<p>कर्नाटक के कोंटा गाँव से आए वरुण सुभाष चंद्रन सिर्फ़ 28 साल के ही थे. तीन बार यूपीएससी की परीक्षा में बैठे, पर क़ामयाब नहीं मिली. .</p><p>लेकिन उसने हार नहीं मानी. सोचा चौथी बार कोशिश करता हूँ. फिर से परीक्षा की तैयारी की और 3 जून को प्रीलिम्स की परीक्षा (परीक्षा का सबसे पहला चरण) देने पहुँचे.</p><p>लेकिन एग्ज़ाम सेंटर पर 4 मिनट की देरी से पहुँचे तो गेट पर तैनात ड्यूटी अफ़सरों ने उन्हें सेंटर के अंदर दाख़िल नहीं होने दिया. </p><h1>पर उस दिन हुआ क्या-क्या था?</h1><p>वरुण के साथ क्या हुआ, इस बात का पता लगाने के लिए हम पहुँचे पहाड़गंज जहाँ उनका एग्ज़ाम सेंटर था.</p><p>इस स्कूल का नाम है सर्वोदय बाल विद्यालय. वरुण ओल्ड राजेंद्र नगर में रहते थे. वहां से ये सर्वोदय बाल विद्यालय 5 किलोमीटर की दूरी पर है.</p><p>फिर वरुण कैसे यहाँ तक पहुँचने में लेट हो गए?</p><p>दरअसल, पहाड़गंज में केवल एक सर्वोदय बाल विद्यालय नहीं है, बल्कि तीन हैं. एक है ओल्ड राजेंद्र नगर थाने के पास. एक है रानी झांसी वाला और एक है कसेरूवालान में.</p><p>हमें ये बात वरुण के सेंटर की तलाश के दौरान पता चली.</p><p>वरुण के फ़्लैट से बरामद हुए सुसाइड नोट में उसने लिखा था कि वह तीन जून की सुबह 8:45 बजे घर से निकला था और ग़लती से वो दूसरे सर्वोदय विद्यालय पहुँच गया था.</p><p>जबकि वरुण का सेंटर सर्वोदय बाल विद्यालय ‘कसेरूवालान’ था.</p><p>सर्वोदय बाल विद्यालय, कसेरूवालान के प्रिंसिपल सुनील कमार श्रीवास्तव जो कि उस दिन यूपीएससी की तरफ से सेंटर सुपरिटेंडेंट की भूमिका में भी थे, उन्होंने बताया, "यूपीएससी के नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति, फिर चाहे वह इंविजीलेटर हो या छात्र, सुबह 9:20 बजे के बाद सेंटर के भीतर नहीं आ सकता."</p><p>उन्होंने बताया कि हम लोगों ने 9:21 बजे ही गेट बंद कर दिया था और फिर हम लोग कक्षाओं में पेपर बांटने चले गए थे.</p><p>सुनील कमार श्रीवास्तव के मुताबिक़, गेंट बंद होने के बाद गेट की ज़िम्मेदारी दिल्ली पुलिस को सौंप दी जाती है. उस दिन 9:24 बजे पर वरुण आया तो उसको दिल्ली पुलिस की ओर से तैनात 5 पुलिसकर्मियों ने सेंटर के भीतर जाने से रोक दिया. वो सब यूपीएससी के दिए गए निर्देशों का पालन कर रहे थे.</p><p>बीबीसी ने इस एग्ज़ाम सेंटर में यूपीएससी द्वारा मुख्य रूप से नियुक्त की गईं इंस्पेक्टर अफ़सर अभि रामी से इस पर प्रतिक्रिया लेनी चाही लेकिन उन्होंने इस बारे में बात नहीं करनी चाही.</p><p>वक़्त की पाबंदी को लेकर इसी साल यूपीएससी की परीक्षा देकर आए कुछ छात्रों से हमने बात की तो इलाहाबाद से दिल्ली यूपीएससी की तैयारी करने आए हरेंद्र ने कहा कि यूपीएससी को 4 मिनट की देरी पर इतनी सख़्ती नहीं दिखानी चाहिए थी.</p><p>हालांकि, आयकर विभाग के अधिकारी अंकित कॉल का मानना है कि व्यवस्था को सख़्त रहने की अपनी वजहें हैं. ऐसे हर किसी को देरी से सेंटर में घुसने दिया जाए तो नियमों की ज़रूरत ही क्या है.</p><p>राजस्थान के रिभुराज सिंह राजपूत के अनुसार, "एक छात्र अपना सब कुछ दांव पर लगाकर यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करता है. कम से कम वरुण के पास लेट होने का सही कारण था. वह ग़लती से दूसरे सेंटर पर पहुंच गया था और ये किसी के साथ भी हो सकता है. बस 4 मिनट ही देर से तो पहुँचा था वो."