बीते मई महीने में कैलिफोर्निया के इलिएट रॉजर ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर छह लोगों की हत्या कर दी थी. रॉजर हॉलीवुड के एक फ़िल्मकार के बेटे थे.
उनमें समाज ख़ासकर महिलाओं के प्रति बेहद ग़ुस्सा भरा था. वो ग़ुस्सा क्यों थे और वे लोगों की जान लेने पर क्यों तुल गए? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब अब नहीं मिल सकते.
इलिएट की मौत पुलिस की जवाबी कार्रवाई में हो गई. हॉलीवुड के स्क्रीन राइटर डेल लॉनेर रॉजर को क़रीब से जानते थे. उन्होंने उनकी समस्या को समझने और दूर करने की कोशिश की थी.
उन्होंने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के कार्यक्रम ‘अपडेट’ में रॉजर के बारे में कई बातें की. उन्हें आज भी महसूस होता है कि वे रॉजर की समस्या को ठीक से समझ लेते तो शायद उनकी जान बचा लेते.
पढ़िए स्क्रीन राइटर डेल लॉनेर की पूरी बात, विस्तार से.
गोलीबारी की रात से पहले इलिएट ने मुझे और 22 अन्य लोगों को 9.18 बजे ईमेल भेजा था, अपनी मुनादी वाला पत्र. मैंने शुरुआती दस पन्ने पढ़े.
इसमें महिलाओं और समाज के प्रति वो शिकायतें शामिल थीं, जिनका ज़िक्र वो पहले भी कर चुका था, लेकिन इस बार ये ज़्यादा गुस्से से भरी हुई थीं. मैं चिंतित हुआ कि कहीं ये सुसाइड नोट तो नहीं है. मैंने ये भी सोचा कि वो शायद ज़्यादा परेशान है.
अगली सुबह उठने के बाद जब मैंने अपना ईमेल चेक किया तो एक मित्र का संदेश था- इस्ला विस्ता में गोलीबारी करने वाला मेरा परिचित है. मैंने प्रार्थना की कि इसमें किसी की मौत नहीं हुई हो, लेकिन इलिएट ने लोगों की हत्याएं की थीं. मैं आतंक और सदमे से भर गया.
मैंने ख़ुद को कभी इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं समझा, लेकिन कभी कभी मैं ख़ुद को दोषी समझने लगता हूं. क्या होने वाला है, ये जाने बिना क्या मैं इलिएट को रोक सकता था?
इलिएट की घोषणा वाले पत्र और उसके बनाए वीडियो को देखकर तो यही लगता है कि मैं किसी दूसरे इलिएट को जानता था. वीडियो में दिख रहा युवा अहंकार, दर्प और घृणा से भरा हुआ था, जबकि मेरा इलिएट तो विनम्र, दब्बू और अजीब ही क़िस्म का था.
आठ या नौ साल की उम्र में वो पहली बार मिला था. अब मैं देख रहा हूं कि उसके साथ कुछ ना कुछ ग़लत हुआ होगा. मैं मनोविज्ञानी नहीं हूं लेकिन पीछे मुड़कर देखने पर लगता है कि वो मानसिक तौर पर टूट चुका था. उसमें आत्मविश्वास की कमी थी.
हिंसक नहीं था रॉज़र
इलिएट की तेज़ आवाज़ कभी नहीं सुनी. वो ग़ुस्से से उबलने वालों में भी नहीं था. वीडियो में उसने जिस तरह का दुस्साहस दिखाया, वैसा मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा.
हम मिले कम थे, लेकिन ईमेल पर संपर्क था. उसे यक़ीन हो चला था कि महिलाएं उससे नफ़रत करती हैं, लेकिन क्यों, इसका उन्होंने कभी जवाब नहीं दिया.
किसी ने उसके साथ बुरा बर्ताव किया हो, ऐसा मुझे नहीं लगता. हो सकता उसे अपनी उपेक्षा आहत करती हो.
