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नवादा से ग्राउंड रिपोर्ट: आख़िर बजरंगबली की मूर्ति किसने तोड़ी?

बिहार के नवादा में रामलीला से पहले ज़िला प्रशासन ने स्थानीय नेताओं और धार्मिक संगठन के नेताओं को बुलाकर एक शांति बैठक कराई थी. इस बैठक में शहर के एसडीओ राजेश कुमार ने आग्रह किया था कि रामलीला के जुलूस में समुदाय विशेष के इलाक़ों में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे से परहेज किया जाए. राजेश […]

बिहार के नवादा में रामलीला से पहले ज़िला प्रशासन ने स्थानीय नेताओं और धार्मिक संगठन के नेताओं को बुलाकर एक शांति बैठक कराई थी.

इस बैठक में शहर के एसडीओ राजेश कुमार ने आग्रह किया था कि रामलीला के जुलूस में समुदाय विशेष के इलाक़ों में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे से परहेज किया जाए.

राजेश कुमार के इस प्रस्ताव पर नवादा ज़िला के बीजेपी अध्यक्ष शशिभूषण ने आपत्ति जताई थी. स्थानीय पत्रकार अशोक प्रियदर्शी कहते हैं कि ‘राजेश कुमार के इस प्रस्ताव ने तूल पकड़ लिया और मामला नवादा के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तक पहुंच गया. गिरिराज सिंह ने कहा कि पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा भारत में नहीं लगेगा तो कहां लगेगा.’

जब विवाद बढ़ा तो राजेश कुमार अपने प्रस्ताव से मुकरने लगे.

नवादा बीजेपी प्रमुख शशिभूषण से जब पूछा गया कि उन्होंने इस प्रस्ताव का विरोध क्यों किया था तो उन्होंने कहा कि अब उस बात को छोड़ दीजिए.

‘भगवान अपना बचाव ख़ुद ही करें तो ठीक है’

हालांकि शहर में रामनवमी शांतिपूर्ण रही, लेकिन 30 मार्च की सुबह शहर के गोंदापुर इलाक़े में बजरंगबली की एक मूर्ति टूटने की ख़बर आई.

अचानक ही लोगों की भीड़ बजरंगबली के चबूतरे के पास जमा हो गई और देखते ही देखते हिंसक हो गई.

गोंदापुर के पास ही भदौली है और यहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. यहीं दारुल उलूम फ़ैज़ुल बारी नाम का एक मदरसा भी है.

इस मदरसे के संचालक और मगध प्रमंडल के काज़ी मोहम्मद नोवमान अख़्तर ज़माली पूरे घटनाक्रम पर कहते हैं, ‘सुबह का वक़्त था. शहर के 100 में 90 लोग तो सोए हुए थे. तभी फ़ोन पर घंटी बजी और पता चला कि गोंदापुर में बजरंगबली की मूर्ति तोड़ दी गई है और इससे शहर का माहौल ख़राब हो रहा है. इसके बाद मैं रोड पर गया. मूर्ति किसने तोड़ी यह बात अब तक समझ में नहीं आई है. इससे पहले भी मंदिर में गोश्त फेंका गया और आपसी भाईचारे को तोड़ने की कोशिश की गई.’

अख़्तर कहते हैं, ‘उस चबूतरे के पास ही एक शादी का मंडप है और वहां ओडिशा से आई एक बारात रुकी थी. जिस बस से बारात आई थी उसके ड्राइवर और खलासी हिन्दू थे. लोगों ने मुसलमान समझकर इन पर भी हमला बोला.’

लोगों ने अफ़वाह फैला दी कि बारातियों में से ही किसी ने मूर्ति तोड़ी है. इसके बाद बारातियों पर भीड़ ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. प्रशासन ने सक्रियता दिखाई इसलिए कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ,’

गोंदापुर के लोग भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है कि मूर्ति किसने तोड़ी. हालांकि इलाक़े के चौपाल पर बैठे श्यामलाल यादव कहते हैं कि कोई हिन्दू तो मूर्ति नहीं तोड़ सकता.