</p><h1>अब तथ्यों पर ग़ौर करते हैं</h1><p>यूपीएससी के द्वारा दिए गए एडमिट कार्ड पर इस बार लिखा था कि सभी छात्रों को परीक्षा शुरू होने के 10 मिनट पहले पहुँचना है.</p><p>यानी कि परीक्षा सुबह 9:30 बजे शुरू होती है. लेकिन 9:20 पर एग्ज़ाम सेंटर पहुंचना अनिवार्य होता है.</p><p>यूपीएससी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "दोपहर की परीक्षा के लिए 2:20 बजे तक पहुंचना अनिवार्य होता है. यहाँ आपको बता दें कि यूपीएससी ने इसी साल से ही परीक्षा में 10 मिनट पहले पहुँचने का नियम लागू किया है जबकि हर साल समय 9:30 बजे और दोपहर 2:30 बजे ही रहता था."</p><p>यूपीएससी के अफ़सरों ने ये भी बताया कि पिछले साल काफ़ीर क़रीम के चीटिंग के मामले के बाद नियमों को कड़े करने का प्रस्ताव आया था जिस पर अमल किया गया.</p><p>साल 2017 में आईपीएस अफ़सर काफ़ीर क़रीम मेन्स में नकल करते पकड़े गए थे.</p><h1>"हमें 20 मिनट देरी से मिला पेपर"</h1><p>जब मिनट-मिनट का हिसाब रखा जा रहा है तो नजफ़गढ़ के केंद्रीय विद्यालय बीएसएफ़ कैंप छावला में 3 जून को यूपीएससी एग्ज़ाम देने पहुँचे एक छात्र की ये बात जाननी ज़रूरी हो जाती है.</p><p>इस छात्र ने अपनी पहचान गुप्त रखते हुए बीबीसी को बताया कि उस सेंटर में वो जिस क्लास में था, वहाँ छात्रों को 20 मिनट की देरी से पेपर मिले थे.</p><p>यानी की 9:30 पर नहीं, बल्कि 9 बजकर 50 मिनट पर वहाँ परीक्षा शुरू हुई थी.</p><p>उस हिसाब से उन सभी छात्रों को परीक्षा ख़त्म होने के तय समय से 20 मिनट ज़्यादा मिलने चाहिए थे, लेकिन उनसे पेपर 11 बजकर 40 मिनट पर ले लिए गए. यानी उन्हें सिर्फ़ अतिरिक्त दस मिनट मिले.</p><p>केंद्रीय विद्यालय बीएसएफ कैंप छावला की प्रिंसिपल आर के बस्सी से इस बारे में बात हुई तो उन्होंने बताया कि उनके स्कूल में 18 क़मरों में पेपर बाँटे गए थे जिनमें से महज़ एक ही क्लास में पेपर देरी से बँटे थे. लेकिन 20 मिनट की देरी की बात से उन्होंने साफ़ इंकार किया.</p><p>बस्सी ने कहा कि देरी की भरपाई भी की गई थी और बच्चों को अतिरिक्त समय भी दिया गया था.</p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44365400">परीक्षा केंद्र पहुंचने में 4 मिनट की देरी, छात्र ने की खुदकुशी</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-43944014">UPSC 2017: परचम लहरा रहे हैं पूर्वोत्तर के छात्र</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-43934797">UPSC: इस माँ के लिए कितना मुश्किल था टॉप करना </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40141190">यूपीएससी के लिए 22 लाख की नौकरी ठुकराई</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india/2015/09/150930_upsc_exams_review_sra">बदलने जा रही है यूपीएससी की परीक्षा</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">आप यहाँ क्लिक कर</a><strong> सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)</strong></p>
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UPSC 2018: काश वरुण चार मिनट की देरी से ना पहुंचते तो..
<p>कर्नाटक के कोंटा गाँव से आए वरुण सुभाष चंद्रन सिर्फ़ 28 साल के ही थे. तीन बार यूपीएससी की परीक्षा में बैठे, पर क़ामयाब नहीं मिली. .</p><p>लेकिन उसने हार नहीं मानी. सोचा चौथी बार कोशिश करता हूँ. फिर से परीक्षा की तैयारी की और 3 जून को प्रीलिम्स की परीक्षा (परीक्षा का सबसे पहला चरण) […]
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