मित्रो,
खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कृषि नीति व कई योजनाएं हैं. इन सब के केंद्र में किसान हैं. किसानों को कैसे खेती की सुविधाएं, सरकारी सहयोग और ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले, यह इसका मूल मकसद है. किसानों तक इससे जुड़ी जानकारी पहुंचाने के सरकारी और गैर सरकारी माध्यम भी हैं. इनके जरिये किसानों को सरकारी योजनाओं के बारे में बताया जाता है और उनके लाभ लेने के लिए प्रेरित किया जाता है. कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विभाग और कृषि सलाहकार संस्थान इस काम में लगे हुए हैं. इन सबके बावजूद सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता की कहीं-न-कहीं घोर कमी की शिकायत अक्सर आती है. समय पर बीज, खाद और डीजल अनुदान नहीं मिलने की शिकायतें आम हैं. हर साल यह कहानी दोहरायी जाती है. हर साल किसान और कृषक संगठन इसे लेकर गुस्से का इजहार करते हैं और अगले साल फिर वही स्थिति बन जाती है. इसे दूर करने के लिए सरकारी तंत्र में ठोस जन हस्तक्षेप की जरूरत है. लिखित रूप में कृषि विभाग और उससे जुड़ी एजेंसियों से पूरी जानकारी हासिल करना इस दिशा में प्रभावी कदम हो सकता है. इसके लिए सूचना का अधिकार बड़ा माध्यम बन सकता है. झारखंड में कई आरटीआइ एक्टिविस्टों ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का इस्तेमाल कर कृषि विभाग की गड़बड़ियों को न केवल उजागर किया है, बल्कि दोषियों को अदालत के कटघरे में खड़ा भी किया है. केंद्र सरकार की कृषि नीतियों और योजनाओं पर नजर डालें, तो खेती के क्षेत्र में तेजी से क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीदें साफ-साफ दिखती हैं, लेकिन कहीं-न-कहीं ऐसी बाधाएं हैं, जो इन नीतियों और योजनाओं की सफलता की राह रोकते हैं. हम इनके बारे में ज्यादा-से-ज्यादा जानकारी जुड़ा कर इन बाधाओं को कम करने की पहल कर सकते हैं. इसी के तहत इस बार हम राष्ट्रीय कृषि नीति और योजनाओं की बात कर रहे हैं.
आरके नीरद
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है, जिसका लक्ष्य खेती एवं इससे जुड़े क्षेत्रों का समग्र विकास सुनिश्चित करना है. यह कृषि क्षेत्र की वार्षिक विकास दर को बढ़ाने के लिए है. इसके तहत खेती और इससे जुड़े क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने का दायित्व राज्य सरकारों को दिया गया है. राज्यों की यह जवाबदेही है कि वह इस तरह से पूंजी के निवेश को बढ़ावा दे, ताकि इन क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं बढ़ें. किसानों और ग्रामीण आबादी को सरकार की सभी तरह की योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सके. योजनाओं को लागू करने के लिए लाभुकों के चयन में सरकारी तंत्र नियमों को जटिल बनाने की बजाय लचीला रुख अपनाएं, ताकि किसान और ग्रामीण इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए आगे आ सकें. इसके तहत जिला स्तर पर ऐसी योजनाएं भी बनायी जानी हैं, जो वहां के जलवायु की परिस्थितियों के अनुकूल हो और खेती तथा उससे जुड़े रोजगार को बढ़ावा दे सके. योजना बनाते समय जिले में उपलब्ध प्राकृतिक साधन तथा तकनीकी व्यवस्था का भी ध्यान रखा जाना है.
कृषि के क्षेत्र में सभी जिलों की अपनी-अपनी जरूरतें हैं. उनका बाजार भी अपने हिसाब का है. इस योजना के तहत इन विषयों को ज्यादा तरजीह दी गयी है. आप सूचनाधिकार के तहत यह पूछ सकते हैं कि आपके जिले में इस योजना के तहत किस-किस तरह के कार्य हुए हैं. उनका लाभ किन-किन लोगों को मिला है. फसलों के उत्पादन की दर में कितनी वृद्धि हुई है तथा किसानों को कितना आर्थिक लाभ पहुंचाया गया है. यह लाभ सीधा-सीधा आर्थिक रूप में ही हो, यह जरूरी नहीं है. आर्थिक लाभ का मतलब योजनाओं के तहत मिली सहायता से हुआ आर्थिक मुनाफा भी है.
