आसनसोल : डेडीकेटेड इस्टर्न फेट्र कॉरीडोर के पूर्वी सेक्शन डानकुनी से सोन नगर तक बनने वाली फ्रेट कॉरीडोर के लिए जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. पहले चरण में रेलवे लाइन के किनारे पड़ी जमीन का सव्रे किया जा रहा है.
क्या है परियोजना
विभागीय सूत्रों के अनुसार देश में रेल परिवहन क्षमता बढ़ाने, परिवहन की गुणवत्ता में सुधार लाने, परिवहन के दौरान लगनेवाले समय में कमी लाने तथा भारतीय रेल की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने देश में दो डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर बनाने का निर्णय लिया था.
पहला पूर्वी और दूसरा पश्चिमी. पूर्वी डेडीकेटेड इस्टर्न फेट्र लुधियाना से लेकर पश्चिम बंगाल के डानकुनी स्टेशन तक बनना है. यह रेल लाइन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल राज्यों से गुजरेगी. 1804 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर सिर्फ मालगाड़ियों का परिचालन होगा.
इससे कम समय में मालगाड़ी अपने गंतब्य पर पहुंचेगी तथा यात्री ट्रेनों को इससे कोई परेशानी नहीं होगी. इस कॉरीडोर को चार मुख्य भागों में बांटा गया है. पहला लुधियाना से खुर्जा तक, दूसरा खुर्जा से लेकर कानपुर तक, तीसरा कानपुर से सोननगर तक तथा चौथा सोननगर से डानकुनी स्टेशन तक. इस परियोजना पर करीब 35 हजार करोड़ रुपये की राशि खर्च होने की संभावना है.
इसके लिए रेल मंत्रलय ने वर्ल्ड बैंक से 10 हजार रुपये तथा एशियन डेवलपमेंट बैंक से 25 हजार करोड़ रुपये के ऋण की व्यवस्था की जा रही है. सूत्रों ने बताया कि खुर्जा-कानपुर सेक्शन की 343 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के दोहरीकरण, विद्युतीकरण का कार्य जारी है. लुधियाना-खुर्जा के बीच भूमि अधिग्रहण का कार्य चल रहा है.
मुगलसराय-सोननगर का कार्य विभागयी स्तर पर रेल मंत्रलय करेगा जबकि सोन नगर-डानकुनी सेक्शन का कार्य पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशीप (पीपीपी) के तहत होगा. इस परियोजना को वर्ष 2017 में पूरा हो जाना है.
अगले साल से निर्माण कार्य
इस कार्य के प्रोजेक्ट इंचार्ज वीके पंजियार ने बताया कि यह 10 हजार करोड़ की परियोजना है. निर्माण कार्य अगले साल आरंभ होगा. पूरा होने में कम से कम चार साल का समय लगेगा. लेकिन मुख्य कार्य जमीन अधिग्रहण का है. इसके लिए जमीन सव्रे का कार्य जारी है. इसके बाद ही पता चल पायेगा कि रेलवे के पास अपनी कितनी जमीन है तथा इसके लिए कितनी जमीन की आवश्यकता होगी. जमीन अधिग्रहण के लिए पहले ही सरकारी अधिसूचना जारी हो चुकी है.
मुगमा, भूली स्टेशनों का विस्तार
आसनसोल रेल मंडल सूत्रों के अनुसार इसके तहत ग्रेंड कोर्ड रेल लाइन को बढ़ाया जायेगा. इसके डाउन लाइन के बगल से दो अतिरिक्त रेल लाइनें बैठायी जायेगी. जिन स्थानों में रेलवे लाइन के किनारे जगह नहीं है, वहां फ्लाई ओवर ब्रिज तैयार किया जायेगा. सीतारामपुर समेत मंडल के कई स्थानों पर फ्लाइ ओवर ब्रिज का निर्माण किया जायेगा.
इसके साथ ही आसनसोल रेल मंडल के मुगमा स्टेशन तथा धनबाद रेलवे मंडल के भूली स्टेशन को विस्तार दिया जायेगा. इस रेल लाइन पर मागाड़ियां 25 टन एक्सल लोड लेकर सौ किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल पायेंगी.
जानकारी के अनुसार आसनसोल रेल मंडल के कुल्टी, बराकर आदि क्षेत्रों में आवश्यकता अनुसार जमीन के लिए सर्वे किया गया है. जहां रेलवे की जमीन अतिक्रमित किया गया है, उन्हें जल्द से जल्द जमीन खाली करने का आदेश दिया जायेगा.
रेलवे द्वारा फ्रेट कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण करने के लिए चल रहे सर्वे कार्य से रेलवे लाइन के किनारे रहने वाले लोगों में हड़कंम मच गया है. कुल्टी में अपनी जमीन रेलवे को नहीं देने के लिए निवासियों ने कमेटी का भी गठन कर लिया है. उनलोगों का कहना है कि वे लोग किसी भी हाल में जमीन नहीं देंगे.
विभागीय सूत्रों ने बताया कि देश में नेशनल हाइवे बनने के बाद सड़क मार्ग से परिवहन में काफी वृद्धि हुई है. इसका प्रभाव रेलवे के राजस्व पर भी पड़ा है. रेलवे से परिवहन की सबसे बड़ी परेशानी इसमें लगनेवाले समय से हैं. यदि रेलवे इस कॉरीडोर से माल का परिवहन शुरू करेगी तो इसके राजस्व में फिर से इजाफा हो जायेगा.
– जितेंद्र जीत –