लेकिन श्यामलाल यादव की इस बात को वहां बैठे रमेश राम तपाक से घेरते हुए कहते हैं कि बिना देखे कोई कैसे कह सकता है कि मूर्ति किसने तोड़ी. वहीं उलझी दाढ़ी और दुबले कद का एक नौजवान सबकी बातों को काटते हुए बोल उठता है भगवान अपना बचाव ख़ुद ही करें तो ठीक है. वो इतना कह वहां से चल देता है.

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गोंदापुर के उस चबूतरे पर प्रशासन ने नई मूर्ति लगवा दी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पुरानी मूर्ति की तुलना में यह मूर्ति आकार में बड़ी है. यह चबूतरा बिल्कुल खुली जगह पर है. यहां गंदगी भी काफ़ी है. गोंदापुर के लोगों के लिए भी यह कोई श्रद्धा और आस्था का लोकप्रिय केंद्र नहीं था, लेकिन मूर्ति तोड़े जाने के बाद से यह जगह काफ़ी चर्चित हो गई है.

‘भगवा गमछा ख़रीदकर सोचते हैं वो बजरंग दल के सदस्य हो गए’

इधर मूर्ति तोड़े जाने के कारण पत्थरबाज़ी जारी ही थी कि 10 बजे के आसपास लोगों ने शहर की ही हजरत सैयद सोफ़ी दुल्ला शहीद शाह की मज़ार में आग लगा दी. मज़ार के लोगों का कहना है कि पास के हिन्दुओं ने ही मज़ार को जलने से बचा लिया. यहां भी प्रशासन ने उसी वक़्त मज़ार को दुरुस्त किया.

पूरे घटनाक्रम को लेकर शहर में बजरंग दल के प्रमुख जितेंद्र प्रताप जीतू से संपर्क किया. वो अपनी जीविका के लिए चूड़ी की दुकान चलाते हैं. जीतू ने पूरे घटनाक्रम पर कहा, ‘मेरे पास सुबह पांच बजे फ़ोन आया और कुछ लोगों ने कहा कि भैया किसी ने बजरंगबली की मूर्ति तोड़ दी है. मैंने पूछा कि तुम लोग कौन हो तो बताया कि भैया बजरंगदल के कार्यकर्ता हैं और आपको जानते हैं.’

आख़िर सुबह पांच बजे बजरंग दल के कार्यकर्ता वहां क्या कर रहे थे? इस पर जीतू ने कहा, ‘उसी इलाक़े के होंगे. समस्या यह है कि लड़के भगवा गमछा ख़रीदकर सोचते हैं कि वो बजरंग दल के सदस्य हो गए हैं.’

जीतू कहते हैं, ‘जब तनाव बढ़ा तो मेरे पास एसडीओ साहब का फ़ोन आया कि जीतू जी कुछ लोगों के नंबर हैं तो उन्हें रोकिए. हमने कहा कि सर किसको क्या रोकें? फ़ोन करने की कोशिश की तो किसी का नंबर लगा नहीं. मुसलमान की एक टायर की दुकान थी उसे जला दिया. ये बिल्कुल ठीक नहीं हुआ. फिर किसी ने कह दिया कि पास में बारात आई है और उसी में से किसी ने मूर्ति तोड़ी है तो कुछ लोगों ने पथराव शुरू कर दिया.’

जीतू को लगता है कि मूर्ति को मुसलमानों ने ही तोड़ा है. जीतू से बातचीत के दौरान मेरे साथ एक स्थानीय पत्रकार भी थे. उन्होंने जीतू से पूछा कि बजरंबली के चबूतरे को कल तक कुत्ते गंदे करते थे, लोग आसपास गंदगी फैलाते हैं तब तो पत्थरबाजी का ख़्याल नहीं आया? इस पर जीतू हंसते हुए कहते हैं कि ये भी सही बात है क्योंकि कहीं भी भगवान की मूर्ति नहीं रख देनी चाहिए.

