भारत ने कश्मीर पर गठित संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक दल से कहा है कि वो नई दिल्ली में सरकारी बंगले को खाली कर दें.
भारतीय सरकार का कहना रहा है कि पूरा कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और कश्मीर मसले को सुलझाने के लिए तीसरे पक्ष की कोई ज़रूरत नहीं है.
सरकार 1949 में स्थापित पर्यवेक्षक दल से भी नाख़ुश रही है क्योंकि इससे कश्मीर में बाहरी हस्तक्षेप का आभास मिलता है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ये दल अपनी प्रासंगिकता खो चुका है, इसलिए ये क़दम उठाया गया है.
कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र मिशन का मुख्य दफ़्तर श्रीनगर के अलावा पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में है. इस मिशन की स्थापना संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पास एक प्रस्ताव के बाद हुई थी. इसका मक़सद था दोनो पक्षों के बीच युद्धविराम की निगरानी रखना.
रिपोर्टों के अनुसार दल के एक अफ़सर ने कहा है कि वो संयुक्त राष्ट्र के आदेश के अनुसार अपना काम जारी रखेंगे और वो एक नए ठिकाने की तलाश में हैं.
भारत के इस ताज़ा कदम को कैसे देखा जाए?
क्या भारत का कहना सही है कि ये दल अपनी प्रासंगिकता खो चुका है या फिर भारत कश्मीर मामले को अपने ढंग से निपटने की कोशिश कर रहा है?
यही है 12 जुलाई को प्रसारित होने वाले इंडिया बोल का विषय.
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