दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने सोहेब इलियासी को उनकी पत्नी अंजू इलियासी की हत्या के आरोप से बरी कर दिया है. न्यायाधीश के मुताबिक सोहेब इलियासी के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिले हैं.
अदालत के इस फ़ैसले के बाद सोहेब-अंजू की बेटी आलिया इलियासी ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहा है, "मेरे अब्बू और मेरे परिवार को लंबा संघर्ष करना पड़ा, उन्हें काफ़ी कुछ झेलना पड़ा, जीवन के 18 साल कम नहीं होते हैं, उन्हें न्याय तो मिला है, लेकिन इतना लंबा समय लग गया. इन सबके बावजूद मैं बहुत ख़ुश हूं."
52 साल के सोहेब इलियासी को बीते साल दिसंबर में अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी, इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाइकोर्ट में सजा के ख़िलाफ़ अपील की.
सोहेब इलियासी की पत्नी अंजू इलियासी की संदिग्ध परिस्थितियों में 2000 में मौत हुई थी. सोहेब इलियासी के मुताबिक उनकी पत्नी ने आत्महत्या की थी, जबकि अंजू की बहन और मां ने आरोप लगाया था कि सोहेब ने दहेज के चलते उनकी बेटी की हत्या कर दी.
कैसे हुई थी अंजू की मौत
ये 10 जनवरी, 2000 की सुबह थी. सवा ग्यारह बजे के क़रीब सोहेब इलियासी ने अपनी सुरक्षा के लिए तैनात दो पुलिसकर्मियों को एंबुलेंस बुलाने को कहा था.
अंजू के पेट पर जख़्म के निशान थे, पहले उन्हें पास के एक अस्पताल में ले जाया गया और फिर दिल्ली के एम्स. 11 जनवरी को जब उन्हें दिल्ली के एम्स में ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बताया गया कि अत्यधिक खून बह जाने से अंजू की मौत हुई है.
अंजू की जब मौत हुई थी, तब उनका 30वां जन्मदिन महज़ छह दिन दूर था. पहले बताया गया कि अंजू ने खुद के पेट में कई बार चाकू मार लिया था. सोहेब ने तब बताया था कि उनकी पत्नी से उनकी कहासुनी हो गई थी जिसके बाद वे अपनी बच्ची के साथ दूसरे कमरे में थे तभी अंजू ने ख़ुद को जख़्मी कर लिया.
17 जनवरी, 2000 को पुलिस ने अंजू की आत्महत्या के तौर पर मामला दर्ज किया. दो-दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई कि अंजू की मौत संदिग्ध नहीं है, किसी तरह के फाउल प्लेइंग की बात साबित नहीं हुई.
ये वो समय था जब सोहेब इलियासी का जलवा किसी सुपर स्टार से कम नहीं था. वे भारतीय टीवी का सबसे लोकप्रिय चेहरा थे. सोहेब इलियासी भारतीय टीवी चैनलों में क्राइम शो के जनक के तौर पर स्थापित हो चुके थे.
उनका क्राइम टीवी शो इंडियाज़ मोस्ट वांटेड ज़ीटीवी पर प्रसारित होता था और महज़ दो सालों के अंदर सोहेब इलियासी की पहुंच घर-घर में तक हो चुकी थी.
लिहाजा लोग इस बात पर यक़ीन नहीं कर पा रहे थे कि अब तक अपराधियों को पकड़वाने का दावा करने वाले सोहेब इलियासी पर एक दिन हत्या का मुक़दमा चलेगा.
आलिया इलियासी बताती हैं, "जब मेरी अम्मी की मौत हुई थी तब तो मैं सवा दो साल की थी, उस वक्त तो मुझे पता नहीं चला था कि क्या हुआ, लेकिन बाद में मैं हमेशा ये सुनती आई कि मेरे माता-पिता एक-दूसरे से बहुत मोहब्बत करते थे, उनकी बॉडिंग बेहद मज़बूत थी."
पर अंजू की बहन रश्मि सिंह और मां रुकमा सिंह के बयान के आधार पर 2000 में ही सोहेब इलियासी पर दहेज के चलते हत्या करने और सबूत नष्ट करने का आरोप दर्ज हुआ. इन दोनों के मुताबिक सोहेब और अंजू की शादीशुदा ज़िंदगी में आपसी झगड़े खूब होते थे और अदालत में इन दोनों ने अंजू के साथ ज्यादातियों के कुछ प्रसंग भी रखे.
28 मार्च, 2000 को सोहेब पहली बार गिरफ्तार कर लिए गए. इसके बाद वो दौर शुरू हुआ जिसमें टीवी का सुपर स्टार अदालत और मुक़दमों में उलझता चला गया. लंबी क़ानूनी प्रक्रिया के दौरान 2010 में सोहेब पर हत्या का मुक़दमा भी दर्ज हुआ और 20 दिसंबर, 2017 को दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें उम्र कैद की सज़ा भी सुनाई.
लेकिन अब सोहेब इलियासी इस मामले में सबूतों के अभाव में बरी कर दिए गए हैं. उनकी बेटी आलिया बताती हैं, "इस पूरे मामले में मेरे नाना और मामू तो अब्बू के साथ ही थे और नानी और मौसी से भी मैं टच में हूं. अब मेरे अब्बू अपनी जिंदगी में नई शुरुआत कर पाएं, मैं इस उम्मीद में हूं."
