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35 साल बाद पकड़ा गया अपराधी, जानें पूरी कहानी

नेशनल कंटेंट सेल पहली घटना 1983 की है. मैकेन, न्यूकासल क्राउन कोर्ट के सामने घूमते हुए एक महिला को देख रहा था. महिला थोड़ी परेशान सी दिख रही थी. वह महिला के पास गया और उसकी सहायता करने के बहाने एक सुनसान जगह में ले गया. पहले तो उसने चाकू के बल पर उसके सभी […]

नेशनल कंटेंट सेल

पहली घटना 1983 की है. मैकेन, न्यूकासल क्राउन कोर्ट के सामने घूमते हुए एक महिला को देख रहा था. महिला थोड़ी परेशान सी दिख रही थी. वह महिला के पास गया और उसकी सहायता करने के बहाने एक सुनसान जगह में ले गया. पहले तो उसने चाकू के बल पर उसके सभी कपड़े उतरवाये और फिर उसका रेप किया. इतना ही नहीं, मैकेन ने रेप से पहले महिला को धमकी दी कि अगर वह यह कहेगी कि उसे मजा नहीं आया तो वह उसके पैर काट लेगा. इसके बाद उसने इस घटना को अंजाम दिया. महिला किसी तरह वहां से निकलकर पुलिस के पास पहुंची और मामला दर्ज कराया. पुलिस ने सभी जरूरी सबूत सुरक्षित रख लिये और मामले की जांच शुरू कर दी. लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी.

इसके ठीक पांच साल बाद, यानी 1988 को एक ऐसी ही घटना उसी जगह पर दोहरायी गयी. एक अन्य महिला के साथ मैकेन ने रेप को फिर से उसी तरीके से दुहराया. महिला के पुलिस के पास मामला दर्ज कराने के बाद कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और पुलिस को जल्द से जल्द आरोपी को पकड़ कर हाजिर करने को कहा. साथ ही कोर्ट ने पुलिस को 1983 में घटी घटना की याद भी दिलायी. इधर, पुलिस महिला को लेकर घटनास्थल पर गयी, जहां उसे महिला के फटे कपड़े मिले. इस बार पुलिस को पर्याप्त सबूत मिले. कपड़े पर लगे निशान का पुलिस ने डीएनए टेस्ट से भी अपराधी को पकड़ने की कोशिश की, पर वह नाकाम रही. घटना में समानता को देखते पुलिस सिर्फ यह समझ पायी कि दोनों घटनाओं में एक ही आदमी संलिप्त है. पुलिस आरोपी को पकड़ने के लिए छापे मारती रही, लेकिन मैकेन पुलिस की पकड़ से आजाद घूमता रहा.

मैकेन, न्यूकासल का निवासी था. 1982 में उसकी शादी हुई थी. मई, 1983 में उसे एक बेटी हुई. खास बात यह है कि रेप की पहली घटना के तीन दिन बाद ही उसे बेटी हुई थी. शक के आधार पर पुलिस ने मैकेन को गिरफ्तार तो किया था पर सबूत के अभाव में वह बार-बार छूटता रहा. दूसरी बार रेप करने के बाद भी वह आराम से घूमता रहा. उस समय पुलिस उसकी डीएनए जांच की मांग कोर्ट में नहीं कर पायी थी. लेकिन, कहते हैं न कि भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती और जब वह पड़ती है तो लोगों को संभलने का मौका भी नहीं मिलता.

कुछ दिन पहले मैकेन ने अपने पड़ोसी के गमले में पेशाब कर दिया था. इससे नाराज पड़ोसी ने गमले को सबूत के तौर पर पेश करते हुए मैकेन के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दी. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद मैकेन को मजबूरन पुलिस के सामने हाजिर होना पड़ा. मैकेन ने अपने ऊपर लगे आरोप को गलत बताते हुए डीएनए टेस्ट की चुनौती दी. पुलिस ने सत्यता की जांच के लिए मैकेन का डीएनए टेस्ट कराया. डीएनए की रिपोर्ट आने के बाद पूरा मामला ही बदल गया.

डीएनए से पकड़ा गया मामला

दरअसल, मामले को देख रहे अफसर एस्पेली के सामने जब डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट रखी गयी तो उसके आंख खुले के खुले रह गये. दरअसल, यह डीएनए उस रिपोर्ट से पूरी तरह मिलता था जो 35 साल पहले के रेप के आरोपी से पूरी तरह मिलता था. अब क्या था पूलिस के पास मैकेन के खिलाफ पूरे पक्के सबूत मौजूद थे. देर थी तो बस मैकेन के गिरफ्तारी की. पुलिस ने मैकेन के पड़ोसी के घर डेरा जमाया और मैकेन के क्रियाकलापों पर नजर रखते हुए उसके द्वारा किये हुए अन्य अपराधों के खिलाफ पुख्ता सबूत जमा किये. एक रात पुलिस ने मैकेन के घर छापा मारा और उसे गिरफ्तार कर लिया. अपने खिलाफ सभी सबूतों को देखते हुए मैकेन ने अपने सभी अपराध कबूल कर लिये. सरकार ने इंवेस्टगेटिंग अफसर एस्पेली को उसके इस लगन के लिए सम्मानित भी किया.

केस के अन्य अधिकारी मिक विल्सन के मुताबिक, अस्सी के दशक में हमारे पास उच्च फोरेंसिक तकनीक नहीं थीं जो अब हमारे पास है. हमने घटना की पूरी जानकारी इकट्ठा कर ली थी. हमें विश्वास था कि एक दिन अपराधी जरूर पकड़ा जायेगा. विल्सन कहते हैं कि मैकेन ने सोचा होगा कि वह कभी पकड़ा नहीं जायेगा. लेकिन किसी की आदत थोड़ी न बदलती है. वह अपनी आदतों से बाज नहीं आया और पड़ोसी के साथ उलझ गया. इसे मैकेन की मूर्खता ही कहेंगे या फिर हमारे मेहनत का इनाम.

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