एक बार मैंने उसे एक काम दिया कि कुछ लड़कियों से दोस्ती करो. मैंने उससे कहा कि कॉलेज के कैंपस में किसी लड़की को देखकर उसके बाल या चश्मे की तारीफ़ किया करो. वैसे ही.
ज़बर्दस्ती बात करने की कोशिश न करो, लेकिन तारीफ़ करो. अगली मुलाक़ात में वो तुम्हें देखकर ज़रूर मुस्कुराएगी. तुम्हारी एक दिन उससे दोस्ती हो जाएगी.
एक सप्ताह बाद मैंने जब उससे इस बारे में पूछा तो उसने कहा, "मैं क्यों तारीफ़ करूं. वे मेरी तारीफ़ क्यों नहीं करतीं?"
तब मुझे महसूस हुआ कि वो परेशान है.
ईमेल पर हुई बातचीत ने मुझे और ज़्यादा निराश किया. मैंने उससे कहा कि तुम्हें अपने आस पास के हालात को बदलने की कोशिश करनी चाहिए, वरना तुम्हारी समस्याएं और बढ़ेंगी.
दुखी रहता था इलिएट
इलिएट ने ज़ोर देते हुए कहा, "मेरी मुश्किलें दूसरे लोगों की वजह से है. मैं ख़ुद को क्यों दोष दूं?"
लोगों ने उसकी मदद करने की कोशिश की. लेकिन उसका चरित्र ही कुछ ऐसा था कि वो हमेशा दुखी रहता था.
हम दोनों के एक परिचित ने मुझसे एक बार कहा था, "मैंने इलिएट को कभी मुस्कुराते हुए नहीं देखा."
उसके घर पर किसी समारोह में, मैंने उसके पिता पीटर से पूछा था कि क्या इलिएट हंसमुख नहीं है. तो उन्होंने कहा था कि वो हंसमुख है.
इस समारोह में उसे मैंने दो तीन महिलाओं के साथ हंसते खिलखिलाते देखा था. तब वो बिल्कुल सामान्य लग रहा था.
उसने अपने पत्र में अपनी सौतेली मां को निरंकुश और निर्दयी बताया. लेकिन वास्तविकता में वे बेहद प्यारी महिला हैं. उसके भाई-बहन भी सामान्य हैं.
लेकिन अब उसके परिवार के लिए आने वाला हर दिन एक बुरा दिन साबित हो रहा है.
युवाओं पर अंकुश
इलिएट जैसे युवा किसी स्टोर में जाकर बंदूक खरीद कर अमरीका को असुरक्षित बना रहे हैं. मैं बंदूक विरोधी नहीं हूं. मेरे पास भी बंदूक है, लेकिन इलिएट जैसे युवा को बंदूक नहीं मिलना चाहिए.
मुझे लगता है कि हालात बदलेंगे और ख़तरनाक प्रवृति के लोगों को हथियार हासिल करने से रोकना संभव होगा. हालांकि यह इतना आसान भी नहीं होगा क्योंकि इलिएट ने पहले तो किसी हिंसक काम को अंजाम नहीं दिया था. वो उन लोगों में नहीं था जो अपना आपा आए दिन खो देते हैं.
मई के बाद से मैं लगातार सोच रहा हूं कि इलिएट के साथ ग़लत क्या हुआ. उसने ऐसा कदम क्यों उठाया. ये ऐसा पहलू है जिस पर मैं काफ़ी सोच रहा हूं.
मुझे अपने माता-पिता की याद आ रही है. उनके पास एक प्यारा कुतिया थी, जिसने पांच पिल्लों को जन्म दिया. उसमें चार बेहद प्यारे थे. लेकिन पांचवां पिल्ला पाइपर पता नहीं क्यों हमेशा ग़ुस्से से भरा था.
मैं आज तक नहीं समझ पाया कि पाइपर ऐसा क्यों था, ठीक उसी तरह जिस तरह से मैं इलिएट को भी नहीं समझ पाया.
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