राष्ट्रीय मृदा-स्वास्थ्य एवं ऊर्वरता प्रबंधन परियोजना
यह योजना राष्ट्रीय स्तर पर खेतों की मिट्टी में सुधार के लिए लागू की गयी है. यह खेतों की पैदावार क्षमता के विकास के लिए अहम है. किसान पारंपरिक खेती करते हुए इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं कि उनके खेतों की मिट्टी की उर्वर क्षमता वर्तमान में क्या है. इसकी जानकारी के अभाव में खेती करना न केवल किसानों के लिए नुकसानदेह है, बल्कि उत्पादन को लेकर राष्ट्रीय स्तर की समस्या भी है. केंद्रीय कृषि विभाग ने इस समस्या को हल करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर यह योजना शुरू की है और राज्य सरकारों को इसके लिए वित्तीय सहायता भी देती है. 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू की गयी यह योजना किसानों के लिए बेहद उपयोगी है. किसानों का यह अधिकार है कि वह प्रखंड स्तर पर मिट्टी जांच के लिए स्थापित केंद्रों में अपने खेतों की मिट्टी के नमूने लेकर जाये और जांच रिपोर्ट के आधार पर अपने क्षेत्र के कृषि पदाधिकारी व विशेषज्ञों से मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने वाले उपायों की जानकारी हासिल करे. आमतौर पर किसान ज्यादा पैदावार हासिल करने के लिए अपने हिसाब से खेतों में खाद डालते हैं और उसी तरह कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं. इससे मिट्टी की उर्वर क्षमता घटती है. खास कर रासायनिक खाद के अंधा धुन प्रयोगों से. इस योजना का लक्ष्य किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उत्पादन क्षमता में सुधार करना है. इसके तहत कई तरह के उपाय सुझाये गये हैं. जैसे हरित खाद के जरिए मृदा-स्वास्थ्य में सुधार.
हरित खाद के जरिए मृदा-स्वास्थ्य में सुधार
ऊर्वरता तथा फसल उत्पादकता में वृद्धि के लिए अम्लीय या क्षारीय भूमि में सुधार लाने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए हरित खाद को अपनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर किसानों को सहायता दी जा रही है.
किसानों के लिए तय सुविधाएं
मिट्टी जांच परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना और उन्हें सुदृढ़ करना. इसके लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार को आर्थिक मदद देती है.
सूक्ष्म पोषक तत्वों के विश्लेषण के लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत 500 नये मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं तथा 250 चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना करनी थी.
मिट्टी जांच प्रयोगशाला में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी और विशेषज्ञ बहाल करना, ताकि किसानों को इस केंद्रों का समय पर और समुचित लाभ मिल सके.
राष्ट्रीय कृषि योजनाएं
राष्ट्रीय मृदा-स्वास्थ्य एवं ऊर्वरता प्रबंधन परियोजना
सूक्ष्म सिंचाई का राष्ट्रीय मिशन
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
राष्ट्रीय किसान नीति
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
राष्ट्रीय बागवानी मिशन
राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्र म
ग्रामीण गोदाम योजना या ग्रामीण भंडारण योजना
राष्ट्रीय बीज सहायता योजना
ग्रामीण प्रधामंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
ग्रामीण उद्योग समूहों के प्रचार कार्यक्रम
कृषि क्लीनिक और कृषि व्यापार केंद्र योजना
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा)
न्यूनतम मजदूरी
इन क्षेत्रों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना लागू है
गेहूं, धान, मोटे अनाज, दलहन, तिलहनों जैसी प्रमुख खाद्य फसलों का विकास.
कृषि यंत्रीकरण.
मिट्टी स्वास्थ्य बढ़ाने से संबंधित क्रि याकलाप.
पनधारा क्षेत्रों के अंदर और बाहर वर्षा सिंचित फार्मिंग प्रणाली का विकास. साथ ही पनधारा क्षेत्रों, बंजर भूमियों, नदी घाटियों का समेकित विकास,
राज्य बीज फार्मों को सहायता.
समेकित कीट प्रबंधन योजनाएं.
गैर फार्म क्रि याकलापों को बढ़ावा देना.
मंडी अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण तथा मंडी विकास.
विस्तार सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए अवसंरचना को मजबूत बनाना.
बागवानी उत्पादन को बढ़ावा देने संबंधी क्रि याकलाप.
सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों को लोकिप्रय बनाना.
पशुपालन एवं मात्स्यिकी विकाय क्रि याकलाप.
भूमि सुधारों के लाभानुभोगियों के लिए विशेष योजनाएं.
परियोजनाओं की पूर्णता की अवधारणा शुरू करना.
कृषि व बागवानी को बढ़ावा देने वाले राज्य सरकार के संस्थाओं को अनुदान सहायता.
प्रगतिशील किसानों के अध्ययन दौरे.
कार्बनिक तथा जैव-उर्वरक एवं इसे जुड़ी नयी योजनाएं.