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प्रचार में कांग्रेस की आत्मघाती देरी

।। आकार पटेल।। (वरिष्ठ पत्रकार) नरेंद्र मोदी पर केंद्रित देश के इतिहास में बेहतरीन और सबसे व्यवस्थित समङो जाने वाले चुनाव अभियान में पिछड़ने के कई महीने बाद कांग्रेस ने आखिरकार सोनिया गांधी को चुनाव के अखाड़े में उतारा है. सोनिया गांधी ने तीन मिनट का एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में उन्होंने […]

।। आकार पटेल।।

(वरिष्ठ पत्रकार)

नरेंद्र मोदी पर केंद्रित देश के इतिहास में बेहतरीन और सबसे व्यवस्थित समङो जाने वाले चुनाव अभियान में पिछड़ने के कई महीने बाद कांग्रेस ने आखिरकार सोनिया गांधी को चुनाव के अखाड़े में उतारा है. सोनिया गांधी ने तीन मिनट का एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन सरकार और उनके द्वारा किये गये वादों को निभाने में असफल रहने के नरेंद्र मोदी के आरोपों का करारा जवाब दिया है.अपने भाषण के पहले हिस्से में सोनिया गांधी ने बहुत से पर्यवेक्षकों द्वारा जतायी गयी हिंदुत्व की राजनीति से उपजी चिंताओं को रेखांकित किया है.

श्रीमती गांधी ने कहा है, ‘वे मूल्य क्या हैं, जो हमारी जन्मभूमि की आत्मा और ह्दय हैं? वे हैं प्रेम और सम्मान, सद्भाव और बंधुत्व. एक शब्द में कहें तो अहिंसा.’ आगे उन्होंने कहा है, ‘इस भावना के साथ सभी धर्मो, जातियों, समुदायों, क्षेत्रों, भाषाओं के लोगों का आपस में मिल-जुल कर रहने का मतलब है, एक मजबूत देश का निर्माण. ये हमारी प्रगति के बुनियादी आधार रहे हैं. यही हमारी भारतीयता, हमारी हिंदुस्तानियत का सार है.’

इस पहलू पर बात करते हुए सोनिया गांधी ने इसे बुनियादी रूप से इसे गलत समझा है. नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से अपने प्रचार अभियान को धार दी है, वह नकारात्मक नहीं है. मोदी लोगों से धार्मिक आधार पर वोट देने के लिए नहीं कह रहे हैं और मतदाता उनकी ओर विचारधारा की वजह से आकर्षित नहीं हो रहे हैं. दरअसल, यह उनके प्रचार का सकारात्मक पहलू है. शासन चलाने के तरीकों में व्यापक बदलाव लाने के बारे में वे लोगों से वादा करते हैं, और इसी वजह से वे जीत की ओर बढ़ रहे हैं.

सोनिया गांधी ने आगे यह भी कह दिया कि ‘वे एकरूपता को थोपना चाहते हैं. वे कहते हैं कि केवल मुझ पर भरोसा करो.’ वे कहती हैं, ‘इस चुनाव में हम एक ऐसे भविष्य के लिए लड़ रहे हैं, जिसमें सत्ता महज कुछ लोगों के हाथों में न रहे, बल्कि उसमें बहुत से लोगों की भागीदारी हो.’लेकिन इतना कह कर वे अपने असली मुद्दे पर वापस आ गयीं, जिसका सार यह है कि मोदी एक नकारात्मक और समाज को बांटनेवाला प्रचार अभियान चला रहे हैं.

‘हम भारत के आत्मा और ह्दय को बचाने के लिए इस चुनाव में उनके खिलाफ लड़ रहे हैं, जो इसे बदलने की आकांक्षा रखते हैं और हमें आपस में बांटना चाहते हैं. हम एकता चाहते हैं. हम कहते हैं, हमारे इरादों, नीयत और उपलब्धियों- विकास की ऊंची दर, समावेशी विकास, मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाओं- पर भरोसा करें.’

इस तरह की रणनीति सही है या नहीं, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि सोनिया गांधी ने जवाबी हमले में बहुत देर कर दी है. अपने मंत्रियों और सहयोगी दलों के कार्यो ने कांग्रेस को काफी बदनाम कर दिया है और खुद के बचाव में उसने इतना आलस दिखाया है कि वह बहुत पहले चुनाव हार चुकी है. जो बाकी थी, वह थी, हार के अंतराल को कम करने की लड़ाई. मेरे विचार से, नरेंद्र मोदी ने अपने तूफानी चुनाव प्रचार अभियान से कांग्रेस को कुचल दिया है.

एनडीटीवी की ओर से हाल ही में किये गये एक सर्वेक्षण से यह पता चलता है कि देश में मोदी के पक्ष में मौजूद झुकाव को चुनावी समझदारी रखने वाले जानकार उसके चरम पर नहीं रेखांकित कर सके.इस सर्वेक्षण में भारतीय जनता पार्टी को अकेले 226 सीटें प्राप्त होने और उसके गंठबंधन को 275 सीटें हासिल होने की संभावना जतायी गयी है, जो किसी भी राजनेता के लिए गर्व का विषय होगा. दरअसल, 1989 के बाद से देश की राजनीति में खंडित परिणामों का दौर रहा है.

इस हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक कांग्रेस पार्टी महज 92 सीटों तक सिमटती दिख रही है, जो इसे संसद में दूसरी बड़ी पार्टी का दर्जा दिलायेगी और तीसरा मोरचा एक संगत विपक्ष का आकार ले रहा है.

सोनिया गांधी ने वोट को जीवन और मरण से जोड़ा है. उन्होंने कहा है, ‘आज हमारा समाज एक दोराहे पर खड़ा है. कांग्रेस की विचारधारा और दृष्टि हमें निरंतर बदलावों की ओर अग्रसर एक स्वस्थ और मुक्त लोकतंत्र की ओर ले जायेगी. जबकि उनकी (मोदी की) दृष्टि नफरत और झूठ पर टिकी हुई है. उनकी (मोदी की) विचारधारा बांटने वाली और निरंकुश है, जो हमारी भारतीयता, हमारे हिंदुस्तानियत को बरबादी की ओर ले जायेगी.’

लेकिन हकीकत यह है, और कांग्रेस को इसे जानना चाहिए, कि आज देश के ज्यादातर मतदाता यह महसूस करते हैं कि देश की मौजूदा खराब हालत के लिए कांग्रेस और गांधी (सोनिया) परिवार जिम्मेवार है.यह धारणा सही है या नहीं, इसे कांग्रेस पार्टी को गंभीरता से लेना चाहिए था. लेकिन, जैसा कि मैंने पहले ही कहा है, उन्होंने अपनी ओर से गलत तरीका अपनाया है और प्रचार अभियान में बहुत देर कर दी है.

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