</p><p>वैसे ही आई एस जौहर ने वहां के लोगों की पीड़ा और उनके आज़ादी के आन्दोलन को सही ठहराकर उस पर यह फिल्म बना वहां के इंकलाबियों को भी सही ठहराया और इंदिरा गांधी को भी. </p><p>बांग्लादेश आज़ाद होने के बाद यह फिल्म काफी लोकप्रिय हुयी. इस फिल्म के प्रमुख कलाकारों में कावेरी चौधरी,अम्बिका जौहर, दिलीप दत्त,मधुमती और आई एस जौहर थे.</p><p>’जय बांग्लादेश’ के गीत भी काफी लोकप्रिय हुए थे जिसमें ‘दुनिया वालो, छोटे से सवाल का जुल्म के फैले जाल का जवाब दो’ के साथ ‘जिंदगी तुमने लाखों की लुटाई होगी’ और ‘रुके न जो झुके न जो हम वो इन्कलाब हैं” शामिल हैं.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/entertainment-48495942?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सलमान ख़ान: पापा हमारे दोस्त जैसे हैं</a></li> </ul><figure> <img alt="सुई धागा" src="https://c.files.bbci.co.uk/E1F6/production/_107464875_2893ac2f-70b0-4452-a766-fe96be47c57b.jpg" height="1350" width="976" /> <footer>Sui Dhaaga Film Poster</footer> </figure><h1>बेनेगल ने भी बनायीं ‘मंथन’ और ‘सुसमन’ </h1><p>जिस तरह कुछ समय पहले यशराज फिल्म्स ने अनुष्का शर्मा और वरुण धवन को लेकर फिल्म ‘सुई धागा’ बनायीं, जो पीएम मोदी के मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसे अभियान पर थी.</p><p>कुछ ऐसे ही फिल्मकार श्याम बेनेगल ने भी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दौर में फिल्म ‘मंथन’ और प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दौर में ‘सुसमन’ को बनाया था. </p><p>सन 1976 में प्रदर्शित ‘मंथन’ फिल्म इंदिरा युग में हुई गुजरात की दुग्ध क्रांति पर फोकस थी तो 1987 में आई ‘सुसमन’ तब के हथकरघा उद्योग के विकास को लेकर थी. ‘मंथन’ में स्मिता पाटिल, गिरीश कर्नाड, अमरीश पुरी और नसीरूदीन शाह थे तो ‘सुसमन’ में शबाना आज़मी, ओम पुरी, कुलभूषण खरबंदा, मोहन अगाशे आदि थे. </p><h1>मोरारजी देसाई के समय ‘नसबंदी'</h1><p>जिन आईएस जौहर ने इंदिरा गांधी के बांग्ला देश आज़ाद कराने के कार्य को समर्थन देने के लिए ‘जय बांग्ला देश’ बनायीं. लेकिन जब देश के प्रधान्मंत्त्री मोरारजी देसाई थे तब सन 1978 में उन्हीं जौहर ने ‘नसबंदी’ फिल्म बनाकर इंदिरा गांधी का जबरदस्त विरोध किया.</p><p>साथ ही उन्होंने ‘नसबंदी’ फिल्म में जनता पार्टी की तर्ज पर जनता जनार्दन पार्टी दिखाकर और जनता पार्टी के मुख्य संस्थापक जय प्रकाश नारायण की प्रशंसा में गीत भी रखा था. यह फिल्म इंदिरा गाँधी शासन के सबसे काले अध्याय आपातस्थिति और उसी दौर में देश में जबरन चले नसबंदी अभियान के विरोध में थी.</p><p>जौहर अपनी इस फिल्म में खुद तो अहम् भूमिका में थे ही. साथ ही उनकी बेटी अम्बिका जौहर, पुत्र अनिल जौहर और जीवन तथा टुनटुन भी थे.</p><p>लेकिन फिल्म में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के हमशक्ल ही नहीं शत्रुघन सिन्हा, राजेश खन्ना, मनोज कुमार और देव आनंद जैसे दिखने वाले व्यक्तियों को सेवा नन्द, शाही कपूर, कनोज कुमार, अनिताव बच्चन, राकेश खन्ना और शत्रु बिन सिन्हा के नाम से परदे पर प्रस्तुत किया था. </p><p>हालांकि जौहर की यह फिल्म एक मसाला फिल्म थी. लेकिन इस फिल्म के भी गीत मशहूर हुए थे. जिसमें ‘क्या मिल गया सरकार इमरजेंसी लगाके’ और ‘बापू तेरे देश में यह कैसा अत्याचार’.</p><p>फिल्म के बापू तेरे गीत में एक जगह दो पंक्तियाँ हैं- ‘सारे देश पर जुल्म सितम के घोर अँधेरे छाये, तब प्रकाश की किरणें लेकर जय प्रकाश आये’. इसी गीत में फिल्म में जय प्रकाश नारायण के चित्र के साथ उनका यह गुणगान किया गया था.</p><p>अब यह देखना दिलचस्प रहेगा की आने वाले दिनों में दर्शकों को इस तरह की और कौन कौन सी फ़िल्में देखने को मिलेंगी.</p><p>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप <a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a> कर सकते हैं. आप हमें <a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a>, <a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a>, <a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a> और <a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</p>
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प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए पहले भी बनती रही हैं फ़िल्में
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