जीतू से जब ये सवाल पूछ रहा था तो वहीं उनकी पत्नी सुमण भी थीं. सुमण से पूछा कि बजरंग दल के नेता की पत्नी होना आसान है या मुश्किल है तो उन्होंने कहा, ‘मुझे तो ग़ुस्सा आता है क्योंकि इनका आने-जाने का कोई टाइम नहीं है. कभी 12 बजे रात तो कभी दो बजे रात में घर पर आते हैं. ये घर को बिल्कुल टाइम नहीं देते हैं. किसी का फ़ोन आता है निकल जाते हैं. घर में तो ये मुसलमानों के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोलते हैं. मुझे लगता है कि इनको देश-दुनिया से ज़्यादा घर की चिंता करनी चाहिए.’

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नवादा में पिछले शुक्रवार से इंटरनेट सेवा बंद है. शहर के डीएम कौशल कुमार का कहना है कि हालात नियंत्रण में हैं. उन्होंने कहा कि कई लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की गई है. हालांकि उन्होंने कोई निश्चित संख्या नहीं बताई.

नवादा बीजेपी अध्यक्ष शशिभूषण कहते हैं कि गोंदापुर में आरजेडी को हमेशा वोट मिलता है और उनकी पार्टी तो वहां पोलिंग एजेंट तक नहीं भेजती है, ऐसे उनके लोगों पर मूर्ति तोड़ने का आरोप बेबुनियाद है.

गोंदापुर में यादवों की संख्या हिन्दुओं में सबसे ज़्यादा है. नोवमान अख़्तर का कहना है कि वो दंगों और मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा में केवल बीजेपी पर ही उंगली नहीं उठाते बल्कि उन्हें आरजेडी समर्थकों से भी उतनी ही शिकायत है. शशिभूषण का भी कहना है कि शहर में मुसलमान तो और जगह भी हैं, लेकिन इससे पहले भी दंगा गोंदापुर में ही क्यों हुआ था?

‘दंगों के बाद मु्सलमानों को गोलबंद करना बहुत आसान है’

अख़्तर कहते हैं, ‘मैं सांप्रदायिकता को लेकर किसी को भी दूध का धुला नहीं मानता. अगर बीजेपी चाहती है कि आग लगे तो आरजेडी की भी सोच होती है कि आग बढ़े ताकि उसका वोटबैंक गोलबंद हो. सांप्रदायिता को भड़काने में यादव कभी पीछे नहीं रहते. आरजेडी के लिए दंगों के बाद मु्सलमानों को गोलबंद करना बहुत आसान होता है. जिसको मुसलमानों के वोट से फ़ायदा है वो हिमायत की बात करता है और जिनको फ़ायदा नहीं है वो तोड़कर अपना हित साधते हैं. हर कोई यहां उल्लू सीधा करने में लगा है. जब भी नवादा में इस तरह की लड़ाई होती है तो उसमें यादव बिरादरी के लोग सबसे आगे होते हैं. ऐसे में कोई कहता है कि आरजेडी का हाथ नहीं है तो मैं इसे नहीं मानता.’

जब मदरसे में नोवमान अख़्तर ये सब कह रहे थे तो वहां पढ़ने वाले सारे छात्र और शिक्षक भी पहुंच गए और सभी अपने संचालक की बात पर सहमत दिखे. शहर में आरएसएस के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के प्रमुख दयानंद गुप्ता कहते हैं कि संघ एक चरित्रवान समाज के निर्माण में लगा हुआ और जब इसका निर्माण हो जाएगा तो ऐसी घटनाएं नहीं होंगी.

गोंदापुर के ही मोहम्मद इस्लाम कहते हैं कि मुसलमानों के लिए रामनवमी का शांतिपूर्ण तरीक़े से गुज़र जाना राहत की सांस देने वाला होता है.

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