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मिले के चित्र में अनाज बीनने की परंपरा

आर्ट-पेंटिंग विश्व कला इतिहास में खेतिहर मजदूरों पर बहुत कम काम हुआ है, जबकि दुनिया उन्हीं की मेहनत से उगाये फसल पर निर्भर रहती है. यूरोप के कई प्रसिद्ध कलाकारों ने किसानों की जिंदगी पर कई नायाब चित्र बनाये हैं. ‘द ग्लेनर्स’ 1857 में बनाया गया ऐसा ही एक विश्व प्रसिद्ध चित्र है. इस चित्र […]

आर्ट-पेंटिंग

विश्व कला इतिहास में खेतिहर मजदूरों पर बहुत कम काम हुआ है, जबकि दुनिया उन्हीं की मेहनत से उगाये फसल पर निर्भर रहती है. यूरोप के कई प्रसिद्ध कलाकारों ने किसानों की जिंदगी पर कई नायाब चित्र बनाये हैं. ‘द ग्लेनर्स’ 1857 में बनाया गया ऐसा ही एक विश्व प्रसिद्ध चित्र है.
इस चित्र में तीन अनाज बीनने वाली औरतों को दिखाया गया है. दुनियाभर के तमाम खेतिहर समाज में फसल कटाई के बाद अनाज बीनने की परंपरा युगों से चली आ रही है और यह काम समाज के गरीब लोग ही करते आये हैं . इजिप्ट में नियम था कि फसल कटाई के बाद गरीबों और भिखारियों को अनाज बीनने के लिए खेतों में आने से न रोका जाये. उस वक्त इस नियम को न मानने को अशुभ समझा जाता था. फ्रांस में भी यही नियम था और बीननेवालों को केवल दिन के वक्त ही बीनने की इजाजत थी. फसल की कटाई के दौरान अनाज के दानें और बालियां, जो इधर-उधर पड़े रह जाते थे, उसे ही गरीब लोग बीन लेते थे.
‘द ग्लेनर्स’ चित्र में चित्रकार ज्यां फ्रांसोआ मिले ने कोई अतिरिक्त कौशल दिखाकर अपनी प्रतिभा को प्रमाणित करने की कोशिश नहीं की है, बल्कि पूरी सहानुभूति के साथ, अत्यंत सहज-सरल संरचना और कोमल रंगों के प्रयोग से उन्होंने तीन किसान औरतों को चित्र में दिखाया है, जो गरीब अवश्य हैं, पर दयनीय नहीं हैं.
इस चित्र की तीनों औरतें तीन अलग-अलग पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व करती हैं. सबसे बायीं ओर की लड़की इन तीनों में सबसे कम उम्र की है, जिसने फसल की बालियों को पीठ के पीछे, बायें हाथ की मुट्ठी में बड़ी आसानी से पकड़ रखा है. कम उम्र के स्वाभाविक लोच के कारण, अनाज बीनने की उसकी मुद्रा अन्य दो औरतों से कुछ भिन्न है. चित्र में तीनों औरतों की छोटी परछाइयों से हम दोपहर की धूप का अनुमान लगा सकते हैं, जिससे बचने के लिए तीनों अपने सर को ढक लिया है. कम उम्र की लड़की ने हालांकि अन्य औरतों की तरह ही सर को ढकने के लिए सर पर एक टोपीनुमा बांधा है, पर इस टोपी से उसका सिर ही नहीं, बल्कि उसकी गर्दन भी धूप से बच रही है.
चित्र में बीच की औरत का शरीर काफी गठा हुआ है, पर इसे अपने उम्र के कारण झुकने में दिक्कत हो रही है, इसीलिए उसने अपना बायां हाथ अपने बायें घुटने पर रखकर अपना संतुलन बनाया है. वहीं चित्र के दाहिनी ओर की औरत सबसे ज्यादा उम्र की है, जो सामने झुककर अन्य दो औरतों की तरह दानें नहीं बीन पा रही है.
यहां चित्रकार ज्यां फ्रांसोआ मिले ने इन तीनों औरतों की अपनी-अपनी मजबूरी दिखायी है. इस चित्र की पहली प्रदर्शनी के समय दर्शकों के एक बहुत बड़े हिस्से को पहली बार पता चला था कि दुनिया में ऐसे भी लोग हैं, जो फसल कटाई के बाद खेतों में पड़े अनाज के दानों और बालियों को बीनकर अपनी जिंदगी चलाते हैं. ज्यां फ्रांसोआ मिले का इस चित्र को बनाने का उद्देश्य भी यही था.
चित्रकार ज्यां फ्रांसोआ मिले के इस चित्र की पहली प्रदर्शनी के समय दर्शकों के एक बहुत बड़े हिस्से को पहली बार पता चला था कि दुनिया में ऐसे भी लोग हैं, जो फसल कटाई के बाद खेतों में पड़े अनाज के दानों और बालियों को बीनकर अपनी जिंदगी चलाते हैं. ज्यां फ्रांसोआ मिले का इस चित्र को बनाने का उद्देश्य भी यही था.

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