जून महीने के शुरू में पश्चिमी किनारे से अग़वा किए गए तीन इसराइली युवा हेबरॉन में मृत पाए गए हैं.
इसराइली सेना के एक प्रवक्ता के अनुसार उनके शव हलहुल शहर में एक गड्ढे में मिले. 16 साल के नफ़तली फ़्रेंकेल, गिलाद शार और 19 वर्षीय इयाल इलफ़राच आख़िरी बार हेबरॉन शहर के एक चौराहे पर देखे गए थे.
इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इसके लिए हमास को ज़िम्मेदार ठहराया है, पर हमास ने इससे इनकार किया है.
इसराइली सुरक्षा कैबिनेट की बैठक में नेतन्याहू ने कहा, ”वे तीनों अग़वा करके जानवरों के ज़रिए मार दिए गए. हमास को इसकी क़ीमत चुकानी होगी.”
लेकिन हमास के प्रवक्ता समी अबू ज़ुहरी ने समाचार एजेंसी एएफ़पी से बातचीत में इसराइल को जवाब दिया और कहा कि हमास को इसकी सज़ा देने की कोई भी कार्रवाई ‘नरक का दरवाज़ा खोल देगी.’
समी अबू ज़ुहरी ने फ़ेसबुक पर लिखा, ”नेतन्याहू को समझना चाहिए कि उनकी धमकियों से हम डरने वाले नहीं हैं.”
इस घटना के बाद हमास को पूरी तरह ख़त्म करने की मांग उठने लगी है.
इसराइल ख़ुफ़िया एजेंसी शिन बेत ने इसराइली युवाओं के अपहरण और फिर बाद में उनकी हत्या के लिए हमास के दो कार्यकर्ताओं को ज़िम्मेदार ठहराया है.
शांति की अपील
इसराइली राष्ट्रपति शिमोन पेरेज़ ने कहा कि पूरा राष्ट्र गहरे दुख में है. उधर, फ़लस्तीनी अथॉरिटी के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने फ़लस्तीनी नेताओं की आपात बैठक बुलाई है.
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ‘बेगुनाह इसराइली युवाओं की हत्या की निंदा’ करते हुए तमाम पक्षों से अपील की है कि ‘वो कोई भी ऐसा काम न करें जिससे हालात बिगड़ें.’
पोप फ़्रांसिस ने इसे शांति के रास्ते में बड़ी बाधा क़रार दिया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने दोनों पक्षों को संयम बरतने को कहा है.
12 जून को युवाओं को अग़वा किया गया था उसके बाद से जवाबी कार्रवाई में इसराइली सुरक्षा बलों ने लगभग 400 फ़लस्तीनी युवाओं को गिरफ़्तार किया है और पांच फ़लस्तीनी नागरिक मारे गए हैं.
नेतन्याहू ने इसे हमास और फ़तह संगठन के बीच समझौते का नतीजा बताया है. समझौता अप्रैल में हुआ था. फिर जून में दोनों ने गठबंधन सरकार बनाई.
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