प्यार और शादी
वैसे सोहेब और अंजू की कहानी, इस टीवी शो से भी पुरानी थी. दोनों की पहली मुलाकात 1989 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के एजेके मास कम्यूनिकेशन रिसर्च सेंटर में हुई थी. पहली नज़र की मुलाकात पहले दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. 1991 में शोएब लंदन के टीवी एशिया में नौकरी करने भी चले गए.
दोनों अलग-अलग समुदाय से आते थे लिहाजा माता-पिता शादी के लिए तैयार नहीं थे तो दोनों ने लंदन में ही 1993 में शादी कर ली. अंजू निकाह के बाद आफ्शां बन गईं. अंजू के भाई तब इंग्लैंड में ही रहा करते थे.
लंदन प्रवास के दौरान ही दोनों पति-पत्नी ब्रिटिश टीवी शो क्राइमस्टॉपर्स से बेहद प्रभावित हुए. 1994 में सोहेब-अंजू भारत लौटे और इसके बाद सोहेब ने क्राइम शो बनाने के आइडिया पर काम शुरू किया.
हालांकि उनके इस आइडिया को शुरुआती तौर पर कोई बेहतर रिस्पांस नहीं मिला था, लेकिन सोहेब अपनी धुन में लगे रहे और इसका नतीजा ये रहा कि मार्च, 1998 में सोहेब इलियासी का इंडियाज़ मोस्ट वांटेड नाम से क्राइम शो आने लगा.
इस शो ने आते ही टीआरपी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. क्राइम और रिएलिटी शो के मिक्चर को सोहेब इलियासी ने अपनी बेहद शानदार आवाज़ में ऐसा आयाम दिया जो भारत में अपने पांव जमा रही टीवी इंडस्ट्री को भा गया.
टीवी के सुपरस्टार थे शोएब
हिंदुस्तानी ज़ुबान, स्पष्ट उच्चारण और फ़ोटोजेनिक चेहरा होने के चलते सोहेब इलियासी का जादू चल निकला था. हालांकि ये बात दूसरी है कि उन्होंने जब इंडियाज मोस्ट वांटेड का पायलट शो बनाया था तो उसमें एंकर अंजू ही थीं, लेकिन संभवत: उस दौर में क्राइम शो के लिए फ़ीमेल एंकर वाले प्रयोग के लिए सोहेब साहस नहीं जुटा पाए हों या फिर उनकी अपनी महत्वाकांक्षा ज़्यादा रही हो.
जब ज़ी समूह के साथ उनका क़रार नहीं बढ़ा तो वे अपने नए शो के साथ दूरदर्शन पर दिखाई देने लगे थे. उनके शो का जलवा ऐसा था कि उनके शो में नज़र आने के बाद पुलिस ने कम से कम 30 अपराधियों को पकड़ा था.
उनका एक मशहूर शो, यूपी के गैंगस्टर प्रकाश शुक्ला पर आधारित था जिसमें उन्होंने पहली बार दिखाया था कि प्रकाश शुक्ला ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सुपारी ले ली है जिसके बाद यूपी पुलिस ने प्रकाश शुक्ला का इनकाउंटर किया था.
हालांकि यूपी पुलिस ने तब कहा था कि वे शुक्ला पर पहले से काम कर रहे थे और इस एनकाउंटर का श्रेय बिना किसी भूमिका के सोहेब को मिल गई.
लेकिन एक सच ये भी था कि सोहेब इलियासी कामयाबी के उस शिखर पर थे जहां पुलिस और प्रशासन के रसूखदार लोगों से लेकर क्राइम वर्ल्ड की बातें उन तक पहुंच रही थीं.
लेकिन अंजू इलियासी की मौत और उसके बाद की क़ानूनी लड़ाई से वे ऐसे फिसले कि फिर उस कामयाबी तक नहीं पहुंच पाए. हालांकि उन्होंने ब्यूरोक्रेसी टूडे जैसी पत्रिका और बेटी के नाम पर प्रोडक्शन हाउस चलाने का काम जारी रखा. कुछ फिल्मों के प्रोडक्शन का काम भी किया, लेकिन वे उस मुकाम तक कभी नहीं पहुंच पाए जहां अंजू के साथ पहुंचे थे.
टीवी प्रोडक्शन सीखने की चाह
लेकिन उनकी 20 साल की बेटी अब्बू का बेसब्री से इंतज़ार कर रही हैं. आलिया बताती हैं, "मेरे अब्बू टीवी प्रोडक्शन के जीनियस हैं, अब मैं उनसे टीवी प्रोडक्शन का काम सीखूंगी और उनके काम को आगे बढ़ाऊंगी."
आलिया ये भी बताती हैं कि उनके अब्बू मुश्किल हालात में हौसला खोने वाले इंसान नहीं हैं, लिहाजा वे जल्दी ही फिर से सक्रिय होंगे.
सोहेब इलियासी के लिए बीते दो दशक की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं रही है, उनका सुनहरा अतीत भी बीत चुका है, टेलीविजन की दुनिया भी काफी हद तक बदल चुकी है.
लेकिन आने वाला कल कम से कम इस राहत के साथ आने वाला है कि अपनी ही माशूका के क़त्ल के संगीन आरोप से उन्हें बरी कर दिया गया है. हालांकि अभियोजन पक्ष के सामने सोहेब को बरी किए जाने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला हुआ है.
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